सियासत के हर घाट पर हाट लगी हुई है. नेता दल क्यों बदल रहे हैं इस पर अलग-अलग आरोप और जवाब हैं. कोई बीजेपी में जा रहा है तो भ्रष्टाचार के मामले से बचने के लिए जा रहा है यह आरोप बीजेपी विरोधी लगा रहे हैं. विरोधियों के पास भले इस बात का कोई जवाब ना हो कि बीजेपी से जो लोग उनके दलों में शामिल हो रहे हैं उनके दलबदल का क्या कारण है?
बीजेपी ने जिन लोकसभा सांसदों के टिकट काटे हैं उनमें से कई सांसद कांग्रेस और दूसरे दलों में चले गए हैं. यहां तक कि ऐसे नेताओं को लोकसभा चुनाव के टिकट भी दिए गए हैं जो भाजपा छोड़कर गए हैं. ये नेता कौन सी जांच से बचने के लिए गए हैं? अगर बीजेपी से गए ऐसे नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप होते, घोटाले होते तो उन्हें जांच का डर होता और फिर वे बीजेपी का साथ छोड़ने की हिम्मत भी नहीं करते, नहीं तो उनको भी जांच में फंसा दिया जाता.
इसका मतलब है कि दलबदल के बहुआयामी कारण होते हैं. कांग्रेस तो भारत में दलबदल की जननी कही जाएगी. भारत में आज जितने भी स्थापित क्षेत्रीय दल हैं उन सभी के नेता कांग्रेस से ही दलबदल कर निकले हैं. यह अलग बात है कि उन्हीं नेताओं के साथ आज कांग्रेस खड़ी हुई है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक क्षेत्रीय नेताओं पर निगाह डाली जाए तो सब की नाल कांग्रेस से जुड़ी हुई ही दिखाई पड़ेगी.
पिछले दिनों कांग्रेस ने दिल्ली में एक पत्रकार वार्ता कर यह आरोप लगाया कि जो भी नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं वे सब भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हैं. कांग्रेस ने बाकायदा ऐसे नेताओं की सूची तक जारी की थी. पत्रकार वार्ता में टेबल पर वाशिंग मशीन रखी हुई थी. बीजेपी को वॉशिंग मशीन बताते हुए कांग्रेस के नेता ने कहा था कि बीजेपी में शामिल होने पर सभी नेता दोषमुक्त, जांच से मुक्त और शुद्ध हो जाते हैं.
भाजपा में जाकर वे नेता शुद्ध होते हैं या नहीं होते हैं, इस पर चर्चा चलती ही रहेगी. देश के एक बड़े अंग्रेजी अखबार ने भी विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें बताया गया है कि 2014 के बाद देश के लगभग 25 राजनेताओं के विरुद्ध सीबीआई और ईडी की जांच चल रही थी. इनमे से 23 नेता अपने-अपने दल छोड़कर बीजेपी में चले गए और उनके खिलाफ जांच या तो बंद कर दी गई या ठंडे बस्ते में डाल दी गई. ऐसे नेताओं के नाम उन पर लगे आरोप और बीजेपी में शामिल होने के बाद जांच बंद करने की स्थिति रिपोर्ट में बताई गई है.
केंद्र सरकार और जांच एजेंसी का यह नैतिक दायित्व है कि ऐसे सभी प्रकरणों के बारे में तथ्यात्मक रिपोर्ट जारी करे जिसमें आरोपों और जांच की प्रक्रिया का ब्योरा दिया जाए जिससे कि देश को इस बात का भरोसा हो कि जांच एजेंसियां सरकार के राजनीतिक उद्देश्यों के लिए काम नहीं कर रही हैं.
इसका एक पक्ष यह भी है कि जिन भी दलों के नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हुए थे उनको अगर ये राजनीतिक दल पहले ही अपनी पार्टी से बाहर कर देते तब उनकी राजनीतिक उपयोगिता अपने आप समाप्त हो जाती और फिर उन्हें कोई भी दल अपने साथ शामिल नहीं करता. अगर हर राजनीतिक दल अपने पास वाशिंग मशीन रखता तो फिर भाजपा की वाशिंग मशीन की जरूरत ही नहीं पड़ती. अगर कांग्रेस में भ्रष्टाचार और जांच के आरोपों से घिरे नेताओं की भरमार है तो फिर कांग्रेस को दूसरे पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है.
