देश में लॉजिस्टिक्स की लागत बढ़ने के पीछे पेट्रोल- डीजल की कीमतों में वृद्धि के साथ पुलिस और आरटीओ भी जिम्मेदार हैं. भारत सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार राज्यों में पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा जबरदस्ती रोके जाने के कारण परिवहन लागत बढ़ती है.
देश में लॉजिस्टिक्स की लागत बढ़ने के पीछे पेट्रोल- डीजल की कीमतों में वृद्धि के साथ पुलिस और आरटीओ भी जिम्मेदार हैं. भारत सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार राज्यों में पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा जबरदस्ती रोके जाने के कारण परिवहन लागत बढ़ती है. भारत सरकार ने देश में लॉजिस्टिक्स ईज ऑफ डिफरेंट स्टेट्स रिपोर्ट जारी की है. इस पैमाने पर गुजरात देश में पहले नंबर पर है. हरियाणा दूसरे, पंजाब तीसरे, तमिल नाडु चौथे, और महाराष्ट्र पांचवें नंबर पर है. लॉजिस्टिक्स ईज की स्थिति में मध्य प्रदेश रैंकिंग में पिछड़ा हुआ है. रिपोर्ट में पुलिस और आईटीओ अथॉरिटी द्वारा वाहनों को रोके जाने को रेगुलेटरी चैलेंज बताया गया है और इसे लोजिस्टिक कास्ट (परिवहन लागत) बढ़ने का बड़ा कारण माना गया है.
देश में महंगाई की स्थिति चिंताजनक है. महंगाई का बड़ा कारण उपभोक्ता वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाने की बढ़ी हुई लागत है. अभी तक डीजल-पेट्रोल को इसका जिम्मेदार माना जा रहा था, लेकिन डीजल-पेट्रोल में टेक्स् घटाकर रियायत दी गई है. भारत सरकार की इस रिपोर्ट ने इसके लिए पुलिस और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को भी जिम्मेदार मानने से व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. सामान्य रूप से सड़क मार्ग से यात्रा करने वालों का अनुभव होता है कि कहीं पर भी पुलिस या आरटीओ के अधिकारी खड़े होकर वाहनों को चेक करने लगते हैं . कागजों से ज्यादा उनका उद्देश्य उनकी अपनी स्वार्थ सिद्धि करना होता है.
प्रत्येक राज्य में परिवहन विभाग एक बदनामशुदा विभाग माना जाता है. परिवहन विभाग का कलेक्शन सरकार और उससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं की शिराओं को ताकत पहुंचाता है. ऐसा नहीं है कि यह कोई नई जानकारी है. सामान्य जागरूक लोग भी यह जानकारी रखते हैं .लेकिन हर स्तर पर जानकारी होने के बाद भी परिवहन विभाग के कामकाज में कोई सुधार नहीं होता, तो यह माना जाएगा कि किसी खास उद्देश्य से यह व्यवस्था सुनियोजित ढंग से चलाई जा रही है.
लॉजिस्टिक्स ईज ऑफ डिफरेंट स्टेट्स लीड्स रिपोर्ट के अनुसार भारत विशाल क्षेत्रफल के कारण लॉजिस्टिक्स कास्ट का स्वाभाविक रूप से डिसएडवांटेज की स्थिति में रहता है. जीडीपी का लगभग 14% लोजिस्टिक जहां भारत में आता है, वहीं दूसरे विकासशील देशों में 8% से 10% के बीच है. भारत सरकार ने लॉजिस्टिक्स कास्ट 5% कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. उक्त रिपोर्ट के पीछे उद्देश्य यह है कि विभिन्न राज्यों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो और वह अपने-अपने राज्यों में लॉजिस्टिक ईज की परिस्थितियां निर्मित करें.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लगभग सभी राज्यों में बेजा रोकटोक स्थापित के कारण गंभीर कठिनाई वाहन चालकों को होती है. महाराष्ट्र सरकार में तो डिजिटल लॉकर के दस्तावेज को भी स्वीकार नहीं किया जाता. जबकि भारत सरकार द्वारा कई बार कहा गया है कि डिजिटल डॉक्यूमेंट एक्सेप्ट किए जाएं. नया मोटर अधिनियम बंगाल सरकार द्वारा लागू नहीं किया जा रहा है. जो भी बाहर से सामान लेकर बंगाल राज्य से गुजरते हैं , उनके ड्राइवरों को बहुत समस्या स्थानीय अधिकारियों द्वारा पैदा की जाती है. कहीं हाइट के नाम पर वाहनों से वसूली की जाती है, तो कहीं कागजों के नाम पर घंटों वाहनों को सड़कों पर खड़ा रखा जाता है.
लॉजिस्टिक्स कॉस्ट के कारण कई राज्य अपनी नेचुरल लोकेशन के कारण लॉजिस्टिक हब बनने की पूरी संभावना और क्षमता रखते हैं . इनमें मध्य प्रदेश लॉजिस्टिक हब बनने की सारी संभावनाएं रखता है.दिल्ली से मुंबई हो चाहे देश के किसी भी कोने में जाना हो, मध्यप्रदेश बीच में पड़ता है. इसलिए अगर यहाँ लॉजिस्टिक हब विकसित होता है, तो लोगों को आसपास राज्यों में सामान पहुंचाने के लिए कम परिवहन मूल्य चुकाना होगा. मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य को राष्ट्र का भंडारण और लॉजिस्टिक हब के रूप में में विकसित करने के लिए मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना का लक्ष्य मार्च 24 तक पूरा करने के लिए “आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश” अभियान का उद्देश्य रखा है. एंड टू एंड इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स संचालन के लिए डिजिटल प्लेटफार्म निर्माण के लिए भी लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं.
यह लक्ष्य पूरे होंगे, ऐसा विश्वास किया जा सकता है. लेकिन लीड्स रिपोर्ट में जो पुलिस और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की भूमिका के कारण लॉजिस्टिक्स कॉस्ट बढ़ने की परिस्थितियों को पहले प्रदेश में दुरुस्त करना होगा. आज जो लोग राज्य के सीमाओं में प्रवेश कर दूसरे राज्य में गुजर रहे हैं, उनके चालकों द्वारा जो समस्या भोगी जा रही है, उसमें बिना सुधार किए लॉजिस्टिक हब बनाने के संकल्प का पूरा होना संदिग्ध लगता है.