आईएफएस एपीएआर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का एक महीने बाद भी पालन नहीं


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स्टोरी हाइलाइट्स

बन सकता है अवमानना का मामला, एसोसिएशन को सीएस से उम्मीद..!!

भोपाल: राज्य सरकार ने एक महीने बाद भी आईएफएस के अफसरों के एपीएआर (एनुअल परफॉर्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट) लिखने के में उच्चतम न्यायालय के फैसले का पालन संबंधित आदेश जारी नहीं किया है। जबकि भारत के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार को 21 मई 25 के फैसले पर एक माह के भीतर पालन प्रतिवेदन सौंपने के निर्देश भी दिए हैं। 

आईएफएस के अफसरों के एपीएआर के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश का एक माह से अधिक का समय बीत गया पर राज्य सरकार द्वारा संशोधन आदेश जारी नहीं किया गया। इसे लेकर आईएफएस असमंजस में है। 

उल्लेखनीय 21 मई 25 को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय दिया कि राज्य शासन द्वारा 29 जून 24 को जारी आदेश को रद्द कर 22 सितम्बर 2000 को जारी आदेश का कड़ाई से पालन करते हुए नए आदेश जारी कराएं। उच्चतम न्यायालय के फैसले के अगले दिन 22 मई 25 को ही सेन्ट्रल इम्पॉवर्ड कमेटी के सचिव चंद्र प्रकाश गोयल ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा कि आईएफएस अफसरों की एपीएआर संबंधित राज्य शासन के 29 जून 24 को जारी आदेश को रद्द कर 22 सितम्बर 2000 को जारी आदेश का कड़ाई से पालन करते हुए नए आदेश जारी कराएं। 

दिलचस्प पहलू यह भी है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा कि ने आदेश जारी करने वाले अफसर पर  कार्रवाई भी कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के एपीएआर संशोधन प्रक्रिया के आदेश को अनुचित ठहराते हुए वर्ष 2002 में पूर्ववर्ती आदेश को यथावत रखा। यानि अब डीएफओ और एपीसीसीएफ के एपीएआर में कलेक्टर कमिश्नर और प्रमुख सचिव टिप्पणी नहीं लिखेंगे। 

उच्चतम न्यायालय के आदेश से आईएफएस अफसर की जहां जीत हुई है वही प्रदेश के नौकरशाही खासकर एसीएस अशोक वर्णवाल की किरकिरी हुई है। आईएफएस बिरादरी में यह चर्चा हो रही है कि एसीएस अशोक वर्णवाल ने एपीएआर लिखने के मुद्दे को अपने अहं से जोड़ दिया है। यही वजह है कि उन्होंने अभी तक 29 जून 24 के विवादित अपने आदेश को न तो रद्द किया और न ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय मुताबिक संशोधन आदेश जारी किया।

22 सितम्बर 2000 की स्थिति बहाल करें..

पर्यावरण अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल और अन्य द्वारा दायर याचिका पर भारत के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति मसीह की अध्यक्षता वाली पीठ ने एपीएआर के मामले में 22 सितम्बर 2000 जारी राज्य सरकार के आदेश को यथावत जारी करें। पीठ ने अपने फैसले में यह भी कहा कि हमें यह मानने में कोई संकोच नहीं है कि विवादित सरकारी आदेश प्रकृति में अवमाननापूर्ण है, क्योंकि यह सरकारी आदेश इस न्यायालय के दिनांक 22 सितम्बर 2000 और 19 अप्रैल 2024 के पूर्वोक्त आदेशों का उल्लंघन करता है।

पीठ ने यह भी माना कि इसे इस न्यायालय से स्पष्टीकरण/संशोधन मांगे बिना ही जारी किया गया है। पीठ ने माना कि 29 जून 24 को जारी किए गए सरकारी आदेश इस न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करने के कारण रद्द किए जाने योग्य है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।