अखिल भारतीय सेवाओं में सबसे कुलीन आईएएस सेवा के दो रिटायर्ड अफसर बीआर नायडू और सभाजीत यादव के बीच जमीन को लेकर थाने तक पहुंचे विवाद के पीछे अजब गजब कहानी है.
रिटायर्ड आईएएस नायडू - यादव के अजब गजब किस्से ! पारिवारिक दोस्त कैसे बने दुश्मन ? सरयूसुत मिश्रा
अखिल भारतीय सेवाओं में सबसे कुलीन आईएएस सेवा के दो रिटायर्ड अफसर बीआर नायडू और सभाजीत यादव के बीच जमीन को लेकर थाने तक पहुंचे विवाद के पीछे अजब गजब कहानी है. दशकों की दोस्ती दुश्मनी में कैसे बदल गई इसकी कहानी लंबी और रोचक है. सभाजीत यादव ने नायडू की बेटी की शादी में कुछ पैसे के भुगतान की बात कहकर आईएएस संवर्ग, सेवा, व्यक्ति और संबंधों की मर्यादा को खंडित किया है | यह तो ऐसा मामला लगता है कि जब जमीन कब्जाने के मामले में गलत दिखने लगे तो पूर्व के संबंधों और रिश्तो को उछाल दिया. जमीन का विवाद निजी मामला है, लेकिन जिस तरह की बात सामने आ रही है, उससे इन दोनों अधिकारियों के नौकरी के दौरान तालमेल और दोस्ताने की पड़ताल जरूरी है |
सभाजीत यादव स्वयं कह रहे हैं कि उनके नायडू के साथ 27 साल पुराने पारिवारिक रिश्ते रहे हैं| एक जमीन के टुकड़े ने रिश्तो को किस कदर कत्ल किया है इसके पीछे लंबी कहानी है | बीआर नायडू सेवा के दौरान विभिन्न पदों पर सभाजीत यादव को अपने साथ रखे रहे? राजगढ़ में 1995-96 में जब नायडू कलेक्टर थे, तब यादव राजगढ़ के सबसे महत्वपूर्ण विभाग ब्यावरा में एसडीएम हुआ करते थे. जब नायडू विदिशा में कलेक्टर बने तो यादव सिरोंज में एसडीएम बन गए. यही नहीं मंत्रालय में जब नायडू विभिन्न विभागों में पीएस और एसीएस थे तब भी यादव उनके साथ विभिन्न पदों पर काम करते रहे. लंबे समय तक नौकरी में साथ-साथ मूव करना पट्ठे बाजी से याराना तक का लंबा सफर रहा है. नायडू और यादव कहां-कहां साथ रहे इसका पूरा ब्यौरा दोस्ती की एक मजबूत कहानी कह रहा है |
बीआर नायडू की छवि एक ईमानदार अधिकारी के रूप में मानी जाती रही है, जिस भी जिले में कलेक्टर रहे हैं तब उन्होंने ऐसे काम किए हैं जो जनहित में रहे हैं | नेताओं और प्रभावशाली लोगों से उनकी टकराहट होती रही है| जब बस्तर में कलेक्टर थे तब अरविंद नेताम से जुड़े पेड़ कटाई का मामला लंबे समय तक विवादों में रहा. दूसरी तरफ सभाजीत यादव भी हमेशा विवादों में रहे. किसी भी पदस्थापना स्थल पर वे विवादास्पद स्थिति निर्मित करते रहे. रीवा में नगर निगम कमिश्नर रहते हुए यादव ने तो ऐसा करिश्मा किया जो कोई भी अधिकारी करने के बारे में सोच भी नहीं सकता| वर्ष २०१९ में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी किसान आंदोलन के सिलसिले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रीवा प्रवास पर गए थे, और उन्होंने आवास योजना से संबंधित एक मामले में जनता से यह कहा था कि आप को डरने की जरूरत नहीं है, नगर निगम आयुक्त को एक ज्ञापन भी सौंपा गया था |
सभाजीत यादव ने राजनीतिक आश्वासन के आधार पर रीवा के स्थानीय विधायक राजेंद्र शुक्ला को 5 करोड़ का नोटिस भेजा और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कुछ ऐसे कटाक्ष और प्रशासनिक आचरण के विपरीत वाक्य लिखे जिसके कारण उन्हें बाद में कमलनाथ सरकार जाने के बाद निलंबित होना पड़ा. निलंबन के दौरान ही वह सेवानिवृत्त हो गए और आज भी उसी तरह की स्थिति कायम है | नायडू और यादव के लंबे दोस्ताने के दौरान केवल विवादास्पद जमीन का ही एक सौदा है ऐसा नहीं है | जानकार लोगों का कहना है कि और भी जमीने संयुक्त रूप से दोनों ने खरीदी और उन जमीनों को लेकर भी हिस्से-बांटी में कुछ विवाद हुए |
एक बात पट्ठे को संरक्षण नहीं दिए जाने से भी जुड़ी हुयी है. बीआर नायडू हमेशा यादव को नौकरी में संरक्षण देते रहे. जब यादव निलंबित हुए तब उन्हें मदद की दरकार हुई. वी आर नायडू सेवानिवृत्ति के बाद जन-अभियान परिषद में अध्यक्ष नियुक्त हो गए. उनकी इस नियुक्ति ने उनके पट्ठे “यादव” को यह विश्वास मजबूत किया कि शिवराज सरकार में उनके गुरु नायडू की चल रही है, इसलिए उनकी मदद उन्हें करना चाहिए. सभाजीत ने मदद के लिए अपने तरीके से प्रयास किया लेकिन नायडू मदद से पीछे हट गए इसलिए चेला नाराज हो गया कि खुद तो सरकार में शक्तिशाली हैं और निलंबित पट्ठा विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहा है. यह मतभेद भी बढ़ते-बढ़ते जमीन विवाद और थाना कचहरी तक पहुंचे विवादों से जुड़ा हुआ है. यह मामले उनके व्यक्तिगत होंगे, लेकिन जब व्यक्तिगत झगड़े सार्वजनिक होते हैं, तब उच्च पदों पर बैठे लोगों को लेकर समाज में जो संदेश जाता है, उससे सेवानिवृत्त अधिकारियों को भी बचना चाहिए |