भोपाल:प्रदेश बाघों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन उनके विचरण का क्षेत्र सिकुड़ रहा है। इसका मतलब है कि बाघों की आबादी बढ़ रही है, लेकिन वे पहले की तुलना में छोटे क्षेत्रों में सिमटते जा रहे हैं। यह एक गंभीर समस्या को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने न केवल गंभीरता से लिया है, बल्कि उस दिशा में कदम भी आगे बढ़ा दिया।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने सत्ता संभालने के बाद सबसे पहले रातापानी को टाइगर रिजर्व घोषित किया। उसके बाद माधव टाइगर रिजर्व के अलावा डॉ भीमराव अंबेडकर सेंचुरी, रानी दुर्गावती और लोकमाता देवी अहिल्याबाई सेंचुरी बनाने की दिशा में आगे बढ़ें है। डॉ यादव द्वारा नई सेंचुरियां बनाने की पहल से न केवल टाइगर की आपकी संघर्ष में मौत को कम किया जा सकेगा, बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम किया जा सके।
बढ़ते बाघ सिकुड़ती टेरिटरी
नेशनल पार्क क्षेत्रफल संख्या |
कान्हा 2117 120 |
बांधवगढ़ 1530 160 |
पेंच 1179 80 |
पन्ना 1597 65 |
सतपुड़ा 2133 65 |
संजय 1644 35 |
( स्त्रोत- 2022 की गणना के अनुसार.....)
सिकुड़ती टेरिटरी के कारण
आवास का नुकसान: मानव गतिविधियों के कारण जंगलों का विनाश और विखंडन हो रहा है, जिससे बाघों के रहने के लिए उपलब्ध क्षेत्र कम हो रहा है।
मानव-वन्यजीव संघर्ष: बाघों के रहने के क्षेत्र कम होने से वे मानव बस्तियों के करीब आ रहे हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं।
बाघों का आपसी संघर्ष:
एक ही क्षेत्र में अधिक बाघों के होने से उनके बीच आपसी संघर्ष बढ़ रहा है, जिससे कुछ बाघों की जान भी जा रही है।
मानव-वन्यजीव संघर्ष: बाघों का मानव बस्तियों के करीब आना मानव-वन्यजीव संघर्ष को जन्म देता है, जिसमें लोग और बाघ दोनों घायल या मारे जा सकते हैं।
इनब्रीडिंग का खतरा: छोटे और अलग-अलग क्षेत्रों में रहने से बाघों में इनब्रीडिंग (एक ही परिवार के सदस्यों के बीच प्रजनन) का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उनकी आनुवंशिक विविधता कम हो जाती है।
बाघों का संरक्षण जरूरी
बाघों और उनके आवासों को बचाने के लिए प्रभावी संरक्षण नीतियों को लागू करना आवश्यक है। सबसे पहले नई सेंचुरी बनाकर वहां कान्हा बांधवगढ़, पन्ना और पेंच से टाइगर को शिफ्ट करना होगा। इस पहल से टाइगर को पर्याप्त टेरिटरी मिल सकेगी। नई सेंचुरी बनाने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति मजबूत करना होगी। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री और अतिक्रमणकारियों के दबाव में नई सेंचुरी बनाने की पहल पर ग्राम लग गया। राज्य शासन के पास विचाराधीन सेंचुरियों में सरदार वल्लभ भाई पटेल सीहोर, महात्मा गांधी अभयारण्य बुरहानपुर, राजा दलपत शाह अभयारण्य मंडला, राजेन्द्र प्रसाद अभयारण्य, अहिल्याबाई होल्कर अभयारण्य इंदौर, जमुना देवी अभयारण्य धार, इंदिरा गांधी नरसिंहपुर और मांधाता सेंचुरी शामिल है।
नई सेंचूरियां बनने से होंगे कई फायदे भी
जल संरक्षण होगा
हरियाली बढ़ेगी
ग्रीन हाऊस गैसेस का प्रभाव कम होगा
वनों का पुनर्जीवन होगा
जंगल से बाहर आने वाले वन्यप्राणियों को वैकल्पिक रहवास मिलेगा
ग्रामीण क्षेत्रों में जनहानि और पशुहानि में कमी आएगी
जंगलों की सुरक्षा होगी और वनाच्छादन बढ़ेगा