आज के अधिकारी राजनीतिक आकाओं के प्रति वफ़ादारी के चक्कर में फाइलों की हेराफेरी और कागजी करवाई में फंस गए हैं : राष्ट्रपति मुर्मू


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स्टोरी हाइलाइट्स

चुनौतियों का सामना करने और जंगलों को बचाने के लिए वन अधिकारियों को खुद ही रास्ते तलाशने होंगे क्योंकि यह प्रशिक्षण में नहीं सिखाया जा सकता..!!

भोपाल: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि दुर्भाग्य से आज के अधिकारी राजनीतिक आकाओं के प्रति वफादारी, फाइलों की हेराफेरी और कागजी कार्रवाई में फंस गए हैं। इन चुनौतियों का सामना करने और जंगलों को बचाने के लिए वन अधिकारियों को खुद ही रास्ते तलाशने होंगे क्योंकि यह प्रशिक्षण में नहीं सिखाया जा सकता।

राष्ट्रपति मुर्मू 24 अप्रैल को आईजीएनएफए देहरादून में दीक्षांत समारोह में 2022 आईएफएस अधिकारी प्रशिक्षुओं कर रहीं थी। एक तरह से राष्ट्रपति मुर्मू आईएफएस अफसरों को हकीकत का आइना दिखाया। राष्ट्रपति मुर्मू ने आगे यह भी कहा कि  आज वन अधिकारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उन दंभी राजनेताओं का सामना कैसे किया जाए जो वन संरक्षण संबंधी चिंताओं को कम करके तथाकथित विकासात्मक चिंताओं को सर्वोपरि रखने के लिए वन सलाहकार समिति को बेशर्मी से उकसाते हैं।

उन्हें यह याद रखने के लिए आगाह किया कि वैध कर्तव्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने की पेशेवर चुनौतियों का सामना करने के लिए उनकी असली परीक्षा अब शुरू होगी। जो उनका जंगलों और भारत के लोगों के प्रति है। 

वन अधिकारियों को खुद ही रास्ते तलाशने होंगे

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से आज के अधिकारी राजनीतिक आकाओं के प्रति वफादारी, फाइलों की हेराफेरी और कागजी कार्रवाई में फंस गए हैं। इन चुनौतियों का सामना करने और जंगलों को बचाने के लिए वन अधिकारियों को खुद ही रास्ते तलाशने होंगे क्योंकि यह प्रशिक्षण में नहीं सिखाया जा सकता।

मैं जानती हूं, कि आज के राजनीतिक आधिपत्य के माहौल में वन अधिकारियों के समक्ष चुनौतियों से पार पाना इतना आसान नहीं है, लेकिन पेशेवर और सामाजिक कौशल का उपयोग करके कोई भी व्यक्ति वनों की भलाई के लिए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सकता है।