आम का आध्यात्मिक व औषधीय महत्व


स्टोरी हाइलाइट्स

दुनिया भर में खाए व पाए जाने वाला फल "आम" जो फलों के राजा के रूप में जाना जाता है, हाँ अलग-अलग भाषाओँ में इसे अलग-अलग नामों से उच्चारित किया जता है,...

आम का आध्यात्मिक व औषधीय महत्व   दुनिया भर में खाए व पाए जाने वाला फल "आम" जो फलों के राजा के रूप में जाना जाता है. हाँ अलग-अलग भाषाओँ में इसे अलग-अलग नामों से उच्चारित किया जता है, हिंदी में आम, आम्र, मराठी में आंबा, संस्कृत में कामबल्लभ, आम्र, गुजराती में अम्बो, बंगला में आम्र, अंग्रेजी में मैंगो तथा लैटिन में मैग्नीफेरा इंडिका आदि नामों से जाना जता है | अगर हम अध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो प्रत्येक पूजन व कलश स्थापना में आम की पत्ती का विशेष महत्व होता है, प्राकृतिक रूप से सूख कर गिरे आम की लकड़ी व पत्तियां हवन- यज्ञ कार्यों के लिए प्रयोग किये जाने पर उद्देश्य की पूर्ति में अतिउपयोगी सिद्ध होता है | औषधीय गुण व धर्म से कच्चा आम कषाय, अम्ल,वात एवं पित्त वर्धक और पका आम मधुर, स्निग्ध, बल तथा सुखदायक वात नाशक , शीतल, अग्नि, काफ और वीर्यवर्धक होता है | आम के बौर शीतल रुचिकारक, अतिसार, वातकारक, प्रदर और रुधिर रोग नाशक है | आम का रस दूध के साथ लेना शक्ति व वीर्यवर्धक होता है | पके आम में विटामिन ए तथा सी प्रचुर मात्रा में पाया जता है | आम की गुठली का प्रयोग मुख रोग, कफ, वात तथा मधुमेह हेतु गुणकारी है | आम की गुठली का प्रयोग बाल झड़ना व रुसी में भी काफी लाभकारी है | आम के पत्तों को शहद में मिलाकर सेवन करने से हिचकी रोग शांत हो जाता है | छाया में सुखाये गए १० ग्राम आम के पत्ते का १/२ किग्रा जल में खौलाए हुए काढ़ा का सेवन मधुमेह में अपना चमत्कारी प्रभाव दीखता है | देशी आम का २५० ग्राम रस, ५० एम. एल. गोदुग्ध और ५ ग्राम अदरक रस व १० ग्राम मिश्री मिलाकर लस्सी कि तरह फेंट ले और २-३ सप्ताह तक सेवन करना आँखों और यकृत के लिए काफी उपयोगी है | शरीर के समस्त अवयवों को शक्ति प्रदान करने के लिए आम के १० पत्ते को १ ली. पानी में डालकर खौलाएं जिसमे कम से कम १½ ग्राम इलायची का  पाउडर पडा हो, ½ हो जाने पर स्वादानुसार दूध व शक्कर मिला कर चाय की तरह सेवन करना चाहिए | आम की गुठली को जल के साथ पत्थर पर पीस कर लगाने से भंवरा, बर्रे,मधुमक्खी, बिच्छू, या विषैले कीड़े- मकोड़े के दंश से उत्पन्न वेदना, विष,जलन तथा दाह को शांत करता है | आम तथा योग के अंतर्गत आने वाला उज्जायी प्राणायाम समस्त प्रकार के कंठ रोगों  के लिए अत्यंत लाभकारी है | आम के कच्चे फल के अत्यधिक सेवन से मन्दाग्नि, विषम ज्वर, रक्तदोष, मलबद्धता जैसे रोग उत्पन्न होते है | आम खाने के तुरंत बाद जल नही पीना चाहिए | इतने सारे गुणों के कारण ही तो आम फलों का राजा कहलाता है |