भगवान शिव और मछुआरे औरत की क्या कहानी है?


स्टोरी हाइलाइट्स

कथा इस प्रकार आगे बढ़ती है-एक बार मां पार्वती ने शिव से अमर कथा और सृष्टि के आदि रहस्यों को समझने की जिद करने लगी। हारकर शिव को उनकी बात माननी पड़ी। लेकिन शर्त यह थी कि जो भी अमर कथा सुनेगा उसे वह कथा पूरी सुननी पड़ेगी। बीच में वह छोड़ नहीं सकता। शिव ने कथा सुनानी शुरू की, लेकिन इससे पहले की कथा पूरी होती मां को नींद आ गई । पार्वती को सोता देख शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने कहा, "तुम एक आदि शक्ति होकर भी कभी-कभी मनुष्य जैसा व्यवहार करने लगती हो।

भगवान शिव और मछुआरे औरत की विवाह की कहानी प्राचीन है, जिसे आप शिव पुराण में पढ़ सकते हैं। कथा इस प्रकार आगे बढ़ती है- एक बार मां पार्वती ने शिव से अमर कथा और सृष्टि के आदि रहस्यों को समझने की जिद करने लगी। हारकर शिव को उनकी बात माननी पड़ी। लेकिन शर्त यह थी कि जो भी अमर कथा सुनेगा उसे वह कथा पूरी सुननी पड़ेगी। बीच में वह छोड़ नहीं सकता। शिव ने कथा सुनानी शुरू की, लेकिन इससे पहले की कथा पूरी होती मां को नींद आ गई । पार्वती को सोता देख शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने कहा, "तुम एक आदि शक्ति होकर भी कभी-कभी मनुष्य जैसा व्यवहार करने लगती हो।" यह सुनकर मां को अच्छा नहीं लगा और उन्होंने शिव से कहा, "अब मुझे प्राप्त करने के लिए आपको मनुष्य योनि में ही जन्म लेना पड़ेगा।" इतना कहने के पश्चात वह अंतर्ध्यान हो गयी। पार्वती के जाने के पश्चात शिव बहुत उदास रहने लगे। कई बार उन्हें याद भी किया लेकिन वह आए तो कैसे उन्होंने एक मछुआरे के मुखिया के घर में जन्म ले लिया था। समय बीतने के साथ-साथ पार्वती अपने बाल्यावस्था से निकलकर युवावस्था में प्रवेश कर गयी। उनकी सुंदरता और बहादुरी बहुत प्रचलित थी। कई नवयुवा उनसे विवाह करने की इच्छा रखते थे। इधर शिव कई साल विरह में बिताने के बाद पार्वती को वापस लाने की सोची। उन्होंने अपने प्रिय नंदी को याद किया और एक लीला रची। शिव के कहे अनुसार नंदी ने एक विशालकाय मछली का रूप धारण किया और उसी नदी में चले गए जहां वह मछुआरे मछली पकड़ने आया करते थे। वहां नंदी ने मछली रूप में नदी में खूब उपद्रव मचाया। जब कभी भी उधर के मछुआरे मछली पकड़ने जाते या तो नंदी महाराज जाल तोड़ देते या वहां से मछुआरों को ही भगा देते। सारे मछुआरे अपनी गुहार लेकर अपने मुखिया के पास पहुंचे। मुखिया ने उनकी बात सुनी और और ऐलान करवा दिया कि जो कोई भी उस मछली को पकड़कर मेरे सामने लाएगा, मैं उससे पार्वती का विवाह कर दूंगा। इतना सुनने के बाद बहुत सारे नवयुवावों ने प्रयास किया। लेकिन नंदी को पकड़ने में असफल रहे। अंततः शिव ने मनुष्य रूप धारण करके मछुआरे की मुखिया के पास पहुंचे और उस मछली को पकड़ने की अपनी इच्छा जतायी । जैसे वह नदी के पास पहुंचे नंदी ने उन्हें देखते ही समझ गए कि यहीं मेरे इष्ट हैं और खुद को उन्हें समर्पित कर दिया। इस प्रकार शिव और पार्वती का पुनः विवाह हुआ।