हेल्परों से आधा वेतन लेने वाले सीहोर वन मंडल के नाकेदार को बचाने की कोशिश


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स्टोरी हाइलाइट्स

मौजूदा महिला डीएफओ दोबारा करा रहीं हैं जांच..!!

भोपाल: सीहोर वन मंडल के एक नाकेदार द्वारा कलेक्टर रेट पर रखे गए दो हेल्पर कर्मचारी से आधा वेतन फोन-पे पर वसूली करने और नहीं देने पर नौकरी से निकलने का मामला प्रकाश में आया। नाकेदार द्वारा फोन-पे से वसूले गई राशि की स्क्र्रीनशॉट सहित शिकायत करने के बाद भी आज दिनांक तक कार्रवाई नहीं हुई बल्कि मौजूदा डीएफओ अर्चना पटेल पूर्व में हुई जांच प्रतिवेदन को दरकिनार नए सिरे से उसकी जांच करने के निर्देश दिए हैं। जबकि एसडीओ एल्बिन बर्मन ने पूर्व में दिए अपनी जांच प्रतिवेदन में नातेदार को दोषी ठहराया है।

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मैनेजमेंट कोटे से सीहोर डीएफओ बनी प्रमोटी आईएफएस अर्चना पटेल ने एसडीओ बर्मन को दोबारा जांच के आदेश देकर यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि नातेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। वैसे डीएफओ पटेल जब सीधी में एसडीओ थी तब उनके खिलाफ तेंदूपत्ता में गड़बड़ी करने का मामला लोकायुक्त ने पंजीकृत किया था। विभाग के अधिकारियों ने जांच में लीपा-पोती कर उन्हें चेतावनी स्वरूप दंड देते हुए क्लिनिक किट दे दी थी। 

उल्लेखनीय है कि सीहोर वन विभाग के तहत आने वाले इछावर वन क्षेत्र की सेमली जदीद बीट में जावेद खां पिता रसीद खां निवासी ईटखेड़ा और रईस खां पिता वहीद खां निवासी सेमली जदीद को कलेक्टर रेट पर 2021 में नियुक्त किया गया था। दोनों का हर माह 10 हजार 225 रुपये प्रति माह वेतन दिया जाता है, लेकिन सेगली जदीद के नाकेदार संतोष साहू और वहीं पदस्थ हैल्पर कैलाश सोनी अड़ी बाजी करके नौकरी से भगाने का भय दिखाकर प्रति माह पांच से सात हजार रुपये वेतन में से जबरिया वसूली करते आ रहे है। 

हेल्पर जावेद खां से नाकेदार सन्तोष साहू अपनी बेटी तेलान्शी साहू के नाम पर फोन-पे पर नाकेदार ने जबरिया भुगतान करा लिया। कभी-कभी नाकेदार साहू एवं हैल्पर कैलाश सोनी द्वारा नकद राशि ली गई है। वहीं रईस खां से नकद राशि वसूली गई। इतना ही नहीं उसे नौ माह का वेतन भी नहीं दिया गया। 

इससे परेशान होकर दोनों हेल्पर ने लिखित आवदेन देकर कलेक्टर से 17 जून व डीएफओ से 20 जून को शपथ पत्र के साथ फोन-पे की स्क्रीन शाट व बैंक खाते का ब्यौरा देकर जांच कर उनके पैसे वापस दिलाने व दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे पीडित दर-दर भटकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

पूर्व डीएफओ द्वारा कराई जांच दरकिनार..

सीहोर के डीएफओ एमएस डाबर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीओ एल्बिन वर्मा को जांच कर 7 दिन के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। जांच प्रतिवेदन उनके पास जब पहुंचा तब उसके दूसरे दिन ही उनका तबादला हो गया। उनके स्थान पर डीएफओ अर्चना पटेल की पोस्टिंग हुई। दीपू पटेल आते ही नातेदार को बचाने में जुट गई। पटेल ने पूर्व जांच प्रतिवेदन को दरकिनार कर नए सिरे से जांच करने के आदेश एसडीओ को दिए हैं। हालांकि जांच वहीं एसडीओ कर रहें हैं, जो पूर्व में कर चुके हैं। 

पीड़ित के पास है फोन रिकार्डिंग..

हेल्पर का काम करने वाले जावेद व राईस खान ने बताया कि नाकेदार संतोष साहू और उनके खास हेल्पर कैलाश सोनी द्वारा हमें लगातार परेशान किया गया। पैसे के लेनदेन को लेकर उनके पास फोन रिकार्डिग भी मौजूद है। जिसमें नाकेदार द्वारा यह कहते हुए सुना जा सकता है कि तुमसे बात हो गई कि हर माह इतना पेमेंट करना ही है। दोनों पीड़ितों ने कलेक्टर व डीएफओ से लिखित शिकायत की है।