आयकर विभाग की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका पर कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने आयकर विभाग की कार्रवाई के खिलाफ कांग्रेस की याचिका खारिज कर दी है। कांग्रेस ने लगातार तीन वर्षों के लिए आयकर विभाग की कर पुनर्मूल्यांकन प्रोसिडिंग के खिलाफ याचिका दायर की थी। इससे पहले HC ने 20 मार्च को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि कांग्रेस के खाते में कई बेहिसाब लेनदेन हुए हैं। आयकर अधिकारियों के पास अपनी पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त और ठोस सबूत थे। जिसके आधार पर कार्रवाई शुरू की गई।
बता दें कि कांग्रेस पार्टी की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं में आयकर विभाग द्वारा साल 2014-15, 16 और 17 के लिए की गई पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को चुनौती दी गई थी। इसमें विभाग ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि पार्टी की शेष आय 520 करोड़ रुपये से अधिक है।
इससे पहले 22 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा और पुरुषिन्द्र कुमार कौरव की पीठ ने अधिकारियों द्वारा लगातार तीन वर्षों यानी 2014, 2015 और 2016 में शुरू की गई कर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही के खिलाफ कांग्रेस द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था।
पार्टी ने पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया पर आपत्ति जताई। कांग्रेस पार्टी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि कर पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया की सीमाएं हैं। आयकर विभाग अधिकतम छह साल की अवधि के लिए मूल्यांकन की समीक्षा कर सकता है।
आयकर विभाग ने इसका विरोध किया और कहा कि उनके द्वारा किसी भी वैधानिक प्रावधान की अनदेखी नहीं की गई है। इसमें यह भी कहा गया कि एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर, पार्टी द्वारा छुपाई गई आय 520 करोड़ रुपये से अधिक है।
हाई कोर्ट ने 100 करोड़ रुपये से अधिक बकाया टैक्स वसूलने की आयकर विभाग की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। एक अधिकारी ने 2018-19 के लिए कांग्रेस का राजस्व रु. इसके 199 करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान लगाया गया था। वहीं, पार्टी से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के टैक्स बकाए की मांग की गई, हां ये कार्रवाई पूरी तरह से आयकर अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ है।