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हाईकमान से दो-दो मुलाकातों के गहरे राजनीतिक निहितार्थ

आशीष दुबे आशीष दुबे
Updated Thu , 08 Dec

सार

नाथ समेत कई शिफ्टिंग, एक व्यक्ति एक पद से आगे पहुंची बात

janmat

विस्तार

मप्र कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का कुछ ही दिनों के भीतर दो बार अपनी पार्टी चीफ सोनिया गांधी से मिलना सूबाई राजनीति में हलचल पैदा कर रहा है। नाथ ने इसी महीने के शुरुआती सप्ताह में भी सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि तत्काल तो नहीं लेकिन आने वाले दिनों में इन मुलाकातों का असर नजर आ जाएगा। हालांकि नाथ बार-बार कह रहे हैं कि वे मप्र नहीं छोड़ेंगे। दरअसल अब तक एक व्यक्ति एक पद के प्रति कांग्रेस के भीतर मजबूत हो रही धारणा से कमलनाथ का पार्टी व विधायक दल पर कमांड प्रभावित होता लग रहा था, मगर अब दिल्ली में एआईसीसी में होने वाला बड़ा बदलाव भी नाथ को प्रभावित करने पर आमादा बताया जा रहा है। यह बदलाव कांग्रेस के भीतर जी- 23 के टेंशन को खत्म करने की गरज से प्रस्तावित है।

वासनिक की जगह हरिप्रसाद या...!

कांग्रेस की भीतरी उथल पुथल का असर मप्र समेत कई राज्यों पर पड़ेगा क्योंकि मप्र के प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक को भी बदले जाने पर विचार हो रहा है। इसकी एक वजह यह है कि वे भी जी-23 के प्रभाव में आ गए थे, हालांकि बाद में वे लौट आए लेकिन महत्वपूर्ण फैसले ले रही कांग्रेस की नयी टीम किसी अन्य नेता को मप्र का प्रभार दे सकती है। इसमें हरिप्रसाद समेत अजय माकन व जितेंद्र सिंह के नाम भी विचार में है। यदि बदलाव हुआ तो इसमें भी हरिप्रसाद का पलड़ा भारी माना जा रहा है।

कांग्रेस की नई टीम के फैसले और पुराने वफादार

विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान एआईसीसी की जमावट के लिये उन पुराने वफादार नेताओं को शॉर्टलिस्ट कर रहा है, जिनकी नेटवर्किंग व निष्ठा मजबूत है। कमलनाथ इसी सांचे में फिट बैठ रहे हैं। इसी तरह अन्य राज्यों से भी चार-पांच पुराने खांटी नेताओं के नाम तलाशे गये हैं। हाईकमान इन नेताओं को गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी, कपिल सिब्बल आदि असंतुष्ट माने जा रहे नेताओं के असर को कम करने के लिये तैनात करना चाहता है। अंदरखानों की मानें तो कांग्रेस में अधिकांश फैसले राहुल-प्रियंका गांधी कर रहे हैं, मगर सोनिया गांधी के साथ बेहतर तालमेल के चलते नाथ-मामले में देर हो रही है।

लेकिन यह भी तय है कि ऐसा होने पर वे अपने ही किसी विश्वस्त को इस पद पर बैठाएंगे।

यद्यपि एक एआईसीसी सूत्र की मानें तो 'बात अब इससे आगे बढ़ चुकी है, हाईकमान राष्ट्रीय स्तर पर नयी जमावट के बारे में बहुत गंभीरता से सोच रहा है और मुश्किल यह है कि उसके पास विकल्प कम हैं।' जाहिर है कि इन स्थितियों में सिर्फ नाथ की कलाकारी (विरोधियों के लिये नाथ का तकिया कलाम) ही काम आ सकती है। नाथ इन मामलों पर चर्चा के लिये उपलब्ध नहीं हैं लेकिन उनके बेहद निकटवर्ती सूत्र का कहना है कि नाथ की सोनिया गांधी से नियमित चर्चा होती रहती है, यदि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय आदि की जिम्मेदारी दी जाती है तो वे इसे मप्र की जवाबदारी के साथ ही निभाएंगे।

हालांकि खुद नाथ मप्र कांग्रेस की कमान नहीं छोड़ना चाहते, वे नेता प्रतिपक्ष का पद किसी और नेता को देने की तैयार हैं|