जीवन का अंतिम लक्ष्य परोपकार ही होना चाहिए!


स्टोरी हाइलाइट्स

जीवन का अंतिम लक्ष्य परोपकार ही होना चाहिए! न्यूज़ पुराण के पाठकों के लिए कुछ बातें जीवन से जुडी हुयी मित्रो जीवन का अर्थ ही यह है जियो और जीने दो। एक कहावत है”जो हाथ आपको गुलाब का फूल प्रदान करते है उन हाथों में भी थोड़ी सी ख़ुशबू रह जाती है”इसका अर्थ स्पष्ट है-जब आप दूसरों के जीवन को सुधारने का कार्य करते है तो आप इस प्रक्रिया में अप्रत्यक्ष रूप से अपने जीवन को उत्कर्ष बनाते है। जब आप प्रतिदिन छोटे -मोटे परोपकार के कार्य करने के अभ्यास करते है तों आपका निजी जीवन कहीं अधिक सम्र्द्ध और अधिक महत्वपूर्ण होने लगता है। प्रत्येक दिन की पवित्रता और अखंडता बनाए रखने के लिए किसी न किसी प्रकार से दूसरों की सेवा करते रहें। मेरा आप सबको एक सुझाव है कि आप इस धरती पर अपनी भूमिका के लिए नया रूपांतरण अपनाओ। रूपांतरण परिस्थितियों को या जीवन को सामान्य तौर से देखने का सिर्फ़ एक तरीक़ा है। नकारात्मक लोग जीवन रूपी गिलास को हमेशा आधा ख़ाली देखते है,और आशावादी और सकारात्मक लोग इसे हमेशा आधा भरा हुआ ही देखते है और आशावादी लोग उन्ही परिस्थितियों को अलग तरीक़े से देखते है ,क्योंकि ऐसे लोगों ने अपना अलग द्रष्टिकोण अपना लिया है। एक रूपांतरण बुनियादी तौर पर ऐसा लैंस होता है,जिसके द्वारा आप जीवन की आंतरिक और बाहरी घटनाओं को देख सकते हो। यदि आप अपने जीवन की गुणवता में नाटकीय सुधार व बदलाव चाहते है तो आपको एक नया दृष्टिकोण अपनाना होगा कि आप इस प्रथवी पर क्यों आए हो? आपको यह ज्ञात होना चाहिए कि जब आप इस दुनिया में आए थे तब आपके पास कुछ नहीं था और जब आप इस दुनिया से विदा लेंगे तब भी आपके साथ कुछ नहीं आएगा। अत:आपके यहाँ होने का एक ही कारण हो सकता है! और वह कारण क्या होगा?” अपने आपको दूसरों की सेवा में लगाओ और विशेष तरीक़े से अपना योगदान दो” मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आप अपना व्यवसाय अपनी नौकरी छोड़ दो। मैं तो सिर्फ़ यह कहना चाहता हूँ कि आप अपने वर्तमान कार्य को करते हुए अपने धन का व अपने समय का सदुपयोग करना शुरू कर दे।इस संसार में परमात्मा ने हर किसी को विशेष उपहार लेकर भेजा है बस उस उपहार को समझने की ज़रूरत है कि आपके पास ऐसी क्या विशेष चीज़ है जिसका आप जनकल्याण के कार्यों के लिए उसका इस्तेमाल कर सकें। जैसे -बहुतायत में मानसिक क्षमता,असीमित ऊर्जा शक्ति,असीमित क्रियाशीलता,प्रचूर मात्रा में धन जो भी आपके पास मौजूद है।सिर्फ़ इन ख़ज़ानों का ताला खोलने और जनकल्याण के लिए इनका इस्तेमाल करने की ज़रूरत है बस आपको संसार के प्रति अपने नज़रिए में बदलाव लाना होगा। बस आपको अधिक दयालु और भला इंसान बनना होगा। यदि हम सब यह बात समझ ले कि भला बनने का अर्थ है-दूसरों को देना। चाहे इसका तात्पर्य अपना समय देने से हो ,अपनी ऊर्जा शक्ति देने से या फिर अपना धन देने से हो,ये सब वास्तव में हम सब के पास अत्यंत बहुमूल्य चीजें है जैसे आप एक नियम बना सकते है कि मैं हर रविवार को या महीने की १ तारीख़ को ये परोपकार का कार्य करता रहूँगा। आप प्रतिदिन भी परोपकार के कार्य कर सकते है ज़रूरतमंद की ज़रूरत को पूरा करके।भले वो किसी को रोड़ पार करवाना ही क्यों न हो। परोपकार को ही जीवन का मूलमंत्र बना ले। जयहिंद भगीरथ पुरोहित अहमदाबाद मो:9825173001 लेखक परोपकारी संस्था "आनंद ही जीवन है" के संस्थापक हैं|