महिला नागा साधुओं का रहस्यमयी जीवन....


स्टोरी हाइलाइट्स

नागा साधुओं के विषय में ज्यादा जानकारी नहीं होने के कारण इनके बारे में एक जिज्ञासा बने रहना स्वभाविक ही है। आपने पुरुष नागा साधुओं के बारे में तो सुना और देखा होगा लेकिन महिला नागा साधू का जीवन सबसे अलग होता है। जानिये महिला नागा साधु से जुड़े कुछ रहस्यमय तथ्य-

नागा साधुओं के विषय में ज्यादा जानकारी नहीं होने के कारण इनके बारे में एक जिज्ञासा बने रहना स्वभाविक ही है। आपने पुरुष नागा साधुओं के बारे में तो सुना और देखा होगा लेकिन महिला नागा साधू का जीवन सबसे अलग होता है। जानिये महिला नागा साधु से जुड़े कुछ रहस्यमय तथ्य- ब्रम्हचर्य का पालन- किसी भी महिला नागा साधू बनने से पहले उसे लम्बे समय तक कठिन ब्रम्हचर्य का पालन करना होता है तब जाकर गुरु उसे दीक्षा देते हैं। अगर गुरु को कहीं भी जरा सा शक होता है कि ये महिला आगे ब्रम्हचर्य का पालन नहीं कर पाएगी तो वह कभी भी उसे दीक्षा नहीं देंगे। खुद का पिंडदान- महिला नागा साधू बनने से पहले खुद का ही पिंडदान और तर्पण करना होता है।किसी भी महिला को नागा साधू बनने से पहले उसको ये बात साबित करनी पड़ती है की उसका अपने किसी भी परिवार वालो के साथ कोई भी रिश्ता नहीं है तब नागा साधू बनाने से पहले उसका मुंडन किया जाता हैऔर बाद में नदी में स्नान करवाया जाता है। मिलता है सम्मान- महिला नागा साधू को सिर्फ भगवान की भक्ति ही करनी होती है और यह विशवास दिलाना होता है कि पुरे समाज के साथ कोइ भी रिश्ता या मोह नहीं है।अखाड़े के अंदर उन्हें बहुत सम्मान दिया जाता है और नागा साधू बन जाने के बाद अखाड़े के सभी साधू संत उन्हें माता कह कर संबोधित करते हैं। एक कपडा पहनने की अनुमति- पुरुषों की ही तरह महिला नागा साधुओं का जीवन भी पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित होता है। दोनों के ही दिन की शुरुआत और दिन का अंत पूजा-पाठ के साथ होता है। महिलाएं जब नागा साधु बन जाती हैं तो उन्हें सभी माता कहकर पुकारते हैं। महिला साधुओं को जो एक कपड़ा पहननने की अनुमति होती है वो कपड़ा गेरुए रंग का होना चाहिए। साथ ही उन्हें माथे पर तिलक लगाना भी आवश्यक होता है।