ऋषि कपूर की मौत के बाद मां के साथ नहीं रहने पर रणबीर पर भड़के लोग....


स्टोरी हाइलाइट्स

ऐक्टर रणबीर कपूर की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना की जा रही है। लोगों को यह बात रास नहीं आ रही है कि पिता ऋषि के देहांत के बाद मां नीतू कपूर के साथ ठहरने

ऋषि कपूर की मौत के बाद मां के साथ नहीं रहने पर रणबीर पर भड़के लोग....

ऋषि कपूर के देहांत के बाद से ही उनकी बेटी रिद्धिमा कपूर मां नीतू कपूर के साथ ठहरी हुई हैं। वहीं लोग इस बात की आलोचना कर रहे हैं कि रणबीर कपूर ऐसे मौके पर भी अपनी मां से अलग रहे रहे हैं। चलिए जानते हैं कि जब किसी के भी जीवन में ऐसी स्थिति आती है, तो उसके साथ परिवार का साथ में रहना क्यों जरूरी हो जाता है?

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ऐक्टर रणबीर कपूर की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना की जा रही है। लोगों को यह बात रास नहीं आ रही है कि पिता ऋषि के देहांत के बाद मां नीतू कपूर के साथ ठहरने की जगह वह अपने अलग घर में रह रहे हैं। लोगों ने उन पर सवाल उठाए कि 'क्या पिता के गुजर जाने के बाद रणबीर अपनी मां के साथ नहीं ठहर सकते थे? इस समय उन्हें उनकी जरूरत है।' अब कपूर फैमिली इस पूरी स्थिति के साथ कंफर्टेबल है या नहीं, यह तो वे ही लोग ज्यादा जान सकेंगे। हालांकि, किसी के गुजर जाने के बाद उसके परिवार के साथ जुड़े रहने पर क्यों जोर दिया जाता है, इसके पीछे कई अहम कारण होते हैं।
इमोशनल सपोर्ट
अपने लव्ड वन को खोना, खासतौर पर जीवनसाथी को खोना व्यक्ति की जिंदगी को पूरी तरह से बदलकर रख देता है। लाइफ पार्टनर के साथ दिन का ज्यादातर समय साथ बीतता है, ऐसे में उनके गुजर जाने के बाद छोटी से छोटी चीज भी उसकी याद दिलाती है। इस स्थिति में व्यक्ति खुद के इमोशन्स पर काबू नहीं रख पाता है। इस स्थिति में उन्हें संभालने, सकारात्मक बातें करने और दुख से उबरने में मदद करने के लिए परिवार या क्लोज्ड वन्स का पास में होना बेहद जरूरी होता है।
सेहत का ख्याल
दुख में डूबे व्यक्ति को खाने तक का ख्याल नहीं रहता है, जो उसकी तबीयत बिगाड़ सकता है। इस स्थिति में किसी ऐसे का उसके साथ होना जरूरी है, जो खाने-पीने से जुड़ी चीजों का ख्याल रख सके। कई बार लगातार सोचने, रोने और इमोशनल होने के कारण भी तबीयत बिगड़ जाती है, ऐसे में अगर व्यक्ति अकेला हो, तो यह उसके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। यही वजह है कि दुख की घड़ी में अपनों का साथ होना और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है।
  चीजें मैनेज करना NBT
अपने इमोशन्स को संभालने में लगे व्यक्ति को किसी और चीज का ख्याल नहीं रहता है। ऐसे में घर से जुड़ी जरूरी चीजें या गुजर चुके व्यक्ति से जुड़े काम जैसे बीमा, पॉलिसी, अकाउंट्स से क्लेम, जिन्हें तुरंत करने की जरूरत पड़ती है, उन्हें भी वह नहीं कर पाता है। इस स्थिति में अगर उनके साथ परिवार के लोग हों, तो वे इन कामों को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही घर से जुड़ी चीजों का भी अपने स्तर पर ख्याल रख सकते हैं।
नॉर्मल लाइफ में वापस लाने की कोशिश
किसी के चले जाने पर जिंदगी में जो खालीपन आ जाता है वह कोई नहीं भर सकता। हालांकि, उस खालीपन पर कम से कम ध्यान जाए, इसके लिए जरूर कोशिश की जा सकती है। ऐसा तभी हो सकता है, जब व्यक्ति का ध्यान उस चीज से हटाने के लिए उसे दूसरी चीजों में इन्वॉल्व किया जाए। उदाहरण के लिए उसे किसी ऐक्टिविटी क्लास में जॉइन करवाया जा सकता है। अकेले होने पर वह शायद क्लास न जाए, लेकिन अगर उसे साथ मिल जाए तो धीरे-धीरे ही सही पर उसकी रुचि भी जाग सकती है।

साथ ही अगर उसके पास कोई बात करने वाला इंसान हो, तो उसे दुखी करने वाली चीजों को याद करने का कम मौका मिल पाता है। यह उसे दुख से उबरने में मदद करता है।