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चीन : कोविड प्रतिबंधों की सख्ती के विरोध में आन्दोलन

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Wed , 27 Jul

सार

चीन में इस विरोध का तात्कालिक कारण कोविड के खिलाफ जीरो पॉलिसी के चलते लगाये सख्त प्रतिबंध हैं, विरोध का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. यहां तक कि लोग तीसरे कार्यकाल की ओर बढ़ रहे शी जिनपिंग के इस्तीफे तथा लोकतांत्रिक आजादी की मांग कर रहे हैं..!

janmat

विस्तार

० प्रतिदिन-राकेश दुबे

30/11/2022

पडौसी देश चीन की राजधानी बीजिंग से शुरू हुए ये प्रदर्शन देश के करीब तेरह शहरों में फैल गये हैं।चीन की  पुलिस लाठीचार्ज, मिर्च स्प्रे तथा गिरफ्तारी से लेकर दमन के सारे हथकंडे अपना रही है। लेकिन विरोध का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। लोकतांत्रिक व मानवीय अधिकारों के दमन के अंतहीन सिलसिले वाले साम्यवादी देश चीन में दर्जन से अधिक बड़े शहरों के आक्रोशित लोग सड़कों पर उतर आये हैं।

चीन में इस विरोध का तात्कालिक कारण कोविड के खिलाफ जीरो पॉलिसी के चलते लगाये सख्त प्रतिबंध हैं। विरोध का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां तक कि लोग तीसरे कार्यकाल की ओर बढ़ रहे शी जिनपिंग के इस्तीफे तथा लोकतांत्रिक आजादी की मांग कर रहे हैं। प्रतीकात्मक विरोध के रूप में सफेद कागज लहराते लोग सड़कों पर नजर आ रहे हैं। वे अभिव्यक्ति और प्रेस की आजादी की मांग भी कर रहे हैं। यहां तक कि कई विश्वविद्यालयों के छात्र भी सड़कों पर उतर आये हैं। छात्रों की सक्रियता से वर्ष 1989  में थियानमिन चौक पर छात्र आंदोलन को क्रूरता से कुचलने की यादें फिर ताजा हो गई हैं।

बहरहाल, कम्युनिस्ट सरकार इन तेज होते आंदोलनों से सकते में है और सख्ती से इन्हें कुचलना चाहती है। यहां तक कि आंदोलन को कवर करने गये एक विदेशी मीडियाकर्मी को गिरफ्तार किया गया और रिहा करने से पहले मारा-पीटा गया। फिर भी फ्रीडम ऑफ प्रेस, फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन और फ्रीडम ऑफ मूवमेंट जैसी मांग कर रहे लोग सरकार विरोधी प्रदर्शनों में जमकर भाग ले रहे हैं। दरअसल, पिछले दिनों चीन में कोविड संक्रमण के मामलों में तेजी आई है। बीते रविवार को चालीस हजार नये मामले सामने आये। वहीं एक्टिव केसों की संख्या लाखों में जा पहुंची है। जिसके चलते चीनी सरकार ने सख्त कोविड प्रतिबंधों के क्रम में लॉकडाउन लगा दिया है।

चीन में लंबे अर्से से लगे प्रतिबंधों से लोग उकता गये हैं। उनकी जीविका पर संकट है और खाने-पीने की चीजें जुटाने में दिक्कत हो रही है। करोड़ों लोग बंधकों जैसा जीवन बिता रहे हैं।

हकीकत में , कम्युनिस्ट सरकार की हर क्षेत्र में जारी सख्ती के बीच गुस्से की आग को उस समय हवा मिली जब चीन के शिंजियांग प्रांत में एक 21  मंजिला भवन में आग लगी। इसकी 15 वीं मंजिल में फंसे लोग कोविड के सख्त प्रतिबंधों की वजह से बच नहीं सके और राहत भी देर से पहुंची। इस मंजिल में दस लोगों की मौत की वजह लोगों ने सख्त कोविड प्रतिबंधों को माना। फिर इसके बाद बीजिंग और अन्य शहरों में लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे। लोग अधिकारियों की लापरवाही को हादसे की वजह बता रहे हैं। जिसके विरोध में पूरे देश में गुस्सा फूट पड़ा है।

सर्व विदित है कि चीन सरकार की जीरो कोविड नीति दुनिया की सबसे सख्त नीतियों में शामिल है। यही वजह है कि चीन के बड़े शहरों की सड़कों पर क्षुब्ध लोग जिनपिंग गद्दी छोड़ो, कम्युनिस्ट पार्टी गद्दी छोड़ो, शिंजियांग को अनलॉक करो, चीन को अनलॉक करो, पीसीआर टेस्ट नहीं चाहिए, प्रेस की आजादी को लेकर लगातार नारे लगा रहे हैं। प्रदर्शनकारी दमन से बचने के लिये खाली सफेद कागज लेकर विरोध कर रहे हैं। वे कह रहे हैं -हमें लोकतंत्र चाहिए, तानाशाही नहीं। उन्हें इस घटनाक्रम में चीनी मीडिया की खामोशी साल रही है कि क्यों उनके आंदोलन की खबरों को तरजीह नहीं दी जा रही है। वहीं चीनी सरकारी मीडिया पश्चिमी मीडिया पर आंदोलन को हवा देने का आरोप लगा रहा है।

कई जगह पुलिस आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करके ले जाती देखी गई है।जहाँ चीन सरकार की चिंता है कि इस संकट से उसकी अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां इस साल जीडीपी में गिरावट के आंकड़े दर्शा रही हैं। बहरहाल, पिछले दो दशक में इतने बड़े प्रदर्शनों को पहली बार देखकर चीन सरकार भी सकते में है। इतना ही नहीं, ब्रिटेन, आयरलैंड, कनाडा और अमेरिका में भी चीन सरकार की सख्ती के खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं। चीन में आंदोलन और प्रदर्शनकारियों के पुलिस से टकराव की खबरें पूरी दुनिया का ध्यान खींच रही हैं।