परमात्मा क्या है? कौन है? क्या कहते हैं वेद .. उसे कैसे जाना जा सकता है? ….P अतुल विनोद
परमात्मा क्या है? कौन है? क्या कहते हैं वेद .. उसे कैसे जाना जा सकता है? …atulyamपरम-पिता परमात्मा, हम सबके लिए आज भी उतना ही रहस्यमय है जितना पहले था| हम उस परमात्मा की कितनी बातें कर ले लेकिन वह फिर भी अंजान है| खास बात यह है कि अनजान होते हुए भी वह हमारे सबसे करीब है| सबसे करीब होते हुए भी वह हमसे सबसे ज्यादा अंजान है| यह शरीर तो छूट जाएगा, पंच-भूत, पंच भूतों में मिल जाएंगे, सूक्ष्म शरीर भी छूट जाएगा, कारण शरीर भी छूट जाएगा, जिसके कारण अस्तित्व यानी “नाम और रूप” हैं| लेकिन परम-पिता परमात्मा तब भी नहीं छूटेगा| वह छूटेगा भी कैसे? वही तो है जिसके कारण “मैं” है| मैं प्रकाशित है क्योंकि वो है| लेकिन वह “मैं” से अलग नहीं और “मैं” उससे अलग नहीं| उसके होने के कारण ही “मैं” है|क्या उसने हमें पैदा किया? नहीं उसने हमें पैदा नहीं किया| उसके होने मात्र से यह सृष्टि पैदा हो जाती है, पैदा होने वाली दुनिया उससे अलग नहीं? क्योंकि सब कुछ उसके अंदर ही है और वह सब के अंदर है| उसे किसने पैदा किया? वेद कहते हैं उसे कोई पैदा नहीं कर सकता| वह अजन्मा है| पैदा तो वही होता है जो काल के अंदर हो समय के अंदर ही जन्म और मृत्यु संभव है| समय के परे न जन्म है न मृत्यु है| परमात्मा सर्वशक्तिमान है, उसके अंदर सभी प्रकार के स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर मौजूद हैं लेकिन इसके बावजूद भी वह इनसे परे है| वह परमात्मा अंत रहित है| वेद कहते हैं कि हम उसकी व्यापकता का अंदाजा नहीं लगा सकते| क्योंकि वह अंदर भी है और बाहर भी| इसलिए उसे आंखों की जरूरत नहीं, वह चारों तरफ से, हर दिशाओं से, हर डायमेंशन से हम को देखता और जानता है| क्योंकि वह सर्वत्र व्याप्त है इसलिए वह चलता-फिरता नहीं है| क्योंकि चलने फिरने के लिए कोई स्थान शेष रहना चाहिए| लेकिन उसके अलावा कहीं कोई स्थान है ही नहीं इसलिए वह चलता और फिरता नहीं |
सब कुछ उससे पैदा होता है, सब कुछ उसी में पैदा होता है और उसी में विलीन हो जाता है| जिसका न कोई आदि है न अंत, इसलिए ना तो वह आगे बढ़ता है नहीं पीछे हटता है, न हीं वह बीमार पड़ता है ना ही वह बूढ़ा होता है| हम उसकी आकृति नहीं बना सकते| हम उसे प्राप्त करने का साधन नहीं बना सकते| लेकिन फिर भी हम उसे अपनी भावनाओं से अपने अंदर उसी रूप में प्रकट कर सकते हैं जैसे हम उसे देखते हैं| “जाकी रही भावना जैसी सत्ता मूरत देखी तिन तैसी”
जब हम कहते हैं कि वह निराकार है, तो क्या जिन आकारों में हम उसे देखते हैं क्या वह गलत हैं? बिल्कुल नहीं क्योंकि वह सर्वत्र है| इसलिए वह आकारों में भी है जिन्हें हम पूजते हैं| वह उन आकार प्रकार और प्रतिमाओं में भी है जिन्हें हम नहीं पूजते| हमारे भाव जिससे जुड़ जाएँ उसमे हम उसे देख सकते हैं पत्थर में भी| हम सब में होते हुए भी वह हम सब से अलग भी है, क्योंकि हम सब उसके अंदर हैं इसलिए हमारे अंदर होते हुए भी वह हम से बाहर भी अनंत गुना है| हम सब उसे प्रणव, सच्चिदानंद, परब्रह्म, ईश्वर, परमेश्वर, अल्लाह और परमात्मा कहते हैं लेकिन यह सभी नाम भी उसे अभिव्यक्त नहीं कर सकते| ये सब ईश्वर के रूप हैं लेकिन वो ये भी नही| क्योंकि नाम और रूप उसके आगे कुछ भी नहीं| उसकी न तो महिमा गयी जा सकती न ही उसे किसी भी तरह पुकारा जा सकता| हमारी दृष्टि, सोच और समझ हमारी कल्पना है| सब कुछ उस पर-ब्रह्म परमात्मा के आगे बहुत तुच्छ हैं|
