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आतंकवाद को समाप्‍त करने हेतु प्रतिबद्ध मोदी सरकार

सुरेश पचौरी सुरेश पचौरी
Updated Tue , 11 Jun

सार

देशवासियों ने भारत की बहादुर सेना के अद्भुत पराक्रम को देखा है, लेकिन विपक्ष के कतिपय नेताओं द्वारा ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जिस तरह के प्रश्‍न उठाये जा रहे हैं वे न तो सामयिक हैं और न ही उनका कोई औचित्‍य दिखता है..!!                                                                                                  

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विस्तार

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के प्रथम वर्ष की उल्‍लेखनीय उपलब्धि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कामयाबी है। इस कामयाबी का पूरा श्रेय भारतीय सेना को जाता है। ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण को एक माह पूरा होने जा रहा है। देशवासियों ने भारत की बहादुर सेना के अद्भुत पराक्रम को देखा है, लेकिन विपक्ष के कतिपय नेताओं द्वारा ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जिस तरह के प्रश्‍न उठाये जा रहे हैं वे न तो सामयिक हैं और न ही उनका कोई औचित्‍य दिखता है। 

जो प्रमुख प्रश्‍न उठाये जा रहे हैं, वे हैं : सीज फायर क्यों किया गया? क्‍या इस फैसले में अमरीकी राष्‍ट्रपति ट्रंप ने दबाव डाला? ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की कितनी सैन्‍य क्षति हुई? इस विषय में चर्चा हेतु संसद का सत्र क्‍यों नहीं बुलाया जा रहा है? ये सवाल आज की परिस्थितियों में गैरवाजिब है। इन सारे सवालों के उत्‍तर उचित फोरम पर दिये जा चुके हैं।

पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को दिल दहला देने वाले आतंकी हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकर, सी.डी.एस. एवं तीनों सेना के अध्‍यक्षों के साथ लगातार बैठकें की, रणनीति बनाई, लक्ष्‍य निर्धारित किया और आतंकवादियों के सफाये का अभियान शुरू किया, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। 7-8 मई की रात को भारत की सेना ने पाकिस्‍तान में लगभग 100 किलोमीटर घुसकर लक्षित हमला किया जिसमें आतंकियों के नौ ठिकानों, उनके प्रशिक्षण शिविरों तथा पाक एयरबेस सिस्‍टम को तबाह कर दिया। 

भारतीय सेना ने राफेल जेट, एससीएएलनी मिसाइलों तथा हैमर बमों का उपयोग करके केवल 22 मिनट में मिशन पूरा किया। वस्तुत: पहली बार किसी देश ने परमाणु हथियार संपन्‍न राष्‍ट्र के हवाई ठिकानों पर सफलतापूर्वक हमला किया। यह सामान्य साहस की बात नहीं है। दूसरी ओर आतंकवादियों के जनाजे में पाकिस्‍तान के अनेक नेताओं, उच्‍च अधिकारियों तथा पाक सेना प्रमुख के शामिल होने से फिर इसकी पुष्टि हो गई कि आतंकवादियों के पाक सेना से बहुत गहरे संबंध है।

यह भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम का नतीजा है कि महज 3-4 दिन में पाकिस्‍तान घुटने पर आ गया और युद्ध रोकने की गुहार करने लगा। भारतीय सेना से गहरी मार खाने के बाद पाकिस्‍तान के डी.जी.एम.ओ. ने भारत के डी.जी.एम.ओ. से 10 मई 2025 को निवेदन किया और अंतत: भारत ने अपनी जबावी कार्यवाही को स्‍थगित कर दिया। 

अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने अपनी कतर देश की यात्रा के दौरान स्‍वयं कहा है कि मैं यह नही कहता कि मैंने मध्‍यस्‍थता की है। ट्रंप के कथन को लेकर भारत के रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और सेनाध्यक्षों ने जो सही वस्तुस्थिति बताई है, भरोसा उस पर ही किया जाना चाहिए। सी.डी.एस. अनिल चौहान ने स्‍वयं कहा है कि इस युद्ध में भारत की एकतरफा जीत हुई है। सेना के शीर्ष नेतृत्व की बात ही युद्ध के संदर्भ में मानी जानी चाहिए। जहां तक संसदीय सत्र बुलाने की बात है, देश की सुरक्षा और युद्ध ऐसे संवेदनशील विषय हैं जिन पर सार्वजनिक चर्चा से यथासंभव बचना चाहिए।

ऑपरेशन सिंदूर के कई सकारात्‍मक पक्ष सामने आये हैं। पहला है, राजनीतिक इच्‍छा शक्ति, दूसरा, सटीक और पुख्‍ता इन्‍टेलिजेन्‍स, तीसरा, भारतीय सेना की प्रोफेशनल क्षमता और चौथा, देश की एकजुटता। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 12 मई को राष्‍ट्र के नाम संबोधन में, फिर 13 मई को आदमपुर में और इसके बाद बीकानेर में भारतीय सेना के प्रति कृतज्ञता व्‍यक्‍त करते हुए ऑपरेशन सिंदूर के प्रत्येक पहलू को स्‍पष्‍ट कर दिया है। उन्‍होंने कहा है कि हमारी सेनायें सतर्क हैं। हम पाकिस्‍तान की हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। 

