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मध्यप्रदेश को गति और शक्ति दे रही जुगलबंदी  

सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुर और मुख्यमंत्री शिवराज की ताल से मध्यप्रदेश सौगातों से मालामाल हुआ है। पीएम मोदी फिर एक और सौगात देने मध्यप्रदेश आ रहे हैं। इस बार प्रधानमंत्री महाकाल की नगरी उज्जैन आएंगे। मोदी और शिव का नाता, प्रभु कृपा के बिना हो ही नहीं सकता। भारत में ज्योतिर्लिंगों के विस्तार और जीर्णोद्धार से मोदी का रिश्ता हमें सोचने पर मजबूर करता है। उज्जैन में महाकाल में नए कॉरिडोर का लोकार्पण प्रधानमंत्री मोदी के हाथों होने का संयोग अगली कड़ी है।

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विस्तार

नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में बाबा सोमनाथ की सेवा में उनके लाल ने कोई कसर नहीं छोड़ी। सोमनाथ के आशीर्वाद और बाबा विश्वनाथ के बुलावे पर नरेंद्र मोदी 2014 में काशी पहुंच गए। अब गंगा और बाबा विश्वनाथ के बीच बने कोरिडोर ने दुनिया को भारत की ताकत दिखाई है। बाबा विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार लगभग ढाई सौ साल पहले रानी अहिल्याबाई ने कराया था। इसके बाद अब नरेंद्र मोदी की परिकल्पना और कोशिशों से यह जीर्णोद्धार हो सका है। 

काशी विश्वनाथ मंदिर की गलियों और परिस्थितियों को देखकर ऐसा माना जा रहा था कि इस स्थान पर बाबा विश्वनाथ और मां गंगा के बीच कॉरिडोर का निर्माण आसान नहीं होगा लेकिन सारी कठिनाइयों को पार करते हुए यह बना। बाबा विश्वनाथ मंदिर के नए स्वरुप की गूंज पूरी दुनिया में हो रही है। काशी में श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ी है और स्थानीय लोगों की अपेक्षाएं भी परवान चढ़ी हैं। उत्तराखंड में बाबा केदारनाथ धाम में भी नया निर्माण और जीर्णोधार चल रहा है। नरेंद्र मोदी बाबा केदारनाथ धाम के जीर्णोधार निर्माण पर लगातार नजर रखे हुए हैं। केदारनाथ धाम में जब नव निर्माण पूरा होगा तो उसकी दिव्यता और भव्यता भक्तों का मन मोह लेगी। 

कालों के काल महाकाल मध्यप्रदेश के उज्जैन में विराजे हैं। महाकाल का मंदिर शहर के बीचो-बीच स्थित है। महाकाल परिसर में भगदड़ की घटनाएं हो चुकी हैं। इसके कारण कुछ लोगों को जान भी गंवानी पड़ी थी। इस कारण श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं के विकास की लंबे समय से कोशिशें चल रही थीं। मध्यप्रदेश में रही कमोबेश सभी सरकारों ने महाकाल परिसर में विस्तार के प्रयास किए लेकिन इसके पूर्ण होने का संयोग अब बना। महाकाल परिसर में कॉरिडोर का निर्माण तेजी के साथ चल रहा है। प्रथम चरण का काम पूरा हो चुका है और इसका लोकार्पण 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। 

नए कॉरिडोर के निर्माण के बाद जो श्रद्धालु महाकाल के दर्शन का लाभ उठाएंगे, उन्हें इस कॉरिडोर के परिसर में भगवान शिव के 190 स्वरूप नजर आएंगे। 900 मीटर लंबे कॉरिडोर के एक ओर रुद्रसागर तो दूसरी तरफ आकर्षक प्रतिमाओं से सुसज्जित म्यूरल वाल बनाई गई है। परिसर में शिव तांडव स्त्रोत से लेकर शिव-विवाह और अन्य प्रसंगों को भी मूर्तिकला के माध्यम से दर्शाया गया है। कॉरिडोर में 108 स्तंभ हैं। 

यह धार्मिक मंदिर कॉरिडोर देश का सबसे बड़ा कॉरिडोर है। वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर का कॉरिडोर 300 मीटर का है जबकि महाकाल कॉरिडोर 920 मीटर का है। महाकाल कॉरिडोर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक संख्या में सुविधा के साथ महाकाल के दर्शन का लाभ मिल सके। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाकाल कॉरिडोर के लोकार्पण के लिए एक माह में दोबारा मध्यप्रदेश आ रहे हैं। वे 17 सितंबर को भी पालपुर कूनो अभ्यारण में नामीबिया से लाए गए चीतों को छोड़ने आये थे। प्रधानमंत्री के हाथों 'टाइगर स्टेट' मध्यप्रदेश को 'चीता स्टेट' होने का गौरव भी हासिल हुआ है। 

देश में केंद्र और राज्यों की डबल इंजन सरकार से तेज विकास का वास्तविक स्वरूप मध्यप्रदेश में मोदी और शिवराज की जुगलबंदी से बहुत प्रभावी और कारगर रूप में दिखाई पड़ता है। नरेंद्र मोदी अपने प्रधानमंत्रित्व काल में तकरीबन हर साल मध्यप्रदेश को सौगात देने के लिए आते रहे हैं। 

एशिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना का श्रेय भी मध्यप्रदेश के माथे पर अंकित है। सौर ऊर्जा का यह गौरव नरेंद्र मोदी के हाथों ही मिला था। राज्यों में सैन्य स्मारक की शुरुआत मध्यप्रदेश में शौर्य स्मारक के निर्माण के साथ की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शौर्य स्मारक का भी लोकार्पण किया था। कई बिजली परियोजनाओं और सिंचाई परियोजनाओं की शुरुआत भी मध्यप्रदेश में नरेंद्र मोदी के हाथों की गई है। वर्ल्ड क्लास कमलापति रेलवे स्टेशन का लोकार्पण भी प्रधानमंत्री ने ही किया था। 

भाजपा की आंतरिक राजनीति में मोदी और शिवराज के रिश्तों को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जाते हैं। हर बार जब-जब इस तरह के सवाल उठाये जाते हैं तब प्रधानमंत्री मध्यप्रदेश के दौरे पर आकर सारी अटकलों को विराम लगा देते हैं। मध्यप्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव में अब करीब एक साल बचा है। इसलिए अब हो रहे प्रधानमंत्री के मध्यप्रदेश दौरों को चुनावी नजरिए से भी देखा जा सकता है। ऐसा लगता है मोदी और शिवराज में विकास के प्रति लगन और प्रतिबद्धता कॉमन फैक्टर है जो दोनों के बीच जुगलबंदी को गति और शक्ति देता है। 

शिवराज सिंह चौहान कोई भी ऐसा मौका नहीं छोड़ते जहां मोदी की फ्लेगशिप योजनाओं को क्रियान्वित करने में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर न रहे। पालपुर कूनो में अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीतों के संरक्षण के लिए चेताते हुए कहा था कि मध्यप्रदेश उन्हें कभी भी निराश नहीं करता, उन्हें पूरा विश्वास है कि चीता पुनर्स्थापना की इस पहली परियोजना को मध्यप्रदेश में सफलता मिलेगी। मध्यप्रदेश को लेकर प्रधानमंत्री का यह भरोसा डबल इंजन सरकार की सफलता के साथ सुर और ताल की बारीक समझ और कमिटमेंट की बानगी है। महाकाल कॉरिडोर मध्यप्रदेश के माथे पर नए मुकुट के रूप में हमेशा चमकता रहेगा।