क्या गोदी विपक्ष भी हो सकता है?
मध्य प्रदेश में आज कल कांग्रेस कौन सी राजनीति कर रही है, यह समझना मतदाताओं के लिए मुश्किल हो रहा है| ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत से सरकार गंवाने वाली कांग्रेस का दर्द भी शायद उन्हें सबक नहीं दे सका|
राज्य के दो वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की बातचीत का वीडियो जो वायरल हो रहा है, वह बहुत दिलचस्प है, उससे कई सवाल खड़े हो गए हैं| इस वीडियो में संगठन के प्रमुख यह कहते दिखाई पड़ रहे हैं कि मुख्यमंत्री से मिलने के लिए समय मांगने की बात उन्हें क्यों नहीं बताई गई, उसका जवाब देते हुए दूसरे बड़े नेता कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री से मिलने के लिए आपसे क्यों समय मांगे| यह बातचीत राजनीति के कई संकेत और संदेश दे रही है| आज के दौर में बदल रही विपक्ष की राजनीति के लिए यह सबसे चर्चित डायलॉग होने वाला है| इस बातचीत का सुखद अंत तब सामने आया जब संगठन प्रमुख के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री सीएम से मिलने में सफल हुए|
सदन के नेता और विपक्ष के नेता के बीच ऐसी समझ तालमेल और समन्वय प्रदेश के लिए सुखद माना जाएगा? जनविरोधी मुद्दों पर संघर्ष और जन आंदोलन की राजनीति तो प्रदेश में लुप्त सी हो गई है|
देश में मोदी सरकार आने के बाद गोदी मीडिया की चर्चा आम है| मीडिया के लोग ही आपस में एक दूसरे को गोदी मीडिया सिद्ध करने में जुटे हुए हैं| मीडिया और विपक्ष की भूमिका लगभग एक जैसी होती है| जनता के मुद्दों पर मीडिया और विपक्ष आवाज उठाता है| जब गोदी मीडिया हो सकता है तो सोचिए क्या गोदी विपक्ष भी हो सकता है?
भाजपा के गुना सांसद के पी यादव द्वारा सिंधिया के विरुद्ध भाजपा आलाकमान को लिखे शिकायती पत्र की जितनी राजनीति भाजपा में नहीं हो रही है उससे अधिक कांग्रेस में हो रही है| कांग्रेस के बयान और उनके चहकते चेहरे ऐसा बता रहे है कि शायद उन्हें कोई बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा मिल गया है |
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मीडिया से कह रहे हैं कि अभी और के पी यादव सामने आएंगे| कांग्रेस का मीडिया विभाग तो बाकायदा अपने बयान में कह रहे हैं कि 40 से अधिक भाजपा के ईमानदार और निष्ठावान नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को सिंधिया की शिकायत की है| इन पदाधिकारी ने अपने प्रेस नोट में सिंधिया के खिलाफ शिकायतों को सार्वजनिक करने की भाजपा नेतृत्व से मांग करते हुए के पी यादव के पत्र लीक होने का रहस्योद्घाटन भी किया है|
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है| ऐसे ट्वीट और बयान तो कांग्रेस की ओर से आते ही रहते हैं, जिसमें मुख्यमंत्री के हटने और नए मुख्यमंत्री बनने वालों के नामों का भी ऐलान किया जाता है| जो बात भाजपा पार्टी नेतृत्व को नहीं मालूम है वह कांग्रेसी नेताओं की ओर से मीडिया में उछाली जाती है|
