व्हेल मछली की उल्टी (एम्बरग्रीस) क्या है, जो लाखों-करोंडो रूपये में बिकती है?


स्टोरी हाइलाइट्स

जहां आमतौर व्हेल मछलियां आती हैं, वहां सालों तक लोग तट के किनारे औरपानी में जाकर इसकी खोज करते हैं.|

एक किग्रा व्हेल के उल्टी की कीमत 1 करोड़ 70 लाख रुपये है। जहां आमतौर व्हेल मछलियां आती हैं, वहां सालों तक लोग तट के किनारे औरपानी में जाकर इसकी खोज करते हैं. अगर ये उन्हें ठोस रूप में मिल जाती है तो उनका जीवन धन्य हो जाता है ऐसा क्यों है- व्हेल की उल्टी को एम्बरग्रीस कहते हैं, यह उल्टी स्पर्मव्हेल के पाचन तंत्र में पाया जाता है। इस पदार्थ का उपयोग परफ्यूम बनाने में किया जाता है। व्हेल इस पदार्थ को उल्टी कर देता है और उल्टी समुद्र में तैरती रहती है जिसे बाद में इकट्ठा करके प्रयोग किया जाता है। यह बहुतायत में अटलांटिक महासागर में पाया जाता है। उल्टी जिसे देखकर क्या,सुनकर ही मन खराब हो जाता है, लेकिन क्या आप ये बात जानते है कि ये उल्टी किसी हीरे से कम नहीं है, ये उल्टी आपको रातों-रात करोड़पति बना सकती है। अब आपके मन में सवाल तो जरूर उठा होगा कि आखिर ये व्हेल की उल्टी इतनी मंहगी क्यों है? दरअसल व्हेल की उलटी से एम्बरीन नाम का एक पदार्थ निकाला जाता है, इसमें महक नहीं होती लेकिन इसे पर्फ्यूम में मिलाने से उसकी खुशबू ज्यादा वक्त तक बनी रहती है। एम्बरग्रीस ज्यादातर इत्र और दूसरे सुगंधित उत्पाद बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. एम्बरग्रीस से बना इत्र अब भी दुनिया के कई इलाकों में मिल सकता है. प्राचीन मिस्र के लोग एम्बरग्रीस से अगरबत्ती और धूप बनाया करते थे. वहीं आधुनिक मिस्र में एम्बरग्रीस का उपयोग सिगरेट को सुगंधित बनाने के लिए किया जाता है. प्राचीन चीनी इस पदार्थ को "ड्रैगन की थूकी हुई सुगंध" भी कहते हैं. यूरोप में ब्लैक एज (अंधकार युग) के दौरान लोगों का मानना था कि एम्बरग्रीस का एक टुकड़ा साथ ले जाने से उन्हें प्लेग रोकने में मदद मिल सकती है. ऐसा इसलिए था क्योंकि सुगंध हवा की गंध को ढक लेती थी, जिसे प्लेग का कारण माना जाता था. इस पदार्थ का भोजन का स्वाद बढ़ाने के और कुछ देशों में इसे सेक्स पावर बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. मध्य युग के दौरान यूरोपीय लोग सिरदर्द, सर्दी, मिर्गी और अन्य बीमारियों के लिए दवा के रूप में एम्बरग्रीस का उपयोग करते थे. क्या कहते हैं वैज्ञानिक वैज्ञानिकों के मुताबिक व्हेल मछली की उल्टी से बनने वाला ये खास पत्थर एक तरह का अपशिष्ट होता है। जिसे व्हेल पचा नहीं पाती और कई बार अपने मुंह से ही उगल देती है। इन्हें वैज्ञानिक भाषा में एम्बरग्रीस भी कहा जाता है। इसका रंग काले रंग का या फिर भूरे रंग का होता है। ये मोम जैसा ज्वलनशील पदार्थ है। आम तौर इसका वजह से 15 ग्राम से 50 किलोग्राम तक हो सकता है। माना जाता है कि वे की उल्टी कुछ ही समय बाद ठोस रूप ले लेती है, और फिर यह जितनी पुरानी होती जाती है उतनी ही बेशकीमती होती जाती है। कई वैज्ञानिक इसे व्हेल की उल्टी तो कई वैज्ञानिक इसे मल बताते हैं यह मछली के अंदर का वह अपशिष्ट पदार्थ है जो किं व्हेल मछली पचा नहीं पाती और शरीर से बाहर निकाल देती है इस पदार्थ को एम्बरग्रीस कहते हैं।