उन्‍होंने इस बात को कई बार जोर देकर कहा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी जारी है, साथ ही उन्‍होंने कहा कि आतंकवाद और बातचीत, व्‍यापार और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चलेगा। अगर यह युग युद्ध का नहीं है तो आतंकवाद का भी नहीं है। आतंकवाद किसी एक देश की समस्‍या नही हैं, इससे पूरी दुनिया त्रस्‍त है। प्रधानमंत्री की स्पष्ट घोषणा है कि भारत किसी भी परमाणु ब्‍लेकमेल को बर्दाश्‍त नहीं करेगा। सीमा पर प्रोक्‍सीवॉर नहीं चलेगा। पाकिस्‍तान से अगर बातचीत होगी, तो उसका एजेंडा आतंकवाद की समाप्ति एवं पीओके होगा। भविष्‍य में आतंकवादी घटनायें हुई तो उसे ‘एक्‍ट ऑफ वॉर’ मानकर ही कार्रवाई होगी। हम गोली का जबाब गोलों से देगें। प्रधानमंत्री के इस तरह दो टूक वक्तव्यों के बाद अब किसी को संदेह नहीं होना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी ऑपरेशन सिंदूर के सम्बन्ध में वस्तुस्थिति से अवगत कराने के लिए जो सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल अनेक देशों में भेजा और उन सदस्‍यों ने जिस कुशलता से भारत का पक्ष रखा उससे उन देशों के मन में उठ रहे सारे प्रश्नों का उत्तर मिल गया होगा। दूसरी ओर प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों शशि थरूर, सलमान खुर्शीद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, कनीमोजी, सुप्रिया सुले, प्रियंका चतुर्वेदी और असुद्दीन ओवेसी आदि पर कुछ लोग सवालिया निशान लगा रहे हैं। सर्वद‍लीय प्रतिनिधिमंडल के कांग्रेस पार्टी के सदस्‍यों पर कांग्रेस के ही कुछ लोगों द्वारा उठाए जा रहे सवाल दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण हैं। 

स्‍मरणीय है कि 1994 में पाकिस्‍तान ने कश्‍मीर में मानवाधिकारों के उल्‍लंघन को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत को घेरने की रणनीति बनायी थी। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर राष्‍ट्रहित को सर्वोच्‍च मानते हुए तत्‍कालीन नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी को भारतीय प्रतिनिधि मंडल का मुखिया बनाकर जिनेवा भेजा था। अटल जी की बुद्धिमत्‍ता, उनकी तर्कपूर्ण पैरवी और नरसिंह राव जी की कूटनीति के सामने पाकिस्‍तान का झूठ टिक नहीं पाया। जो दायित्‍व देशहित में अटल बिहारी वाजपेयी ने विपक्षी नेता के रूप में उस समय निभाया था, वही दायित्‍व अभी कांग्रेस के शशि थरूर, जनाब सलमान खुर्शीद, आनन्‍द शर्मा, मनीष तिवारी ने निभाया है, और इन्‍होंने पाक को बेनकाब किया है। कांग्रेस के जो नेता अपने साथियों की प्रतिनिधि मंडल में भूमिका पर तरह-तरह के प्रश्‍न उठा रहे हैं, यह अनुचित है, चूंकि पाकिस्‍तान इस तरह के वक्‍तव्‍यों को भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में उपयोग करता है।

यह भी याद रखना होगा कि 26 नवम्‍बर, 2008 को जब लश्‍कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित आतंकवादियों ने मुंबई पर सबसे बड़ा हमला किया था जिसमें 160 से अधिक लोगों की जानें गयी थीं उस समय तत्‍कालीन सरकार ने क्‍या-क्या कार्रवाई की थी? आज जब ऑपरेशन सिंदूर पर अनावश्‍यक प्रश्न उठाये जा रहे हैं तो मुंबई हमले के बाद तत्‍कालीन सरकार की भूमिका से भी इसकी तुलना होगी।

भारत एवं पाकिस्‍तान की अनेक मायनों में कोई तुलना ही नहीं है। चाहे आर्थिक स्थिति का विषय हो या रक्षा तैयारी का मामला हो। पाकिस्तान भारत के समक्ष कहीं ठहरता ही नहीं है। भारत की कुल अर्थव्यवस्था पाकिस्‍तान से 11 गुनी अधिक है। भारत की सैन्‍य क्षमता के मुकाबले पाकिस्‍तान अत्यंत कमजोर है। अभी तक हुये सभी पारंपरिक युद्धों में पाकिस्‍तान ने मुंह की खाई है। हमारे स्‍वदेशी रक्षा उत्‍पादन जैसे तेजस लड़ाकू विमान, ब्रम्‍होस मिसाइल,अग्नि मिसाइल, आकाश मिसाइल अद्भुत हैं एवं भारत रक्षा क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर होने की ओर अग्रसर है। 

भारत ने वित्‍त वर्ष 2024-25 में रक्षा निर्यात में लगभग 24,000 करोड़ रूपये का रिकॉर्ड आंकड़ा पार कर लिया हैं। ऑपरेशन सिंदूर के एक माह पूरा होने पर यह नतीजा निकाला जा सकता है कि भारत आ‍त्‍मरक्षा के मामलों में पूर्ण सक्षम है। यशस्‍वी प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के निर्णायक नेतृत्‍व में आतंकवाद को समाप्‍त करने हेतु भारत संकल्‍पबद्ध है।

(लेखक, भारत सरकार में रक्षा उत्पादन, कार्मिक व संसदीय कार्य राज्यमंत्री रहे हैं)