टोना-टोटका और पनौती की बातें निराश मन का संकेत करती हैं. क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत की हार पर जब क्रिकेट प्रेमी सदमे में थे तब राजनीति प्रेमी पनौती-पनौती खेलने लगे. सोशल मीडिया पनौती के संदेशों से भर गया. राजस्थान के चुनाव अभियान में भी पनौती की गूंज सुनाई दी...!!
राहुल गांधी ने भी चुनावी सभा में पनौती शब्द को उछालकर तालियां बटोरी. भारतीय क्रिकेट टीम ने पूरे वर्ल्ड कप में जिस तरह से खेला था उससे यह विश्वास था कि इस बार वर्ल्ड कप भारत ही जीतेगा लेकिन खेल-खेल होता है. क्रिकेट तो अनिश्चितताओं का खेल ही है. वर्ल्ड कप के फाइनल मैच को लेकर भारत का उत्साह चरम पर था. पीएम नरेंद्र मोदी भी मैच का लुत्फ़ लेने के लिए स्टेडियम पहुंचे थे.
किसी देश में वर्ल्डकप का मैच हो और फाइनल में पहुंचे अपने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने के लिए वहां का प्रधानमंत्री न पहुंचे ऐसा होता नहीं है. भारत हारा, ऑस्ट्रेलिया जीता. प्रधानमंत्री ने ड्रेसिंग रूम में जाकर भारतीय खिलाड़ियों की पीठ थपथपाई और संदेश दिया कि भारतीय क्रिकेट टीम भले ही वर्ल्ड कप ना जीत पाई हो लेकिन टीम पर देश को गौरव है.
अहमदाबाद के स्टेडियम के ड्रेसिंग रूम में क्रिकेट खिलाड़ियों को गले लगाने का दृश्य वैसा ही नजारा पेश कर रहा था जैसा इसरो केंद्र पर चंद्रयान 2 के फेल होने पर इसरो के चीफ को गले लगाकर पीएम ने हौसला बढ़ाया था. भारत पहले भी वर्ल्ड कप जीता है और आगे भी वर्ल्ड कप जीतेगा. चंद्रयान 2 जब फेल हुआ था तब भी निराश मन वाले लोग ऐसी ही बातें कर रहे थे, जैसी पनौती वाली बातें वे अभी कर रहे हैं.
भारत के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतार कर भारत के पनौतीमनों को पनौतीपन छोड़ने का बड़ा संदेश दिया था लेकिन जिनको समझ नहीं आना उनको तो राजनीति से बेहतर कोई धंधा समझ ही नहीं आता. भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी भी टीम की हार पर देश में चल रही पनौतीपन की राजनीति को भविष्य में जवाब जरूर देंगे.
कभी कोई व्यक्ति, कभी कोई आवाज, कभी कोई संगीत, कभी कोई दृश्य, कभी कोई भाव, कभी कोई विचार, मन को छू लेता है. ठीक इसी तरह से कोई व्यक्ति, कोई आवाज,कोई दृश्य, कोई भाव और विचार हमेशा मन को तकलीफ ही पहुंचाता है. सियासत में जो ना हो जाए वह कम है. क्रिकेट मैच की हार या जीत खिलाड़ियों के कारण होती है लेकिन राजनीति के खिलाड़ी इसके लिए भी अपने प्रतिद्वंदियों को जिम्मेदार बना सकते हैं. यह भारत में ही संभव है.
किसी भी हार के लिए किसी को भी जिम्मेदार मानने का मतलब है कि मानने वाला ऐसा ही चाहता था. यह ठीक वैसे ही है कि स्वयं की मान्यता को प्रमाणित करने के लिए तर्क दिए जाते हैं.अगर क्रिकेट मैच किसी व्यक्ति के ग्राउंड में जाने के कारण हारा गया है तो फिर भारत के खिलाड़ियों की मेहनत और प्रतिष्ठा का क्या कोई वजूद नहीं है?
क्रिकेट की हार को राजनीति में किसी को पनौती साबित करने के लिए उपयोग करने वालों को इस बात से सावधान रहना चाहिए कि राजनीति में उनकी हार के लिए किसका पनौतीपन जिम्मेदार है. पीएम मोदी पर राजनीतिक कटाक्ष के रूप में पनौती शब्द का उपयोग राहुल गांधी सहित कांग्रेस के लोग सभाओं या सोशल मीडिया पर कर रहे हैं. इस वैज्ञानिक युग में टोना-टोटका और पनौती पर विश्वास बौद्धिक दिवालियापन के अलावा कुछ भी नहीं कहा जा सकता.
भारत के वैज्ञानिकों, खिलाड़ियों और प्रोफेशनल पावर की आज दुनिया में गूंज है. भारतीय राजनीति के सितारे भी दुनिया में भारत को नए मुकाम पर पहुंचा रहे हैं. घरेलू राजनीति में जो ध्रुवीय परिवर्तन आया है उसके कारण भारत और भारतीयता का गौरव बढ़ता ही जा रहा है. जो चिंतन, विचारधारा और सोच भारतीयता के साथ मेल नहीं खाती है वह भारतीयता के गौरव को कमतर साबित करने में कभी कोई कमी नहीं छोड़ती है और यही खेल के बहाने राजनीतिक पनौतीपन में भी दिखाई पड़ रहा है.
पनौतीमन ही पनौती को समझ सकता है. चुनौती को स्वीकार करने वाला पनौती की दृष्टि को समझ ही नहीं सकता है. मनौती से कुछ भी नहीं होता. भीतर बाहर एक सा व्यक्तित्व, कर्मठता और राष्ट्र के प्रति समर्पण के प्रति ईमानदारी की ही आरती उतारी जाती है. चाहे राजनीति हो, चाहे कोई भी क्षेत्र हो, परिवार और खानदान देखकर नहीं काम और स्वाभिमान देखकर राष्ट्रीय सम्मान हासिल होता है.