प्रतिद्वंदी पार्टी में चल रही राजनीति और असंतोष को जानने, समझने और भड़काने का मीडियाई दावा करने वाली कांग्रेसी वही पार्टी है जिसको सिंधिया के विधायकों की बगावत की कानो कान खबर नहीं थी| जो सिंधिया इन नेताओं की मांद से अपने साथियों को सुरक्षित खींच ले गए उनको उनकी नई पार्टी में कमजोर करने में कांग्रेस क्यों लगी है|
इससे कांग्रेस को क्या लाभ होने वाला है| आंतरिक राजनीति के कारण अगर भाजपा में कोई अंतर्विरोध है तो कांग्रेस उसका राजनीतिक लाभ लेने के बजाय टारगेटेड हमले करने का काम न मालूम किस उद्देश्य से करती है|
वैसे अंतरद्वन्द और अंतर्विरोध के मामले में कांग्रेस भाजपा और दूसरी पार्टियों से मीलो आगे है| कांच के घर में रहने वाले दूसरों के घर पत्थर फेंकने का दुस्साहस कैसे कर सकते हैं| कांग्रेस की यह राजनीति दुस्साहस है या कुछ और है| आज पूरा देश साजिश, षड्यंत्र और सुपारी पॉलिटिक्स में उलझा हुआ है| विपक्षी दल जनहित से ज्यादा दूसरी पार्टी के विशेष नेताओं की सुविधा पूर्ण राजनीति के लिए टारगेट अटैक करते देखे जाते हैं| मध्यप्रदेश में यह साफ दिखाई देता है कि प्रतिद्वंदी पार्टी के खास नेताओं पर खास उद्देश्य से राजनीतिक हमले और आरोपों की बौछार की जाती है|
मध्य प्रदेश में संविद सरकार को छोड़कर लगभग 40 सालों तक कांग्रेस ने राज किया है| ऐसी पार्टी आज जमीन पर लड़ना भूल गई है| ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार सब कुछ अच्छा ही कर रही है| जनता में राम राज्य है| कांग्रेस की गतिविधियाँ तो ऐसा ही अहसास देती हैं कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए तो राम राज्य है| बिना संघर्ष के जब वही लाभ है तो संघर्ष कौन और क्यों करेगा?
आजकल सरकार चलाना कठिन सा हो गया है| विपक्ष की राजनीति सब तरीके से फायदेमंद लगती है| गोदी विपक्ष की समृद्धि और सफलता क्या किसी से छिपी हुई है?
बूढ़ा शेर भी जंगल का राजा नहीं रहता| राजनीति के जंगल में शायद सामान्य प्राकृतिक नियम भी नहीं चलते| एक प्रचलित कहावत है कि बुढ़ापे का प्रेम, संतति और संपत्ति की लालसा बहुत दुख देती है| किसी भी ग्रामीण से पूछो इस कहावत का विस्तार बता देगा|
विपक्ष की राजनीति में जवाबदेही सरकार से ज्यादा होनी चाहिए| सरकार की गलतियों पर नजर रखना विपक्ष का ही उत्तरदायित्व है, लेकिन न मालूम जनहित की विपक्षी नजर किन कारणों से कहां खो गई है?
सिंधिया को कांग्रेस कितना भी भला बुरा कह सकती है| लेकिन अभी तो सिंधिया ने कांग्रेस को चारों खाने चित कर अपना झंडा गाड़ने में सफलता पाई है| भविष्य क्या होगा यह तो भविष्य ही बताएगा| सिंधिया के विरोध में भाजपा में बगावत का स्वप्न देख रहे कई लोगों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बगावत उन्मुखी उनकी पार्टी में फिर से बगावत हो सकती है?
सत्ता ही जब माई बाप है, तब पार्टी, विचारधारा और संगठन कम से कम कांग्रेस में तो बहुत अधिक मायने नहीं रखते|
मध्य प्रदेश के वर्तमान राजनीतिक हालातों को क्या कांग्रेस का दुर्भाग्य कहें या भाजपा का सौभाग्य| जनता तो सरकार को जनता द्वारा जनता की जनता के लिए ही मानती है| भाग्य और दुर्भाग्य कर्म से ही बनता है| जनता राजनीतिक दलों और नेताओं के सुकर्मो तथा कुकर्मो को ध्यान से देखती जरूर है| वक्त भले लगे लेकिन जनता निर्णय सही ही करती है|