स्टोरी हाइलाइट्स
सुशांत की मौत के पीछे का राज जानने में करोड़ों लोगों का इंटरेस्ट है? रोज़ हजारों लोग आत्महत्या कर लेते हैं? उनकी मौत का राज़ जानना क्या ज़रूरी नहीं? वो इन्सान नही, इसलिए कि उन्होंने किसी फिल्म में काम नहीं किया?
और भी हैं सुशांत इनकी हत्या और आत्महत्या के पीछे कौन? - P अतुल विनोद
सुशांत की मौत के पीछे का राज जानने में करोड़ों लोगों का इंटरेस्ट है? रोज़ हजारों लोग आत्महत्या कर लेते हैं? उनकी मौत का राज़ जानना क्या ज़रूरी नहीं? वो इन्सान नही, इसलिए कि उन्होंने किसी फिल्म में काम नहीं किया?
ये कैसा समाज है जिसके लिए एक व्यक्ति की मौत ही मौत है बाकी से उसे कोई मतलब नहीं आखिर क्यूँ?
सुशांत चला गया उसके जाने के पीछे जो भी होगा सीबीआई पता कर लेगी| दिन भर टीवी के सामने बैठने से लोगों को क्या हासिल होगा? आप देख रहे हैं, इसलिए वो परोसने पर मजबूर हैं| जो चैनल सुशांत को दिखा रहा है उसे TRP मिल रही है, इसलिए दुसरे भी विवश हैं बाकि खबरें गिराने के लिए|
उनकी मौत के पीछे क्या कारण है क्या इस देश को जानने में इंटरेस्ट है?
हर आत्महत्या, हत्या ही होती है| व्यक्ति स्वयं करे या दूसरा| दूसरा करे तब तो ठीक, लेकिन व्यक्ति खुद को मारने पर मजबूर हो जाए तो इसे प्रेरित करने वाले हत्यारे से ज्यादा बड़े गुनहगार होते हैं|
देश में हजारों-लाखों लोगों की आत्महत्याओं के पीछे कौन है?
भले ही दिखाई ना दे लेकिन हर आत्महत्या के पीछे वजह होती है| वजह कभी भी व्यक्तिगत नहीं होती, वजह हमेशा सामाजिक होती है| व्यक्ति भले ही परेशान हो, दुखी, शोषित,पीड़ित, बीमार या असफल हो, इन सब के पीछे उस दौर, समाज और शासन की भूमिका होती ही है| एक युवा यदि नशे का शिकार है नशे के कारण उसकी सेहत बिगड़ गई, यदि व्यक्ति आर्थिक रूप से विपन्न हो गया, रिश्ते नाते बिगड़ गए, उसने कोई गलत काम कर दिया| किसी भी कारण से उसने आत्महत्या की उस कारण के पीछे जाया जाए तो कहीं ना कहीं सामाजिक व्यवस्था, मान्यता, चलन-प्रचलन ज़रुर होता है|
आत्महत्या करने वाला सामान्य व्यक्ति नहीं होता, वह समाज के संवेदनशील लोगों में से एक होता है जो आत्महत्या के सामाजिक प्रवाह में बह जाता है|जब कोई व्यक्ति किसी दुख से सुसाइड करता है तो उसके पीछे समाज और व्यवस्था ही उसकी चेतना में मौजूद होते हैं|
व्यक्ति यदि अपने अहम के कारण आत्महत्या करता है तो उसके अहम् का पोषण करने वाला कौन है?
समाज ने ही मान को इतनी मान्यता दी कि व्यक्ति इसकी जरा सी मानहानी को बर्दाश्त नहीं कर पाता| समाज ताकतवर, धनी, रसूखदार, ऊंची पहुंच वाले व्यक्ति को इतना ज्यादा तवज्जो देता है इनके बिना एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति अपने आप को इतना हीन समझ लेता है कि वह मौत को गले लगा लेता है|अपने जीवन को त्याग करने की इच्छा पैदा हो जाना, उसे पूरा करने के कारण मिल जाना, फिर कदम उठा लेना, यह व्यक्ति खुद नहीं कर सकता जब तक कि समाज ने उसे इसके लिए फेवरेबल कंडीशन नहीं दी हो|
सुसाइड देश की शासन और सामाजिक व्यवस्था पर निर्भर है, क्योंकि दुनिया के तमाम मुल्कों में एक समान सुसाइडल केस नहीं है|किसी देश में सुसाइड केस बहुत कम है तो किसी में बहुत ज्यादा| इसका अर्थ यह है कि कोई देश आत्महत्या के अनुकूल है और कोई नहीं|
हमारा देश यदि आत्महत्या के अनुकूल है तो इसके पीछे कौन जिम्मेदार है?
देश देश की शासन व्यवस्था देश की प्रशासनिक व्यवस्था देश के लोग प्रचलित रीति रिवाज मान्यताएं सोच समझ?
