नेपाल में सरकार के ख़िलाफ़ हिंसक विरोध प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी है। युवा प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू समेत कई शहरों में तोड़फोड़ और आगजनी की। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के निजी आवास पर कब्ज़ा कर उसे आग के हवाले कर दिया। सोमवार 8 सितम्बर को गृह मंत्री पद से इस्तीफ़ा देने वाले रमेश अखिल, विदेश मंत्री डॉ. आरजू राणा देउबा, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई है। जनता फिर से संसद भवन की ओर बढ़ रही है, प्रदर्शनकारियों ने रास्ते में लगे बैरिकेड्स भी तोड़ दिए हैं।
नेपाल में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बाद सोशल मीडिया फिर से शुरू कर दिया गया। इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 20 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 250 से ज़्यादा घायल हुए हैं। इन विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व जेन-ज़ी यानी 18 से 30 साल के युवाओं ने किया। इस बीच, सेना की गोलीबारी में 18 लोग मारे गए हैं, जबकि 200 से ज़्यादा घायल हुए हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और सरकारी भ्रष्टाचार के विरोध में सोमवार 8 सितम्बर सुबह 12 हज़ार से ज़्यादा प्रदर्शनकारी युवा संसद भवन परिसर में घुस गए, जिसके बाद सेना ने कई राउंड फायरिंग की। नेपाल के इतिहास में संसद में घुसपैठ का यह पहला मामला है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने संसद के गेट नंबर 1 और 2 पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद संसद भवन, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास के आसपास के इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया। काठमांडू प्रशासन ने तोड़फोड़ करने वालों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है।
नेपाल में जारी हिंसक प्रदर्शन के चलते भारत में बहराइच बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया गया है। यहां भारत नेपाल सीमा पर चौकसी भी बढ़ा दी गई है।
नेपाल के पूर्व वित्त सचिव रामेश्वर खनल ने कहा कि सरकार के मनमाने और गलत फैसलों और सुशासन प्रदान करने में विफलता ने युवाओं में गुस्सा भड़का दिया है। बड़े भ्रष्टाचार घोटालों और सरकारी नियुक्तियों की खरीद-फरोख्त के बारे में सुन और समझ चुकी युवा पीढ़ी में गुस्सा बढ़ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने नेपाल सरकार पर दमन का आरोप लगाया है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन जब हम आगे बढ़े तो देखा कि पुलिस लोगों पर हमला कर रही है और गोलियां चला रही है। सत्ता में बैठे लोग अपनी ताकत हम पर नहीं थोप सकते। भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों को दबाया जा रहा है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है।
इस बीच, उप-प्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह समेत कई मंत्रियों ने अपने इस्तीफ़े की घोषणा कर दी है। सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों के बाद मंत्रियों के इस्तीफ़ों का सिलसिला जारी है। सोमवार को गृह मंत्री रमेश अखिल ने इस्तीफ़ा दे दिया। इसके बाद मंगलवार को कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल समेत नेपाली कांग्रेस के सभी नेताओं ने इस्तीफ़ा दे दिया। पीपुल्स सोशलिस्ट पार्टी के नेता और पेयजल मंत्री प्रदीप यादव ने भी इस्तीफ़ा दे दिया है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने सोमवार को कहा था कि प्रधानमंत्री ओली इस्तीफ़ा नहीं देंगे। हालाँकि, नेपाल में गठबंधन सरकार के गिरने की आशंका बढ़ गई है। इसी को ध्यान में रखते हुए ओली ने मंगलवार 9 सितम्बर की शाम 6 बजे एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। ओली का कहना है कि वह स्थिति का आकलन करने और निष्कर्ष निकालने के लिए संबंधित पक्षों से बात कर रहे हैं।
ओली ने कहा, 'मैं कल राजधानी और देश के विभिन्न हिस्सों में हुए विरोध प्रदर्शनों और उसके बाद हुई घटनाओं से दुखी हूँ।' किसी भी प्रकार की हिंसा राष्ट्रहित में नहीं है और इसका समाधान शांतिपूर्ण तरीकों और बातचीत से ही संभव है।
गठबंधन सरकार में शामिल नेपाली कांग्रेस ने अपने मंत्रियों के इस्तीफे का आदेश दिया है। पार्टी नेता और वर्तमान सरकार के मंत्री प्रकाश मान सिंह, अर्जू राणा देउबा (विदेश मंत्री), तेजू लाल चौधरी (खेल), अजय चौरसिया (कानून), दीपक खड़का (ऊर्जा), ऐन बहादुर शाही (वानिकी), प्रदीप पौडेल (स्वास्थ्य एवं जनसंख्या), रामनाथ अधिकारी (कृषि) और बद्री पांडे (पर्यटन) ने इस्तीफा दे दिया है।
नेपाल में, 88 सीटों वाली शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस और 79 सीटों वाली केपी शर्मा ओली की सीपीएन (यूएमएल) जुलाई 2024 से सरकार चला रही हैं। नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने भी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है।
नेपाल में सोशल मीडिया फिर से शुरू हो गया है। नेपाल में सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म दोपहर 3:15 बजे के बाद बिना वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) के चल रहे हैं। 3 सितंबर को नेपाल सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया साइट्स पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था। ये प्लेटफॉर्म नेपाल के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में पंजीकृत नहीं थे। मंत्रालय ने 28 अगस्त से सात दिन की समय सीमा दी थी, जो 2 सितंबर को समाप्त हो गई।
पुराण डेस्क