शराबबंदी के ड्रामे के बीच 30 लोग मर गए बिहार में। लगातार ऐसी ख़बरें आती हैं। अनुभव बताते हैं की शराबबंदी से शराब रुकती नहीं बस रास्ते बदल जाते हैं। गुजरात था तो वहाँ ब्लैक में शराब देने वालों को बूटलेगर कहते थे।
जहरीली शराब का जंजाल आशीष दुबे
देश के कई राज्य समय-समय पर शराबबंदी का प्रयोग करते रहे हैं। यह प्रयोग नाकाम भी हुआ है और सरकार को इसे वापस भी लेना पड़ा है। बिहार में ऐसा होता रहा है। बिहार का जिक्र जरूरी इसलिये है कि इन दिनों वहां फिर शराबबंदी का दौर आ रहा है तथा जहरीली शराब पीकर मरने वालों की खबरें भी वहीं से आती रहती हैं। जब ताजा शराबबंदी की गई थी तब वहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया था कि इससे गरीबों की सेहत और समृद्धि में बेहतरी आएगी। मगर ऐसा होता नहीं लग रहा, क्योंकि एक ओर तो सरकार को राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है वहीं जान का नुकसान भी हो रहा है तथा शराब माफिया का काला कारोबार भी चल रहा है। हालांकि यह जरूरी है कि सरकारों के लिए शराब के राजस्व का मोह न पाल कर नागरिकों की सेहत, उनके धन के अपव्यय और सामाजिक बुराइयों की चिता करनी चाहिए। मगर इसे लेकर बहुत व्यवहारिक सोच की भी जरूरत होती है। भावनात्मक या राजनीतिक रूप से लिये गये निर्णय हमेशा सटीक नहीं हो सकते। बिहार में शराबबंदी के प्रतिकूल प्रभाव काफी समय से उभरने शुरू हो गए हैं। हालांकि वहां शराब रखने, दूसरे राज्यों से ले आने और पीने को लेकर बहुत कठोर कानून हैं। इन कानूनों के तहत बहुत सारे लोगों को सलाखों के पीछे भी भेजा गया। मगर हकीकत यह है कि शराबबंदी के बाद वहां नकली शराब का कारोबार तेजी से बढ़ गया। लोग चोरी-छिपे शराब बनाने, बेचने और पीने लगे।
Patna: Bihar CM Nitish Kumar chaired a high-level review meeting on liquor ban on Nov 5
— ANI (@ANI) November 5, 2021
"The CM instructed officers concerned to take strict action with regard to recent hooch tragedies. He also asked the officers to identify &take action against erroring officials," as per CMO pic.twitter.com/t39UAxLc9C
चूंकि इस तरह बनी शराब की गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जाता, इसलिए वह अक्सर जानलेवा साबित होती है। बिहार में दिवाली से एक दिन पहले से शुरू हो वहां जहरीली शराब पीने से करीब तीस से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। लिहाजा आंकड़े गवाह हैं कि बिहार में शराबबंदी के बाद से अब तक हुई एक सौ अट्ठाईस मौतों में से तिरानबे केवल इसी साल में हुई हैं। यानी नीतीश सरकार ने शराबबंदी तो कर दी, पर जहरीली शराब की खरीद-बिक्री पर अंकुश लगाने के मामले में निरंतर शिथिल है। स्थानीय स्तर पर चोरी-छिपे शराब बनाने और बेचने वालों ने उसे एक अवसर के रूप में भुनाना शुरू कर दिया है। ऐसा भी नहीं कि बिहार सरकार से यह तथ्य छिपा हुआ है।
जहरीली शराब पीने से जिनकी मृत्यु हुई वह दुखद है। CM नीतीश कुमार ने कहा है कि इसके ख़िलाफ़ बड़ा अभियान चलाया जाएगा। हमने सभी से निवेदन किया है कि छठ पूजा के वक़्त शराबबंदी का पालन करें: बिहार में कथित तौर पर ज़हरीली शराब पीने से हुई मौतों पर बिहार सरकार में मंत्री शाहनवाज हुसैन pic.twitter.com/nJz503yFvy
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 6, 2021
बताया जाता है कि शराब पीकर नशे में धुत्त सरेआम घूमते लोगों को प्राय- देखा जा सकता है। विपक्षी दल तो लंबे समय से आरोप लगाते आ रहे हैं कि नीतीश प्रशासन की मिलीभगत से वहां शराब का कारोबार खूब चल रहा है। हमारे देश में लोगों को शराब पीने का उस तरह शऊर नहीं है, जैसे ठंडे देशों और प्रदेशों में है। एक कल्याणकारी सरकार का पहला ही कर्तव्य है कि वह शराब समेत कई सामाजिक बुराइयों को खत्म करे। किसी चीज पर पाबंदी लगाने का फरमान जारी कर देना जितना आसान है, उस पर अमल कराना उतना ही कठिन है।
बिहार में 30 से ज़्यादा मौत के बाद भी बिहार सरकार जागने का नाम नहीं ले रही। शराब पर बंदी का आदेश 2016 में लागू हुआ लेकिन पुलिस रिकवरी रुम से करोड़ों की शराब चुहे पी जाते है। ज़हरीली शराब से सैकडों मरे जाते है। 2016 से पहले 1200/- में मिलने वाली शराब खुल्ले में 3500/- की मिलती है pic.twitter.com/xZvBmyMXCP
— Ajay Kumar (@AjayKumarJourno) November 6, 2021
वैसे भी शराबबंदी की मांग कई राज्यों में गाहे बगाहें उठती रहती है, इसमें राजनीतिक पुट ज्यादा होता है। मप्र में भी ऐसी मांगे उठती रही हैं, दक्षिण के राज्यों से लेकर सुदूर विदेशों में भी ऐसी करने की कोशिश हुई। जरूरी तो यह है कि शराब के प्रति लोगों में अरुचि पैदा करने के प्रयास हो, नशाबंदी की मुहिमें सामाजिक जागरण के तौर पर चलाई जायें, किसी लत के आदी व्यक्ति को अचानक प्रतिबंध के दायरे में लाने के परिणाम खराब ही होंगे।
बिहार में शराबबंदी के बाद यूपी के थानेदारों की अवैध कमाई का ज़रिया बन गया. थानों में ज़ब्त शराब चूहे पीने लगे.. कार्यवाही के लिए जाँच के नाम पर सभी मामलों में लिपापोती कर दी जाती है. बिहार में तो ‘शराब’ दुकान की जगह थाने से बिकने लगी. और जहरीली शराब पीकर लोग मरने लगे... pic.twitter.com/3lPstikLPD
— Akhilesh Tiwari (abp news) (@Akhilesh_tiwa) November 6, 2021