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जम्मू-कश्मीर की प्रगति

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Mon , 09 Jun

सार

पाकिस्तान को सख्त संदेश देने की कोशिश की गई है कि जम्मू-कश्मीर की प्रगति को उसकी तमाम साजिशों के बावजूद धीमा नहीं पड़ने दिया जाएगा..!!

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विस्तार

पहलगाम आतंकी हमले के डेढ़ महीने बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू-कश्मीर यात्रा स्थानीय लोगों के साथ एकजुटता की एक सार्थक पहल ही कही जाएगी। इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में बड़ी रेल परियोजनाओं के उद्घाटन से पाकिस्तान को सख्त संदेश देने की कोशिश की गई है कि जम्मू-कश्मीर की प्रगति को उसकी तमाम साजिशों के बावजूद धीमा नहीं पड़ने दिया जाएगा। इसके विपरीत पाक पोषित आतंकवादियों द्वारा शांति भंग करने के तमाम षड्यंत्रों के बावजूद विकास में तेजी लाने के भरसक प्रयास जारी रहेंगे। 

कश्मीरियों से संवाद कायम करते हुए प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान पर पर्यटकों को निशाना बनाने और पर्यटन पर निर्भर लोगों को उनकी आजीविका से वंचित करने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे सीधे-सीधे इंसानियत और कश्मीरियत पर हमला बताया। निस्संदेह, कश्मीर घाटी को भारत के बाकी रेल नेटवर्क से जोड़ने का सामरिक व प्रतीकात्मक महत्व किसी से छिपा नहीं है। यह सरकार के इस दृष्टिकोण की पुष्टि है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न व अविभाज्य हिस्सा था, है और रहेगा। 

प्रधानमंत्री ने उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेलवे लिंक को जम्मू कश्मीर की नई पहचान और भारत की नई ताकत बताया है। इस प्रकार उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि पहलगाम के जघन्य हत्याकांड के बाद केंद्र शासित प्रदेश और देश, दोनों ही मजबूत हुए हैं। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री की स्पष्ट अभिव्यक्ति न केवल स्थानीय लोगों बल्कि शेष देश से आने वाले पर्यटकों का विश्वास फिर से हासिल करने का सार्थक प्रयास है। 

इसी तरह के प्रयास राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की तरफ से भी किए जा रहे हैं। राज्य के लोगों का मनोबल और पर्यटकों का भरोसा बढ़ाने के मकसद से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पिछले सप्ताह एक सराहनीय कदम उठाया। उन्होंने पहलगाम की सड़कों पर साइकिल चलाई और जोर देकर कहा कि अब आतंकवाद पर्यटन को नहीं रोक सकता है। वहीं केंद्र सरकार भी इस दिशा में रचनात्मक भूमिका निभा रही है और राज्य सरकार को हर संभव सहयोग दे रही है।

दरअसल, केंद्र सरकार भी लगातार इस दिशा में सक्रिय है कि जम्मू-कश्मीर की कानून व्यवस्था पटरी पर आ चुकी है। इसमें दो राय नहीं है कि केंद्र व राज्य सरकार के सामने पर्यटकों का भरोसा हासिल करना इतना भी आसान नहीं है। उन्हें यह भरोसा दिलाना सहज नहीं है कि कश्मीर में सब कुछ ठीक-ठाक है और उनकी जान को कोई खतरा नहीं है। 

यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद कश्मीरियों के प्रति भय और अविश्वास गंभीर स्थिति तक जा पहुंचा था। हालांकि, कश्मीरी लोगों ने पहलगाम घटना के खिलाफ जोरदार विरोध किया था। वे आतंकवादियों के खिलाफ नारे लगाते हुए बाकायदा सड़कों पर भी उतरे थे। उन्होंने आतंक की घटना का सार्वजनिक तरीके से विरोध करके नई पहल की। 

निश्चित रूप से सत्ता में बैठे लोगों को उन नफरत फैलाने वालों पर सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के पुनरुद्धार से होने वाले लाभों को पलीता लगाने पर तुले हैं। वहीं दूसरी ओर शुक्रवार को राष्ट्र को समर्पित, चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल हर भारतीय के लिये गर्व का विषय है। बताया जाता है कि यह एफिल टावर से भी ऊंचा है। साथ ही इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह तूफान, बम हमले और भूकंप के खतरे में भी सुरक्षित रह सकता है। 

दरअसल, यह पुल चिनाब नदी पर बना और उधमपुर-श्रीनगर के बीच रेल लिंक प्रोजेक्ट का हिस्सा भी है। रेलवे के अनुसार यह पुल कटरा से बनिहाल तक 111 किलोमीटर लंबे मार्ग में अहम संपर्क सुविधा को विस्तार देगा। साथ ही सामरिक दृष्टि से भी सेना के लिये इस पुल का विशेष महत्व है। करीब 1468 करोड़ रुपये में बना यह पुल आठ साल की मेहनत के बाद बना है। 

निस्संदेह, जम्मू-कश्मीर में नई ट्रेनों और रेलवे पुलों की सामान्य स्थिति बहाल करने में बड़ी भूमिका है, इसलिए उनकी सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह पर्यटकों व यात्रियों की सुरक्षा से अटूट रूप से जुड़ा है। इसमें दो राय नहीं कि सरकार सही रास्ते पर है और जम्मू-कश्मीर के लिये यह एक शुभ संकेत ही कहा जाएगा