सुसाइड के लिए सिर्फ मनोवैज्ञानिक कारण जिम्मेदार नहीं है इसके पीछे बायोलॉजिकल और जियोग्राफिकल रीजन्स भी रिस्पोंसिबल हैं|
सुसाइड के पीछे जरूर कोई ना कोई प्रेरक होता है?जैसे हत्या के पीछे कोई हत्यारा होता है, वैसे ही आत्महत्या के पीछे कोई महा-हत्यारा होता है?
वह महाहत्यारा कोई व्यक्ति ही हो जरूरी नहीं|बीमारी,स्नायु दोष,नशा यदि सुसाइड के कारण होते हैं तो ऐसे सभी लोग सुसाइड करते जो इनके शिकार हैं|
इन सब से साफ होता है कि सुसाइड के पीछे समाज और शासन व्यवस्था सबसे बडी जिम्मेदार है?
क्योंकि समाज में बीमारी स्वीकार्य नहीं, क्योंकि समाज में असफलता स्वीकार्य नहीं, क्योंकि समाज में दरिद्रता स्वीकार्य नहीं, क्योंकि समाज में गलतियां स्वीकार्य नहीं|व्यक्ति आत्महत्या तब करता है जब वह समाज से कट जाता है समाज से क्यों कटता है? क्योंकि समाज के थोथे आदर और झूठे दिखावे से उसका भरोसा उठ जाता है| यदि व्यक्ति को न्याय नहीं मिला तब भी वह आत्महत्या को गले लगा सकता है| अन्याय भी सामाजिक व्यवस्था का दुष्परिणाम है| समाज का तिरस्कार, तिरस्कार की आशंका, व्यक्ति को कमजोर बनाती है उसका ईगो हर्ट हो जाता है| समाज विखराव की तरफ बढ़ता है तो आत्महत्या की तरफ बढ़ता है| जो समाज संगठित है, जिस समाज में एक दूसरे के प्रति सद्भाव और सहायता है, उस समाज के लोग कभी आत्महत्या नहीं कर सकते| समाज जब व्याकुल होता है तो समाज में रहने वाले व्यक्ति परेशान हो जाते हैं| दिखाई नहीं पड़ता लेकिन जब परिवार टूटते हैं, जब मदद के हाथ उठना बंद हो जाते हैं, जब एकता टूटती है तो व्यक्ति का मन भी टूटता है| जब समाज में बेईमानी व्याप्त हो जाती है| बेईमानी के दम पर गलत लोग सरवाइव करने लग जाते हैं| न्याय की उम्मीद खत्म हो जाती है तब व्यक्ति आत्महत्या की तरफ बढ़ता है|
जो व्यक्ति धर्म से जुड़कर रहता है| और जिस व्यक्ति के धर्म से जुड़े हुए लोग आपस में ज्यादा एकजुट होते हैं वह लोग सुसाइड की तरफ कम आकर्षित होते हैं|हमारी शिक्षा भी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार है क्योंकि हमारी शिक्षा हमारे परंपरागत विश्वास को कमजोर करती है वह व्यक्ति को व्यक्तिवाद अहंकार की तरफ ले जाती है| हमारी शिक्षा व्यवस्था व्यक्ति को वैज्ञानिक बनाने के चक्कर में अभिमानी बना देती है| व्यक्ति का अपने धर्म, ईश्वर से संपर्क तोड़ने वाली शिक्षा व्यवस्था कभी भी आत्महत्या की विरोधी नहीं हो सकती|
परिवार में विघटन भी आत्महत्या का एक प्रमुख कारण है परिवार टूट रहे हैं, लोग छोटा परिवार पसंद करते हैं, जिस परिवार में सदस्य ज्यादा होंगे, उस परिवार में आत्महत्या अपवाद ही होगी, लेकिन जिस परिवार में सदस्य कम होंगे उसमें आत्महत्या सामान्य बात हो सकती है| दहेज, कुप्रथाएं भी आत्महत्याओं की प्रेरक हैं| हमारी शासन व्यवस्था आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ाने में सहायक है| सरकारें संसाधनों के संतुलित बंटवारे में नाकाम साबित हुई| चंद लोग बहुत कुछ हासिल कर लेते हैं और बहुसंख्यक लोग बहुत कम|
आर्थिक असंतुलन आत्महत्या के प्रमुख कारणों में से एक है| जब किसी देश में सरकारें लोगों को राष्ट्रीय भावना से जोड़ती हैं, मिलजुल कर खतरे का सामना करने की चाह पैदा करती है, तब उस देश में आत्महत्या का प्रतिशत गिर जाता है|
जिस देश के नागरिक राष्ट्रीयता की भावना से पूरित होंगे उस देश के नागरिक शायद ही आत्महत्या करेंगे|