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हमला बनाम आत्मरक्षा का अधिकार’

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Fri , 20 Jun

सार

ईरान में एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता माहसा अमीनी को जेल में यातनाएं देकर मार दिया गया था, महिलाएं सडक़ों पर उतरी थीं, उन्होंने अपने बुर्के जलाए थे। बाल काट-काट कर आग के हवाले कर दिए थे। उन विरोध-प्रदर्शनों के दौरान भी खामेनेई हुकूमत ने 500 से अधिक महिलाओं को मार दिया था, उस सोच के तबके आज भी ‘मजहबी नेता’ की हुकूमत के खिलाफ हैं..!!

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विस्तार

अमरीकी राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पर लिखा है-‘हमें पता है कि ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई कहां छिपे हैं? वह आसान टारगेट हैं, लेकिन अभी वहां सुरक्षित हैं, क्योंकि अभी हम उन्हें मारना नहीं चाहते।’ लगभग यही भाषा इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू भी बोल रहे हैं। दोनों नेताओं के पास पर्याप्त जानकारी है कि ईरान के ‘मजहबी नेता’ मौजूदा दौर में बेबस और अलोकप्रिय हैं। 

यदि अमरीका या इजरायल उन्हें निशाना बना कर खत्म करते हैं, तो ईरान में किसी भी तरह का विद्रोह नहीं होगा। ये हालात तब से बने हैं, जब ईरान में एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता माहसा अमीनी को जेल में यातनाएं देकर मार दिया गया था। महिलाएं सडक़ों पर उतरी थीं। उन्होंने अपने बुर्के जलाए थे। बाल काट-काट कर आग के हवाले कर दिए थे। उन विरोध-प्रदर्शनों के दौरान भी खामेनेई हुकूमत ने 500 से अधिक महिलाओं को मार दिया था। उस सोच के तबके आज भी ‘मजहबी नेता’ की हुकूमत के खिलाफ हैं। 

कुछ इस्लामी देशों समेत ईरान में भी, अयातुल्ला अली खामेनेई की मौत के खिलाफ, छिटपुट विरोध-प्रदर्शन किए जा सकते हैं, लेकिन अमरीका और इजरायल के खिलाफ व्यापक विद्रोह सामने नहीं आएंगे। एक तबका तो आज भी ट्रम्प और नेतन्याहू को ‘शैतान’ करार देता है। बहरहाल ईरान में राजनीतिक अस्थिरता, हिंसा और सरकारी संस्थानों के ध्वस्त होने का दौर शुरू हो सकता है, क्योंकि बाहरी शक्ति के हस्तक्षेप और हुकूमत को उखाड़ फेंकने के अभियानों के बाद ऐसा होना स्वाभाविक है। 

इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन और लीबिया के स्वयंभू शासक एम. गद्दाफी की हत्याओं के बाद अस्थिरता महसूस की गई थी, लेकिन दोनों देश आज भी लोकतंत्र नहीं हैं। तानाशाही और आतंकवाद बदलते रूपों के साथ हुकूमत में हैं। अफगानिस्तान में घोषित आतंकी ‘तालिबान’, बिना चुनाव और लोकतांत्रिक जनादेश के, आज हुकूमत में हैं। दिलचस्प यह है कि भारत समेत दुनिया के ज्यादातर देश इस तालिबानी हुकूमत के साथ ही काम कर रहे हैं, लिहाजा तालिबान सरकार को मान्यता दे रहे हैं।

अफगानिस्तान में सोवियत संघ और अमरीका दोनों ही महाशक्तियां पराजित हुई हैं। अमरीकी सैनिक तालिबान लड़ाकों के बढ़ते कदमों को रोक नहीं पाए, नतीजतन तत्कालीन राष्ट्रपति बाइडेन को अमरीकी सेनाओं की वापसी का निर्णय घोषित करना पड़ा। बहरहाल अब ईरान के संदर्भ में अमरीका और इजरायल की मंशा क्या है? कैसे थमेगा यह युद्ध? यह युद्ध भी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं और सप्लाई चेन को बुरी तरह प्रभावित करेगा। ईरान की राजधानी तेहरान को तुरंत खाली कर देने के बयान राष्ट्रपति टं्रप और प्रधानमंत्री नेतन्याहू दोनों ने दिए हैं, नतीजतन पलायन और विस्थापन शुरू हो गए हैं। भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने का अभियान भी आरंभ हो चुका है। 

तेहरान में करीब 98 लाख लोग बसते हैं। शहर छोडऩे की होड़ मची है। खाड़ी देशों और इजरायल में करीब 1 करोड़ भारतीय व्यापार और नौकरी कर रहे हैं और विद्यार्थी भी हैं। अकेले ईरान में ही 10,765 भारतीय हैं, जिनमें 1500 से अधिक छात्र हैं। वे सभी अस्थिर होंगे। इजरायल-ईरान युद्ध पर महत्वपूर्ण रुख अख्तियार करने का मौका जी-7 समूह के विकसित और संपन्न देशों के पास भी था, लेकिन वे चूक गए और संघर्ष कम करने का ही आह्वान कर सके। उन्होंने इजरायल का पक्ष भी लिया और हमले को ‘आत्मरक्षा का अधिकार’ करार दिया। राष्ट्रपति टं्रप ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए, बल्कि शिखर सम्मेलन के अधबीच ही वाशिंगटन लौट गए।

उन्होंने कहा है कि हम जंग का अंत चाहते हैं, बिल्कुल अंत, सिर्फ युद्धविराम के पक्ष में नहीं हैं। अंत तभी होगा, जब ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम बंद करना स्वीकार कर लेगा। हम ईरान के पास परमाणु बम नहीं देख सकते और न ही वह बना सकता है, लिहाजा ईरान ‘बिना शर्त आत्मसमर्पण’ करे। एक तरफ अमरीका का रुख यह है और दूसरी तरफ 40 से ज्यादा लड़ाकू विमान यूरोप भेजे हैं, जिससे युद्ध समाप्त किए जाने की मंशा साफ नहीं होती। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में जो समग्र कार्य योजना बनाई गई थी, उसमें ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को अच्छी तरह काट दिया गया था। कोई भी सैन्य अभियान यह संभव नहीं कर सकता। विडंबना है कि टं्रप उस कार्य योजना को खारिज कर चुके हैं। युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। यह दोनों पक्षों के लिए हानिकारक ही होता है। साथ ही इससे पूरे विश्व की शांति भी भंग होती है।