भोपाल: जंगल महकमे की सबसे महत्वपूर्ण विकास शाखा में प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के आईएफएस की पोस्टिंग होगी या फिर किसी अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक स्तर के अफसर को पदस्थ किया जाएगा। यह सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि एपीआर लिखने की नई प्रक्रिया के तहत CF अथवा CCF की एपीआर (एनुअल अप्रेजल रिपोर्ट) अपर प्रधान मुख्य संरक्षक विकास लिखेंगे और उसकी समीक्षा पीसीसीएफ वर्किंग प्लान द्वारा किया जाएगा।
विकास शाखा में सदस्य 1988 बैच के प्रधान मुख्य वन संरक्षक कमलेश चतुर्वेदी गुरुवार को सेवानिवृत होने जा रहें हैं। अब इस पद को हथियाने के लिए 1990 बैच के पीसीसीएफ विवेक जैन और 1992 बैच के पुरुषोत्तम धीमान के बीच होड़ मची हुई है। इन दोनों अधिकारियों में से किसी एक को भी पीसीसीएफ विकास के पद पर पदस्थ किया जाता है तो फिर पीसीसीएफ वर्किंग प्लान से 1993 बैच के आईएफएस मनोज अग्रवाल को हटाना पड़ेगा।
जबकि कुछ महीने पहले ही मनोज अग्रवाल को पीसीएफ वर्किंग प्लान बनाया गया है। मौजूदा परिस्थिति में यदि 1990 बैच के विवेक जैन और 1992 बैच के पुरुषोत्तम धीमान में से किसी एक की पोस्टिंग विकास शाखा में की जाती है तो वह एपीआर लिखने संबंधित शासनादेश के विपरीत होगी। इसके तहत एपीआर लिखने की नई प्रक्रिया के तहत किसी एपीसीसीएफ स्तर के अधिकारी की ही विकास शाखा में पदस्थ किया जाने की संभावना है।
वैसे मुख्यालय के सीनियर अधिकारियों के अनुसार एपीसीसीएफ आईटी बीएस अन्नागिरी को विकास शाखा के लिए सबसे परफेक्ट अधिकारी मानते हैं। एपीआर लिखने की संशोधित नए आदेश के तहत CF अथवा CCF की एपीआर अपर प्रधान मुख्य संरक्षक विकास लिखेंगे और उसकी समीक्षा पीसीसीएफ वर्किंग प्लान द्वारा किए जाने का प्रावधान है।
वन विकास निगम के एमडी की खोज..
जंगल महकमे में परंपरा के मुताबिक पीसीसीएफ प्रशासन एक में पदस्थ विवेक जैन को वन विकास निगम का एमडी बनाया जाना चाहिए। इसके पहले 1988 बैच के आईएफएस आरके यादव को वरिष्ठ के आधार पर ही कुछ महीनों के लिए एमडी वन विकास निगम बनाया गया था। जैन का सेवाकाल चार माह का है। विवेक जैन के बाद एमडी वन विकास निगम के लिए 92 बैच के पुरुषोत्तम धीमान की दावेदारी बनती है। हालांकि बिरादरी के कतिपय अधिकारियों का यह कहना है कि 1992 बैच की दबंग आईएफएस समिता राजोरा को एमडी वन विकास निगम बनाया जाना चाहिए। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि उनमें कुछ कर गुजरने की ललक है।