जंगल महकमे में मनमानी: दो करोड़ से अधिक की नुकसानी पर न चार्जशीट न कोई दिशा-निर्देश


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स्टोरी हाइलाइट्स

पीसीसीएफ संरक्षण का पत्र वन मंत्रालय डंप..!!

भोपाल: नर्मदापुरम वनमंडल में इटारसी परिक्षेत्र की छीपीखापा बीट में हो रही अवैध कटाई से शुद्ध हानि राशि रू. 2,04,95,770 /- होना पाई गई।  अकेले छीपीखापा बीट में हुई अवैध कटाई से वन विभाग के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी नुकसानी है। इतनी बड़ी नुकसानी पर अभी तक न तो किसी जिम्मेदारी तय और न ही किसी को चार्जशीट जारी हुई। इस संबंध में पीसीसीएफ संरक्षण विभाष ठाकुर ने एसीएस अशोक वर्णवाल और वन बल प्रमुख वीएन अम्बाड़े को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है। 

सूत्रों ने बताया कि पीसीसीएफ संरक्षण विभाष ठाकुर के लिखे एक सप्ताह होने जा रहे हैं किन्तु आज दिनांक तक उन्हें कोई दिशा- निर्देश मंत्रालय से लेकर मुख्यालय से नहीं मिला। इन्हीं सूत्रों ने बताया कि पीसीसीएफ संरक्षण  ठाकुर के लिखे पत्र में उल्लेख है कि छीपीखापा बीट का निरीक्षण राज्य स्तरीय उड़नदस्ता दल एवं स्थानीय वन अमले द्वारा दिनांक 9 सितम्बर से 10सितम्बर और 12 सितम्बर से 14 सितम्बर तक किया गया। 

निरीक्षण के दौरान अवैध रूप से कटे सागौन के 1242 ठूंठ एवं सतकटा के 38 ठूंठ कुल 1280 ठूंठ पाये गये। दिनांक 1 जनवरी 23 से निरीक्षण दिनांक के पूर्व तक बीट में जारी किये गये वन अपराध प्रकरणों से मिलान करने के उपरांत सागौन के 693 ठूंठ एवं सतकटा के 07 ठूंठ कुल 700 ठूंठों का वन अपराध प्रकरण पंजीबद्ध होना नहीं पाया गया। 

परिणामस्वरूप वन अपराध प्रकरण कगांक 13707/74 दिनांक 18 सितम्बर 25 पंजीबद्ध किया गया। अवैध कटाई में बीट छीपीखापा में कुल शुद्ध हानि राशि रू. 2,04,95,770 /- होना पाई गई। इतनी अधिक नुकसानी के लिये किस-किस अधिकारी / कर्मचारी के विरूद्ध क्या-क्या कार्यवाही की जानी चाहिये, के संबंध में इस कार्यालय में दिशानिर्देश संबंधी कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है। पत्र में ठाकुर ने नुकसानी हेतु कार्यवाही करने के संबंध में यथोचित मार्गदर्शन देने का अनुरोध किया है।

रिटायर्ड एसडीओ ने लिखी सीएम को चिट्ठी

आखिर इटारसी परिक्षेत्र के छिपिखापा बीट के III A क्वालिटी के बेशकीमती सागौन वन RF 112 के विनाश के लिए मुख्य वन संरक्षक अपनी जिम्मेदारी से बचने SDO मानसिंह मरावी और  रेंजर महेंद्र गौर को बलि का बकरा बनाने पर क्यों तुल गए है? वन विभाग की सुरक्षा की कमान मुख्य वन संरक्षक को सौंपी जाती है। जब सीसीएफ ने डीएफओ मयंक गुर्जर को 1 फरवरी और 5 मई 25 को पत्र लिखकर सचेत तो किया है, किंतु एक बार भी रानीपुर का शासकीय भ्रमण करने पर सड़क से मात्रा 1 km दूरी पर स्थित छिपीखापा बीट का निरीक्षण करना उचित नहीं समझा। यदि CCF एक बार भी उत्सुकता बस ही वन भ्रमण कर लेते तो इतना बड़ा विनाश बच सकता था। शासन द्वारा सिर्फ CCF नर्मदापुरम वृत नर्मदापुरम और DFO नर्मदापुरम (सामान्य) को जिम्मेदार ठहराया जाना ही न्यायसंगत होगा ।