सिख धर्म (Sikh Religion)-Sikh Dharm


स्टोरी हाइलाइट्स

सिख धर्म(Sikh Dharm) की उत्पत्ति गुरु नानक देव (1469-1538) के उपदेशों से हुई। यह ऐसा समय था जब भारत में कई ............सिख धर्म (Sikh Religion)-Sikh Dharm

सिख धर्म (Sikh Religion)-Sikh Dharm-सिख धर्म की उत्पत्ति एवं विकास सिख धर्म(Sikh Dharm) की उत्पत्ति गुरु नानक देव (1469-1538) के उपदेशों से हुई। यह ऐसा समय था जब भारत में कई प्रकार के पाखण्ड व कर्मकाण्ड फैले हुए थे इस समय भारत में पुरोहितों का सामाजिक जीवन पर व्यापक प्रभाव था। जातिगत भेदभाव और अस्पृश्यता अपनी चरम अवस्था में थी। आम जनता के लिए वैदिक धर्म का समझना और उसके अनुसार विधि-विधान सम्पन्न करना कठिन हो गया था समाज में अन्धविश्वास, कुप्रथा और व्यर्थ के कर्मकाण्डों की संख्या निरन्तर बढ़ रही थी भारतीय समाज को इन दशाओं से उबारने के लिए जिन महापुरुषों ने महत्वपूर्ण भूमिका निबाही उनमें गुरु नानक देव का स्थान महत्वपूर्ण है। वस्तुतः सिख धर्म(Sikh Dharm) समानता, सत्य, सच्चरित्रता, कर्मकाण्ड-विहीनता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित धर्म है। इसे एक धर्म कहने के साथ-साथ महान सुधारवादी आंदोलन कहना अधिक उपयुक्त है। समय के साथ सिख धर्म में आंतरिक रूप में अनेक पंथ विकसित हुए। खालसा पंथ, राधास्वामी सम्प्रदाय, निरंकारी सम्प्रदाय, नामधारी, उदासी, अकाली सम्प्रदाय आदि सिख धर्म की उपशाखाएँ हैं। गुरु ग्रन्थ साहिब सिखों का पवित्र ग्रन्थ है सिख धर्म(Sikh Dharm) में गुरु का स्थान सर्वोपरि है। सिख गुरु ग्रन्थ साहिब को भी इसी श्रेणी में रखकर वन्दनीय और पूज्यनीय मानते हैं। इसीलिए जहाँ गुरु ग्रन्थ साहिब को रखा जाकर पाठ तथा समर्पण किया जाता है उसे देवालय मानकर गुरुद्वारा अर्थात गुरु का द्वार ईश्वर का द्वार माना जाता है। सिख धर्म के अनुयायी अपने जीवन के सभी कार्यों, घटनाओं, संस्कारों का निर्देश गुरु ग्रन्थ साहिब के माध्यम से प्राप्त करते हैं। उनकी दिनचर्या प्रायः इसके पाठ से ही प्रारंभ होती है इस पवित्र ग्रन्थ की रचना गुरु अर्जुन देव के द्वारा सन् 1604 में की गई। सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी ने गुरु ग्रन्थ साहिब को संस्कारित किया सिख धर्म को व्यवस्थित रूप प्रदान करने, समाज को संगठित करने तथा आने वाली पीढ़ियों तक गुरुओं के संदेश को पहुँचाने के लिए इस ग्रन्थ की रचना की गई गुरु ग्रन्थ साहिब ने गुरु नानक देव से लगातार गुरु गोविन्द सिंह जी तक विभिन्न गुरुओं की वाणी का संकलन किया गया है इसमें न केवल गुरु नानकदेव, गुरु अंगद देव, गुरु अमरदास, गुरु अर्जुन देव, तेग बहादुर और गुरु गोविन्द सिंह जी के उपदेश निहित है, बल्कि अन्य हिन्दू और मुस्लिम संतों की वाणियों को भी इसमें स्थान दिया गया है ये संत हैं- कबीरदास, रैदास, शेख फरीद आदि गुरु ग्रन्थ साहिब सिख धर्म का आधार है।