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23 अक्टूबर 1973 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी , नेली सेनगुप्त का निधन.. रमेश शर्मा
वे मूल इंग्लैंड की थीं। उनका जन्म इंग्लैंड के कैम्ब्रिज में हुआ। पढ़ाई के दौरान उनका परिचय भारतीय छात्र यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त से हुआ। प्रेम बढ़ा और परिवार की मर्जी के विरुद्ध वे 1909 में विवाह कर भारत आ गयीं। उन्हे यहाँ अंग्रेजी शासन द्वारा भारतीय लोगों के साथ तिरस्कार और शोषण का व्यवहार देखा, जो उन्हें पसंद न आया। आरंभ में उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को मानवीय व्यवहार समझाना चाहा, पर बात न बनी वे नौकरी छोड़कर समाज के जागरण में जुट गयीं और असहयोग आन्दोलन में सीधी सड़क पर आ गयीं। उनका मानना था कि यदि समाज जागरुक हो, शिक्षित हो तो अनेक समस्याए अपने आप हल हो जाती है।
उनकी सक्रियता से अंग्रेज अधिकारी बेचैन हुये। उन्होंने समझाना चाहा। बातचीत में नैली ने स्पष्ट किया कि सरकार के समर्थन या विरोध का कोई प्रश्न नहीं। यह मानवीय अधिकार और मानवीय सम्मान का प्रश्न हैं । उनकी समझाइश से बात न बनी तो उन्होंने घूम घूम कर सभायें करना और लोगों को जाग्रत करना आरंभ कर दिया। अंग्रेज सरकार को गुस्सा आया। उनकी गिरफ्तारी हुई और जेल भेजी गई । इससे नैली का गुस्सा और बढ़ा और वे सब छोड़ कर भारत की स्वतंत्रता आँदोलन में जुट गयीं। अंग्रेज सरकार के विरूद्ध खुल कर मैदान में आ गईं। फिर चला गिरफ्तारियों, मुकदमों का सिलसिला जो स्वतंत्रता मिलने तक जारी रहा।
स्वतंत्रता के इतिहास में उनका उल्लेख यदा कदा ही मिलता है। इसका कारण यह है कि स्वतंत्रता के समय देश के बटवारे की हिँसा से वे बहुत आहत हुईं उन्हें कल्पना भी न थीं कि जिन भारतीयों की स्वतंत्रता के लिये वे अंग्रेजों से भिड़ रहीं थीं, वे भारतीय जन आपस में इतनी हिंसा पर उतारू हो सकते हैं । और उन्होंने स्वयं को समेट लिया । गुमनाम जिन्दगी जीने लगीं। स्वतंत्रता के बाद किसी ने उनकी खोज खबर भी न ली। स्वतंत्रता के बाद वे निजी जिन्दगी जीने लगी और 23 अक्तूबर 1973 को कलकत्ता में उन्होंने अपना शरीर त्यागा।