देश के विभिन्न भागों में इन्फ्लुएंजा की दस्तक चिंता बढ़ाने वाली...
बीते कल भोपाल का मौसम गर्म था, आज पारा गिर गया है। मौसम विभाग पारे के गिरने और फिर तेज़ी से उठने का संकेत दे रहा है। जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम में अचानक होने वाले बदलावों से जो सर्दी-गर्मी की स्थिति पैदा हो रही है, वह कई तरह के रोगों को जन्म दे रही है। इसके चलते देश के विभिन्न भागों में इन्फ्लुएंजा की दस्तक चिंता बढ़ाने वाली है। जिसमें खांसी, बुखार, गले में जलन, ब्रॉन्काइटिस जैसी फेफड़ों से जुड़ी तकलीफें लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही हैं। चिंता इसलिये भी है कि इसके लक्षण कोविड वायरस जैसे ही हैं। वैसे तो यह वायरस दो-तीन दिन में ठीक हो सकता है लेकिन यदि कई हफ्ते तक प्रभाव रहता है तो कारगर इलाज और बचाव की जरूरत महसूस की जा रही है।
इन्फ्लुएंजा के एच3एन2 वायरस के प्रभाव की वजह मौसम का अचानक सर्द व गर्म होना कहा जा रहा है। जिसके चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। जिसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग सावधानी रखने की बात कह रहे हैं। कहा जा रहा है कि भारत की बड़ी आबादी को प्रतिरोध टीके लगे होने की वजह से स्थिति नियंत्रण में ही रहेगी क्योंकि अधिकांश लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। इसके बावजूद वायरस के प्रसार के चलते सावधानी बरतना व्यक्ति के हित में रहता है। यही वजह है कि सामान्य खांसी, जुकाम,बुखार के लक्षण दिखने पर साफ-सफाई, भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचने व मास्क के प्रयोग की सलाह भी दी जा रही है। यानी लोगों को कोरोनोचित व्यवहार को इस संक्रमण में लाभदायक बताया जा रहा है। भारत जैसे सघन आबादी वाले देश में इसके प्रसार का जोखिम लगातार बना रहता है। जिसमें सावधानी ही कारगर उपाय कहा जा सकता है। कर्नाटक में एक व्यक्ति की मौत ने चिंता बढ़ाई है हालांकि उम्रदराज व्यक्ति पहले ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह समेत कई रोगों से पीड़ित बताया जाता है।
यूँ तो चिकित्सा विशेषज्ञ इन्फ्लुएंजा के विषाणु को ज्यादा घातक नहीं मान रहे हैं, लेकिन स्वच्छता के उपाय तथा खानपान की सजगता को मददगार मान रहे हैं। जिससे शरीर में इसके विषाणु प्रवेश न कर सकें तथा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बने। बहरहाल, लोगों में भय-असुरक्षा फैलने से रोकने के लिये समय रहते बचाव की तैयार होनी चाहिए। दरअसल, इन्फ्लुएंजा- ए वायरस के एच3एन2 सब-टाइप के लगातार बढ़ते मामलों ने इसलिये चिंता बढ़ाई है क्योंकि इसके अधिकांश लक्षण कोविड-19 जैसे हैं। जो वायु-प्रदूषण से तेजी से फैल सकता है। एक रोगी में कफ, बुखार, उल्टी, गले व शरीर में दर्द, थकान व आंतों में दर्द जैसे लक्षण दिखायी देते हैं। जबकि कम रोगप्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों, बूढ़ों तथा बीमार लोगों को यह जल्दी गिरफ्त में लेता है। आईसीएमआर के अनुसार कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिये यह एक चुनौती है। कुछ राज्यों में पहले इसने बड़ी संख्या में बच्चों को निशाने पर लिया है। लेकिन यदि बुखार लंबे समय तक कम न हो और सांस लेने में परेशानी हो तो डॉक्टर की सलाह लेने से परहेज नहीं करना चाहिए।
वहीं ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 95 से कम होने पर चिकित्सीय सलाह की बात कही जा रही है। वहीं आइएमए ने एंटीबायटिक दवाओं से परहेज की बात कही है। दरअसल, आईसीएमआर ने संक्रमण रोकने के लिये वही उपाय बताए हैं जो कोरोना से बचाव के दौरान निर्धारित किये गये थे। वहीं इम्युनिटी बढ़ाने के लिये अधिक साग-सब्जी, तरल पदार्थों और पोषक तत्वों के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। ज्यादा आराम व गुनगुने पानी के उपयोग की भी सलाह दी जा रही है। लेकिन चिंता तब होगी यदि वायरस म्यूटेशन करता है। उस स्थिति में दुबारा संक्रमित होने से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में अभिभावकों को बच्चों को लेकर ज्यादा सतर्क रहना होगा। संक्रमण की स्थिति में मधुमेह, हृदय रोग व कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को इन्फ्लुएंजा वैक्सीन की सलाह भी कुछ डॉक्टर देते हैं। बहरहाल, कोरोना संकट से मुक्त देश में इस वायरस के संक्रमण की चिंता को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी समीक्षा बैठक करके एडवाइजरी जारी की है।