असम के मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर माना है कि असम पुलिस को इस मामले में अविवेकपूर्ण तरीके से कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी। मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए मुआवजे की घोषणा कर दी गई है..!
० प्रतिदिन विचार-राकेश दुबे
26/11/2022
आज़ादी के बाद से देश में भारत संघ और राज्य तथा राज्यों के आपसी सम्बन्ध को लेकर बहस चली, आयोग बने पर नतीजा शून्य रहा | अब राज्य सरकारें एक दूसरे के आमने- सामने हो गई है | सर्व विदित है ,ताजा घटना असम और मेघालय की सीमा पर कार्बी आंगलोंग जिले में हुई। लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को सुरक्षाकर्मियों ने रोका, जिसे लेकर हिंसा भड़क गई थी। हालांकि दोनों राज्यों ने इस मामले को संभाल लिया है, मगर मेघालय के लोगों में रोष अभी बना हुआ है। असम के मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर माना है कि असम पुलिस को इस मामले में अविवेकपूर्ण तरीके से कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी। मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए मुआवजे की घोषणा कर दी गई है।
ऐसी ही घटना पिछले साल जुलाई में मिजोरम और असम की सीमा पर हुई थी, जब दोनों राज्यों की पुलिस ने एक-दूसरे पर गोली चलाई और कई लोग मारे गए थे। बाद में असम सरकार ने अपने नागरिकों के लिए सलाह जारी की थी कि वे पड़ोसी राज्यों में न जाएं। एक गणराज्य में यह अपने तरह की पहली घटना थी, जब एक राज्य की पुलिस ने दूसरे राज्य की पुलिस पर ही गोलीबारी की और किसी राज्य ने अपने नागरिकों को दूसरे राज्य में न जाने की सलाह जारी की।
सब जानते हैं कि असम के साथ मणिपुर, मिजोरम और मेघालय का सीमा विवाद पुराना है। केंद्र सरकार इन विवादों को सुलझाने का प्रयास कर रही है और उसका दावा है कि काफी हद तक विवाद सुलझा भी लिए गए हैं। इस संबंध में करीब सात महीने पहले असम और मेघालय के बीच भी समझौता हुआ था, जिसमें कुल बारह में से छह विवादों को सुलझा लिए जाने का दावा किया गया। उसके बावजूद अगर यह घटना घटी, तो इसे क्या कह सकते हैं।
इससे यह प्रतिध्वनित होता है की राज्यों के आपसे रिश्ते ठीक नहीं है और केंद्र मूक दर्शक की भूमिका से ज्यादा कुछ कर नहीं पा रही है |इसी तरह मिजोरम को लेकर हुआ था, दोनों राज्यों के बीच कुछ दिन पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री ने सीमा विवाद को लेकर समझौता कराया था, मगर दोनों राज्यों की पुलिस आपस में भिड़ गई। असम, मिजोरम और मेघालय में एक ही पार्टी की या गठबंधन सरकारें है। इसलिए उनके बीच किसी तरह का राजनीतिक द्वेष भी नहीं कहा जा सकता। पूर्वोत्तर में चूंकि असम सबसे बड़ा राज्य है, इसलिए उससे सीमा विवाद को लेकर अधिक उदारवादी दृष्टिकोण अपनाने की अपेक्षा की जाती है। मगर हैरानी की बात है कि वहीं की पुलिस अपनी कार्रवाइयों में संयम नहीं बरत पा रही।