भगवान् विष्णु के सोलह पार्षद. अट्ठारह पुराण
Sixteen councilors of Lord Vishnu. Eighteen Puranas
-दिनेश मालवीय
भगवान श्रीविष्णु श्रृष्टि के पालनकर्ता और सर्वशक्तिमान हैं. वह अनंत विभूतियों से विभूषित और परम ऐश्वर्यशाली हैं. शास्त्रों में उनके सोलह पार्षद बताये गये हैं, जो उनके लिए निर्दिष्ट कार्य करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. सबकी अपनी-अपनी भूमिकाएं हैं, जिन्हें वे पूरी निष्ठा के साथ निभाते हैं.
इन सोलह पार्षदों में विष्वक्सेन, जय, विजय, प्रबल और बल नामक पार्षद भक्तों का मंगल करने वाले हैं. नंद, सुनंद, सुभद्र और भद्र भक्तों के भवरोगों को हरने वाले हैं. चंड, प्रचंड, कुमुद और कुमुदाक्ष परम विनीत और बहुत कृपालु हैं. शील, सुशील और सुषेण भावुक भक्तों के प्रतिपालक हैं.
ये सभी पार्षद श्रीलक्ष्मीनारायण की सेवा करके उन्हें प्रसन्न करने में बहुत चतुर हैं. वे सभी भजन में आनद पाने वाले भक्तों का हित करते हैं.
भगवान के सभी पार्षद स्वभाव से ही सिद्ध और नित्यमुक्त हैं. वे सदा भगवान् के ध्यान में मग्न रहते हैं. प्रेमभाव से पूर्ण दृष्टिकोण से भक्तों का पालन करते हैं. स्वयं भगवान् नारायण ने प्रेरणा देकर सनकादिकों से जय-विजय को तीन जन्म तक असुर होने का शाप दिलवाया. फिर प्रकट होकर उन्हें बताया कि यह सब उनकी ही इच्छा से हुआ है. यह सुनकर जय-विजय प्रसन्न हो गये और भगवान का शत्रुभाव अंगीकार कर लिया.
अत: जय-विजय को हिरन्यकश्यप-हिरन्याक्ष, रावण-कुम्भकरण और शिशुपाल-दंतद्वक्र के रूप में जन्म लेना पड़ा. इसके बाद लीला पूर्ण होने पर भगवान ने अपने अवतारों में उनका वध करके उद्धार किया.
अट्ठारह पुराण
भारतीय धार्मिक वांग्मय में अट्ठारह प्रमुख पुराणों का उल्ल्लेख मिलता है. वेद और उपनिषद में ज्ञान जिस तरह वर्णित है, उसे साधारण व्यक्ति नहीं समझ सकता. इसलिए कथा और दृष्टान्तों के माध्यम से उन्हें पुराणों में इस तरह समझाया गया है कि आम व्यक्ति उन्हें समझ सके. ये पुराण हैं- ब्रह्मपुराण, जिसमें 10 हज़ार श्लोक हैं; विष्णुपुराण, जिसमें 23 हज़ार श्लोक हैं; शिवपुराण, जिसमें चौबीस हज़ार श्लोक हैं; लिंग पुराण, जिसमें 11 हज़ार श्लोक हैं; पद्मपुराण, जिसमें 55 हज़ार श्लोक हैं; स्कंद्पुरण, जिसमें 81 हज़ार श्लोक हैं; वामन पुराण, जिसमें 10 हज़ार श्लोक हैं; मत्स्य पुराण, जिसमें 14 हज़ार श्लोक हैं; वाराह पुराण, जिसमें 24 हज़ार श्लोक हैं; अग्नि पुराण, जिसमें 15 हज़ार श्लोक हैं; कूर्म पुराण, जिसमें 17 हज़ार श्लोक हैं; गरुड़ पुराण, जिसमें 19 हज़ार श्लोक हैं; नारद पुराण, जिसमें 25 हज़ार श्लोक हैं; भविष्य पुराण, जिसमें 14 हज़ार 500 श्लोक हैं; ब्रह्म्वैवर्थपूर्ण पुराण, जिसमें 18 हज़ार शोल्क हैं; मार्कंडेय पुराण, जिसमें 9,500 श्लोक हैं; ब्रहमाण्ड पुराण, जिसमें 12 हज़ार श्लोक हैं और भागवत पुराण, जिसमें 18 हज़ार श्लोक हैं.
इन सभी पुराणों के श्लोकों की संख्या 4 लाख होती है.
इन पुराणों में जीवन, धर्म, कर्तव्यों और दायित्वों के साथ-साथ जीवन के चारों पुरुषार्थ, यथा अर्थ, धर्म काम और मोक्ष की प्राप्ति के सम्बन्ध में बहुत सरल भाषा और शैली में बताया गया है. इन पुराणों को पढ़कर लाखों लोगों ने अपने जीवन को सदाचार के साथ जीने का मार्ग पाया.