“एकम् एवं अद्वितीयम्” 'अनेक दीखने पर भी परमात्मा तत्वतः एक ही हैं“एकम् ब्रह्म, द्वितीय नास्ते” एक वो ही है दूसरा नहीं नेह-नये नास्ते, नास्ते किंचन अर्थात ईश्वर एक ही है, दूसरा नहीं हैं, नहीं है, नहीं है, जरा भी नहीं है।“नाकस्या कस्किज जनिता न काधिप यानी उसका न कोई मां-बाप है न ही भगवान।”“न तस्य प्रतिमा अस्ति” उसकी कोई प्रतिमा नही|“"न सम्द्रसे तिस्थति रूपम् अस्य"”उसे कोई देख नहीं सकता|“न कक्सुसा पश्यति कस कनैनम” किसी भी आँखों से देखा नहीं जा सकता|
हम उसे देख नहीं सकते लेकिन उसके कारण देखते हैं| हम उसे सुन नहीं सकते लेकिन उसके कारण सुनते हैं| हम उसे महसूस भी नहीं कर सकते लेकिन उसके कारण ही महसूस करते हैं| वह हमें पैदा भी नहीं करता उसके होने मात्र से हम पैदा हो जाते हैं| वह हमारा पालन भी नहीं करता उसके होने मात्र से हमारा पालन हो जाता है| जैसे हमारे शरीर में हर क्षण हजारों नए सेल्स/ कोशिकाएं जन्म लेती है और हर क्षण हजारों लाखों कोशिकाएं मर जाती है| ऐसे ही उसकी सृष्टि में हजारों गृह, नक्षत्र, तारे पैदा होते हैं और मरते रहते हैं| उसे जानने का कोई रास्ता नहीं है| वो अपने होने का अहसास खुद कराता है| वो अनुभव में तब आता है जब सभी रास्ते खो जाते हैं| क्योंकि रास्ते तब तक हैं जब तक “मैं” है जब “मैं” खो जाता है तब “शून्य” प्रकट होता है और वो “शून्य” में ही अनुभव में आता है| अनुभव में आने के बाद भी उसे वर्णित नही किया जा सकता| वो “नाम रूप” में होते हुए भी इनसे परे है इसलिए नाम रूप से पार जाकर ही “सत, चित आनंद” का अनुभव किया जा सकता है| लेकिन “सत, चित, आनंद” भी उसका नाम रूप से ऊपर का फॉर्म है| वो “सत, चित, आनंद” से भी परे है| उपरोक्त बातें सिर्फ संकेत हैं जो चेतना की उच्च अवस्था में मिलते हैं लेकिन ये सब बातें भी उसके बारे में अंश मात्र पता ही दे सकती हैं | आखिर में वेदों में ये भी कह दिया गया है कि उसे जानने की सारी बातें भी अज्ञान ही है| क्यूंकि उसे जितना जानो वो उतना ही अनजान हो जाता है| जितनी प्यास बुझाओ उतनी ही बढती है| उसका एक दरवाजा खुलता है तो 7 नये प्रकट हो जाते हैं| जिसका आदि है न अंत उसे पूरा की पूरा निकाल लो तब भी पूरा ही बचा रहा जाता है| ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥
“उस पूर्ण में से पूर्ण को निकाल देने पर भी वह पूर्ण ही शेष रहता है”ये दुनिया उसके विलास और उल्लास का प्रतीक है| मनुष्य जितना उल्लासित, प्रसन्न, आनंदित और आत्म भाव में रहेगा उतना ही उसके नजदीक महसूस करेगा| वो इस सृष्टि का हिस्सा है इसलिए सर्वहित में ही उसका हित छिपा है| एक ही शरीर की कोशिकाएं होने के कारण सब कुछ आपस में कनेक्ट है इसलिए हर व्यक्ति अपने मन वचन कर्म से पूरी श्रृष्टि को प्रभावित करता और होता है|
