प्रतिदिन राकेश दुबे- गठबंधन सरकार के खिलाफ भाजपा लंबे समय से सुनियोजित ढंग से काम कर रही थी। प्रत्यक्ष तौर पर या आपरेशन लोटस नहीं था मगर खामोशी से अभियान जारी था । अब देखना होगा कि क्या भाजपा सरकार बनाने के लिये जरूरी बहुमत जुटा पाती है।
प्रतिदिन राकेश दुबे
और अंतत: उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया| मुख्यमंत्री पद के साथ-साथ महाराष्ट्र विधान परिषद की सदस्यता भी छोड़ दी है- अब उनके पास “शिव सेना” का नाम भर रहा गया है| उनका दावा है, “शिव सेना”उनके पास है| दलों पर स्वामित्व का यह एक नया समीकरण उभरा है, दल प्रजातंत्र में बपौती की तरह चलाने की की कांग्रेसी संस्कृति का यह नवीनतम संस्करण है , कितने दिन चलेगा समय बतायेगा|
इसके साथ ही शिवसेना,एनसीपी व कांग्रेस गठबंधन सरकार महाराष्ट्र में अल्पमत में आ गई है।जिसे उद्धव ठाकरे मानने को तैयार नहीं थे और अपनी सरकार बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़े भी| दूसरी ओर ढाई साल पहले हाथ आई सत्ता गंवाने से तिलमिलायी भाजपा सुनियोजित तरीके से राज्य सरकार को गिराने में सफल हो गई। राजनीतिक पंडित भले ही इसे दीवार पर लिखी साफ इबारत कह रहे है, भाजपा यह दिखाने का प्रयास करेगी कि यह सब शिवसेना के भीतर व्याप्त अंतर्विरोधों के चलते हुआ है। लेकिन, पर्दे के पीछे की उसकी भूमिका को सभी महसूस कर रहे हैं। स्वस्थ प्रजातंत्र के लिए न तो ये ठीक है और न वे ही ठीक हैं|
सुप्रीम कोर्ट से मिले झटके के बाद उद्धव ठाकरे ने बीती रात को फेसबुक के जरिये जनता को संबोधित किया| सुप्रीम कोर्ट ने आज ही फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है| अब नई सरकार गठन की कवायद शुरू हो गई है| उद्धव ठाकरे ने अपने संबोधन में बागी एकनाथ शिंदे गुट पर निशाना साधा| ठाकरे ने कहा, हमने जिन रिक्शा वाले, चाय वालों को नेता, विधायक बनाया, उन्होंने ही हमें धोखा दिया| ठाकरे ने कहा, हमें कुछ नहीं चाहिए, बस आशीर्वाद चाहिए| उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री पद छोड़ने का उन्हें दुख नहीं है| उद्धव ठाकरे ने शिवसैनिकों का आह्वान करते हुए कहा, जो लोग (बागी गुट के विधायक) आ रहे हैं, उन्हें आने दिया जाए और किसी तरह का नुकसान न पहुंचा जाए| दूसरी तरफ शिवसेना के एकनाथ शिंदे और उनका गुट मुंबई लौट सकता हैं| पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के घर मिठाई -बधाई का कार्यक्रम भी शुरू हो गया| फडणवीस बागी गुट के अन्य विधायकों के साथ मिलकर नई सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं|
राजनीतिक पंडितों का वो कयास सही साबित हो गया है कि महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार के गिनती के दिन रह गये हैं। गंभीर बात , इस घटनाक्रम में शिवसेना के बिखराव के बीज का निहित होना था| आज स्थिति क्या हो गई शिंदे का दावा है कि वे बाला साहब के कट्टर शिवसैनिक हैं, दूसरी और उद्धव का शिव सेना पर दावा। इससे कहीं न कहीं शिव सेना टूटेगी ही| नेतृत्व नई चुनौती उभरेगी ।
पिछले ढाई साल लगातार इस गठबंधन सरकार पर भ्रष्टाचार, कोविड के दौरान अव्यवस्था व शिवसेना के पार्टी मुद्दे से भटकने आदि को लेकर भाजपा हमलावर रही है। पार्टी कहती रही है कि साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बाद शिवसेना इस वायदे से मुकर गई कि देवेंद्र फडनवीस को मुख्यमंत्री बनाना है। भाजपा शिवसेना पर धोखा देने का आरोप लगाती रही है। बहरहाल, अब भाजपा यह दिखाने का प्रयास कर रही है कि मौजूदा घटनाक्रम में उसकी कोई भूमिका नहीं है और शिवसेना के भीतर जारी असंतोष से ये हालात बने हैं। सवाल उठता हैं कि यदि भाजपा की कोई भूमिका नहीं है तो बागी विधायकों को भाजपा शासित राज्यों में ही कैसे शरण व सुरक्षा कैसे मिली? हालांकि, कैडर आधारित पार्टी शिवसेना में इतने विधायकों का बागी होना अब भी चौंकाने वाला है।
वैसे इस विद्रोह के संकेत तब ही मिलने शुरू हो गये थे जब राज्यसभा चुनाव में पर्याप्त मत न होते हुए भी भाजपा के तीन प्रत्याशी राज्यसभा पहुंचे। ऐसे ही हाल के एमएलसी चुनाव में भाजपा के अधिक प्रत्याशियों के जीतने व पर्याप्त मत होते हुए भी कांग्रेस प्रत्याशी के हारने से संकेत साफ थे कि गठबंधन सरकार के भीतर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है। गठबंधन सरकार के खिलाफ भाजपा लंबे समय से सुनियोजित ढंग से काम कर रही थी। प्रत्यक्ष तौर पर या आपरेशन लोटस नहीं था मगर खामोशी से अभियान जारी था । अब देखना होगा कि क्या भाजपा सरकार बनाने के लिये जरूरी बहुमत जुटा पाती है।