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भारत रणनीति तय कर रहा है

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Wed , 08 May

सार

प्रधानमंत्री इन मुलाकातों से पहले 29 अप्रैल को रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और तीनों सेनाओं के प्रमुखों की एक बैठक कर चुके थे। उसी में सेनाओं को प्रहार का तरीका, लक्ष्य, जगह और समय तय करने की ‘खुली छूट’ दी गई थी। फिर अलग से ये मुलाकातें क्यों की गईं..?

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विस्तार

उधर पाकिस्तान परमाणु युद्ध की बंदरघुड़की दे रहा है, इधर प्रधानमंत्री मोदी और सेना प्रमुख की मुलाकात चल रही हैं । सेना प्रमुखों की प्रधानमंत्री के साथ ये मुलाकातें सामान्य नहीं हैं। प्रधानमंत्री इन मुलाकातों से पहले 29 अप्रैल को रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और तीनों सेनाओं के प्रमुखों की एक बैठक कर चुके थे। उसी में सेनाओं को प्रहार का तरीका, लक्ष्य, जगह और समय तय करने की ‘खुली छूट’ दी गई थी। फिर अलग से ये मुलाकातें क्यों की गईं? 

बेशक सेनाओं को खुली छूट है, लेकिन वे अलग-अलग प्रधानमंत्री को तो ब्रीफ करेंगी कि यदि युद्ध की नौबत आई, तो उनकी क्या तैयारियां हैं? वायुसेना प्रमुख ने हवाई आक्रमण का खुलासा किया होगा! हाल ही में उप्र के शाहजहांपुर में ‘गगा एक्सप्रेस वे’ पर बनाई गई विशेष हवाई पट्टी पर राफेल, सुखोई, मिग-29, एएन-32, जगुआर, मिराज सरीखे लड़ाकू विमानों ने टच एंड गो का प्रदर्शन किया और रात्रि में लैंडिंग कर अपने युद्धाभ्यास को सार्थक किया। अर्थात् हमारे लड़ाकू विमान किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार हैं। 

नौसेना अध्यक्ष ने अरब सागर की हलचलों से प्रधानमंत्री मोदी को ब्रीफ किया होगा! नौसेना ने विशालकाय आईएनएस- विक्रांत को समंदर में तैनात कर दिया है। वह लड़ाकू विमानों और परमाणु अस्त्रों से युक्त है। भारत ने परमाणु मिसाइल वाली पनडुब्बी को भी समंदर में ‘सक्रिय’ कर दिया है। नौसेना सुरक्षा और निगरानी को अधिक बढ़ाने के मद्देनजर भारत ने अमरीका की ‘हॉक आई’ खरीदने का 13.1 करोड़ रुपए का करार किया है। रूस से ‘इग्ला-एस’ मिसाइलें खरीदने का करीब 260 करोड़ रुपए का करार किया गया है। ऐसी कई तैयारियां होंगी, जो हमारी सेनाएं कर रही हैं, लेकिन न तो किसी को पर्याप्त जानकारी है और न ही राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें सार्वजनिक करना धर्म ही है। प्रधानमंत्री के साथ सेना-प्रमुखों की ऐसी मुलाकातों और बैठकों में विशिष्ट लक्ष्यों, उद्देश्यों, आपातकालीन जरूरतों, सेना-विशेष की चुनौतियों और उचित समय आदि पर खुल कर बातचीत होती है।

सेना-प्रमुख प्रधानमंत्री को अपनी सेना की तैयारियों और संभावित विकल्प पर तुरंत प्रहार करने की क्षमताओं को भी ब्रीफ करते हैं। 

इस सारे घटनाक्रम का ये मायने नहीं हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिडऩे ही वाला है। भारत के प्रधानमंत्री या रक्षामंत्री ने युद्ध संबंधी न तो कोई बयान दिया है और परमाणु हथियारों की धमकी तो बहुत दूर की बात है। पाकिस्तान के मंत्री और राजदूत परमाणु हथियार इस्तेमाल करने के लगातार बयान देते रहे हैं। भारत में सेना-प्रमुख कोई भी बयान नहीं देते। यह विशेषाधिकार प्रधानमंत्री या रक्षामंत्री का है। प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार देश को आश्वस्त किया है कि आतंकियों और उन्हें समर्थन देने वालों पर ठोस और निर्णायक कार्रवाई जरूर की जाएगी। यानी भारत के राजनीतिक नेतृत्व और सेनाओं के निशाने पर पाकिस्तान में बसे और सक्रिय आतंकी, उनके गुट और उनके पनाहगार हैं। 

देश के अनुभवी रक्षा विशेषज्ञों, जिन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल और मेजर जनरल के पद पर रहते हुए पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाइयां और टकराव लड़े और झेले हैं, का मानना है कि इस बार आतंकियों के साथ-साथ पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई तथा फौज को निशाना बनाया जा सकता है। वे भी नहीं जानते कि यदि भारत ने प्रहार किया, तो वह किस दर्जे का होगा, लेकिन रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि पाकिस्तान की फौज और आईएसआई पर किसी किस्म का हमला किया जाता है, तो पाकिस्तान उसका पलटवार करेगा और वही युद्ध में तबदील हो सकता है। 

यह बाद की बात है कि पाकिस्तान युद्ध में कितने दिन तक टिक पाएगा, उसके पास गोला-बारूद तक पर्याप्त नहीं है, लेकिन इस तरह युद्ध छिड़ सकता है। चीन पाकिस्तान को मदद दे सकता है। तुर्किये ने भी कुछ हथियार और रक्षा सामग्री पाकिस्तान को भेजी है, ऐसी खबरें आई हैं। पाकिस्तान एक विपन्न और विक्षुब्ध देश है, लिहाजा मनोवैज्ञानिक मान रहे हैं कि वह बिन सोचे-समझे परमाणु अस्त्रों का इस्तेमाल कर सकता है। बेशक दोनों देशों ने परमाणु अस्त्रों का इस्तेमाल किया, तो विनाश व्यापक और भयावह हो सकता है। वह स्थिति टालनी चाहिए।