"Atulyam" धर्म सूत्र-1: परमात्मा क्या है? कौन है? क्या कहते हैं वेद .. उसे कैसे जाना जा सकता है? ….P अतुल विनोद धर्म सूत्र-2: क्या परमात्मा का कोई नाम है? जिसका नाम है क्या वो परमात्मा है? P अतुल विनोद
मुख्यमंत्री
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के ऐतिहासिक लालबाग परिसर में
आयोजित मालवा उत्सव में शामिल
हुए। उत्सव में पहुँचकर
उन्होंने वहाँ विभिन्न
प्रदेशों से आए लोक कलाकारों से
मुलाकात कर संवाद - 11/05/2025
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि लोक माता अहिल्याबाई ने सुशासन के साथ जन-कल्याण के कार्य कर देश के विकास के लिये एक आदर्श प्रस्तुत किया है। उन्होंने देश में धर्मशालाएं, नदियों
के घाट, अन्न - 11/05/2025
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जताते हुए कहा कि इंदौर में
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के
न्यायाधीशों के लिए गेस्ट हाउस
बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ.
यादव ने रेसीडेन्सी कोठी परिसर
इंदौर मे - 11/05/2025
मुख्यमंत्री
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प्रौद्योगिकी दिवस पर हार्दिक
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उन्होंने कहा कि वर्ष 1998 में आज
के ही दिन पोखरण-II का सफल
परीक्षण किया गया था। इस
गौरवशाली अवस - 11/05/2025
अंतर्राष्ट्रीय
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नर्मदापुरम ने 9 मई, 2025 को सुनवाई
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सहकारिता
मंत्री श्री विश्वास कैलाश
सारंग ने रविवार को भोपाल शहर
में नाले-नालियों की वृहद रुप
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प्रदेश
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तहत जल संचयन और जल संरक्षण को
लेकर विभिन्न गतिविधियाँ जन-भागीदारी
के साथ की जा रही हैं। ग्राम
पंचायतों में तालाब गहरीकरण और
नये तालाबों के निर्माण को लेकर
- 11/05/2025
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डॉ. मोहन यादव के नेतृव में
प्रदेश में जल गंगा संवर्धन
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महाअभियान की शुरुआत
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बाबा
महाकाल की नगरी उज्जैन से की
थी। पंचायत एवं ग्र - 11/05/2025
उप
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शुक्ल ने कहा है कि रीवा का
बसामन मामा गौवंश वन्य विहार
अत्याधुनिक गौ-अभयारण्य है।
शीघ्र ही यहां 5 टन क्षमता का गैस
उत्पादन संयंत्र आईओसीएल
द्वारा स्थापित किया जाय - 11/05/2025
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है। सृजन के माध्यम से
प्रतिभावान विद्यार्थियों को
नवाचारों के लिए मंच मिला है।
इससे विद्यार्थी, सामाजिक
समस्याओं और चुनौतिय - 11/05/2025
कौशल
विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री
(स्वतंत्र प्रभार) श्री गौतम
टेटवाल ने सारंगपुर विधानसभा
के ग्राम खासपुरा पहुंचकर
राजस्थान के जैसलमेर में तैनात
सेना के दो वीर जवानों श्री
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