बरसात के मौसम में कई जगह घरों के आसपास पानी भर जाता है और ऐसे में डेंगू के मच्छर पनपते हैं और बुखार फैलाते हैं। डेंगू का बुखार बहुत खतरनाक होता है, यह रोगी को बहुत कमजोर बना देता है और बुखार ठीक होने तक प्रभाव बना रहता है।
इस बुखार में रोगी के शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम हो जाती है, जिससे रोगों से लड़ने की शक्ति भी समाप्त हो जाती है। डेंगू के इलाज के दौरान किसी और के शरीर से प्लेटलेट्स चढ़ा कर मरीज की जान बचाई जाती है। हमारे आयुर्वेद में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिनकी मदद से हम बुखार कम होने पर साधारण चीजों का सेवन कर प्लेटलेट्स बढ़ा सकते हैं।
डेंगू के लक्षण:
तेज बुखार के साथ-साथ डेंगू के कुछ और भी लक्षण होते हैं-
- - जोड़ों का दर्द।
- - सिरदर्द।
- - मांसपेशियों की ऐंठन।
- - मतली और उल्टी।
- - कभी-कभी शरीर में लाल दाने भी निकल आते हैं।
गिलोय और तुलसी-
गिलोय एक बेल है जिसमें कई औषधीय गुण छिपे होते हैं। गिलोय का उपयोग लंबे समय से रोगों के उपचार में किया जाता रहा है, यह प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाता है, साथ ही हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। डेंगू के रोगी को तुलसी के रस में गिलोय मिलाकर पिलाएं। डेंगू में तुलसी और गिलोय दोनों ही चमत्कारी असर दिखाते हैं।
पपीते के पत्ते का रस-
पपीते के पत्ते डेंगू में बहुत फायदेमंद होते हैं, इनमें ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो प्लेटलेट्स को बढ़ाते हैं। पपीते के पत्ते का जूस पीने से डेंगू के मरीजों को फायदा होता है। इससे लीवर भी मजबूत होता है। पपीते का जूस बनाने के लिए पत्तों को अच्छे से पीस लें, फिर पिसी हुई पत्तियों को दबाकर रस निकाल लें, पपीते के पत्ते का जूस आप मिक्सर में भी बना सकते हैं, लेकिन देशी तरीका ज्यादा फायदेमंद होता है। डेंगू के रोगी को पपीते के पत्ते का रस दिन में दो बार पीना चाहिए।
पपीता और गिलोय डेंगू में विशेष रूप से फायदेमंद होते हैं, लेकिन इसके अलावा बकरी का दूध और कीवी, अनार, चुकंदर जैसे फलों का रस पीना भी फायदेमंद माना जाता है। हालांकि इन सभी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।