प्रदेश में कपास के उपार्जन हेतु नये केंद्र बनेंगे और उसकी किस्मों का भी साफ्टवेयर में उल्लेख होगा.. डॉ. नवीन जोशी


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स्टोरी हाइलाइट्स

प्रदेश में किसानों से कपास के उपार्जन के लिये नये केंद्र बनाये जायेंगे. प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंडी प्रांगण में न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे विक्रय होने वाले संव्यवहारों में अनुबंध पर एफएक्यू या नॉन एफएक्यू क्वालिटी को अनिवार्यत: दर्ज किया जायेगा...

भोपाल: प्रदेश में किसानों से कपास के उपार्जन के लिये नये केंद्र बनाये जायेंगे तथा साफ्टवेयर में उसके विक्रय के साथ-साथ यह भी लिखा जायेगा कि वह कौन सी किस्म का है अर्थात फेयर एवरेज क्वालिटी-एफएक्यु का है या नहीं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंडी प्रांगण में न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे विक्रय होने वाले संव्यवहारों में अनुबंध पर एफएक्यू या नॉन एफएक्यू क्वालिटी को अनिवार्यत: दर्ज किया जायेगा।

प्रदेश के जिन मण्डी प्रांगणों में कपास विक्रय की जाती है, उनमें किसानों को फेयर एवरेज क्वालिटी कपास का समर्थन मूल्य की प्राप्ति सुनिश्चत करने के लिये भारतीय कपास निगम के नये केन्द्र स्थापित करने का प्रस्ताव मंडी बोर्ड ने अपने आंचलिक कार्यालयों से मांगे हैं। जिन मंडी प्रांगणों में भारतीय कपास निगम द्वारा कपास के स्टोरेज हेतु स्थान/अधोसंरचना की मांग की जाती है, उन मंडियों के द्वारा रिक्त स्थान/अधोसरंचना का मंडियों के लिये प्रचलित भूमि एवं अधोसंरचना आवंटन नियम 2009 में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार भारतीय कपास निगम को स्थान/अधोसरंचना उपलब्ध करया जायेगा।

भारतीय कपास निगम अपने मोबाईल एप पर कपास उत्पादक कृषकों का पंजीयन कराएंगा। किसान द्वारा दर्ज कपास के क्षेत्रफल एवं उत्पादन का सत्यापन राजस्व विभाग के गिरदावरी डेटा से ऑनलाईन कराए जाने की व्यवस्था की जाऐगी।
भारतीय कपास निगम द्वारा तेलंगाना मॉडल अनुसार प्रदेश में कार्यवाही के प्रस्ताव पर अपर मुख्य सचिव कृषि अजीत केसरी ने कहा है कि कपास उपार्जन भारतीय कपास निगम द्वारा किया जाता है। यदि गेहूं, धान, आदि या प्राईस सपोर्ट स्कीम अंतर्गत उपार्जन के समान राज्य उपार्जन एजेंसी के माध्यम से उपार्जन किया जाना है तो उपार्जन कमीशन भारतीय कपास निगम द्वारा भुगतान किया जाना होगा।