विटामिन डी एक आवश्यक पोषक तत्व है जो शरीर को कई तरह से स्वस्थ रहने में मदद करता है। हालांकि इसे ज्यादा मात्रा में लेना भी खतरनाक है लेकिन अगर शरीर में इसका लेवल ज्यादा हो जाए तो ये जानलेवा भी साबित हो सकता है। ऐसे में कई बार शरीर को स्वस्थ रखने वाला यह पोषक तत्व दुश्मन भी बन जाता है।
चलिए जानते हैं कि विटामिन डी क्यों और कितनी मात्रा में जरूरी है, इसकी कमी और ज्यादा मात्रा में लेने से क्या नुकसान हो सकते हैं।
विटामिन डी शरीर के भीतर कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो स्वस्थ हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। विटामिन डी की कमी बच्चों में रिकेट्स और वयस्कों में ऑस्टियोमलेशिया से होने वाले हड्डियों में दर्द जैसी हड्डी संबंधी असामान्यताओं का कारण बन सकती है।
विटामिन डी सप्लीमेंट्स के लंबे समय तक अत्यधिक सेवन से हाइपरकैल्सीमिया हो सकता है, जहां शरीर में अत्यधिक कैल्शियम जमा हो जाता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और किडनी और हृदय को नुकसान पहुंचता है।
अधिकांश लोगों के लिए, विटामिन डी का दैनिक सेवन 10 माइक्रोग्राम पर्याप्त होता है। वयस्कों, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बुजुर्गों और 11 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों सहित 100 माइक्रोग्राम (4,000 आईयू) प्रति दिन से अधिक नहीं लेने की सलाह दी जाती है। 1 से 10 साल के बच्चों को प्रतिदिन 50 माइक्रोग्राम (2,000 आईयू) से अधिक नहीं लेना चाहिए 12 महीने से कम उम्र के शिशुओं को 25 माइक्रोग्राम (1,000 आईयू) प्रति दिन से अधिक नहीं लेना चाहिए।