महात्मा गांधी खुद की गंदगी खुद साफ करने की बात कहते थे. कांग्रेस महात्मा गांधी को अपना आदर्श बताती है. यह क्या केवल कोरा आदर्श है? पार्टी में ऐसे नेता भरे हुए हैं जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. जिन्हें भय के कारण पार्टी छोड़कर सत्ताधारी पार्टी में शामिल होना पड़ रहा है. बीजेपी को वॉशिंग मशीन बताकर कांग्रेस स्वयं ही यह स्वीकार कर रही है कि उसकी पार्टी की गंदगी साफ होने के लिए बीजेपी में जा रही है.
जब कांग्रेस की खुद की जमीन अशुद्ध है, नेताओं के चेहरों और चरित्र पर कालिख है, दिग्गजों की कलंक कथा जगजाहिर है, नेताओं और पार्टी की जमीन को साफ सुथरा और शुद्ध बनाए रखने के लिए कोई आंतरिक सिस्टम नहीं है. पार्टी के अंदर ही पैसे वसूली का नेटवर्क काम करता है. पार्टी की सरकारों में पार्टी के लिए धन संकलन के अनैतिक रास्ते अपनाए जाते हैं. यहां तक कि प्रत्याशियों के चयन में भी धन के लेनदेन के आरोप लगते हैं. अगर किसी पार्टी की सत्ता ही केवल विचारधारा है तो फिर सत्ता के लिए संसाधन और सपोर्ट पर ही पूरा पॉलीटिकल सिस्टम टिका रहेगा. कांग्रेस जब तक अपनी बुराइयां नहीं देखेगी जब तक अपनी बुराइयों को इग्नोर करते हुए विरोधी पर आक्षेप करती रहेगी तब तक उसकी गंदगी साफ नहीं होगी.
कांग्रेस को तो इस बात के लिए शुक्रगुजार होना चाहिए कि उसके दागी और भ्रष्ट नेताओं को दूसरे दलों ने स्वीकार किया है. कम से कम दलबदल के कारण थोड़ी बहुत गंदगी तो कांग्रेस से हटी है लेकिन कांग्रेस इस गंदगी के लिए तड़फड़ा रही है. जो कभी कांग्रेस के नेताओं को सबसे भ्रष्ट और जेल भेजने की धमकी दिया करते थे उन्हीं नेताओं के साथ गठबंधन क्या कांग्रेस की वाशिंग मशीन का प्रमाण है?
बीजेपी को तो जनता के बीच में यह बात स्पष्ट करनी होगी कि किसी भी भ्रष्टाचार के आरोपी को राजनीतिक कारणों से ना तो फसाया जा रहा है और ना ही बचाया जा रहा है. दूसरे के घर की गंदगी की बात करने से खुद के घर की गंदगी साफ नहीं होती. कांग्रेस को पहले अपने घर की गंदगी को साफ करना होगा. पार्टी के अंदर ऐसी सियासी वाशिंग मशीन स्थापित करना होगी कि भले ही सत्ता चली जाए लेकिन किसी भी गंदगी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जब तक इतना साहस कांग्रेस नहीं जुटा पाएगी तब तक कांग्रेस का हर घाट खरीदी बिक्री का हाट ही बना रहेगा.
कांग्रेस को पहले आत्मवान, चरित्रवान और विचारवान बनना होगा. हाथ से ज्यादा अपने पैरों को मजबूत करना होगा. बेरहमी से गंदगी से भरे नेताओं को साफ करना होगा. साफ सुथरी नई जमीन बनाना होगा. कांग्रेस को खुद की अपनी वाशिंग मशीन लगाना होगा जिससे उसके नेता गुजरेंगे और निकलेंगे तभी नई कोपलें फूटेंगी.