जबलपुर में 31 मई को कांग्रेस की 'जय हिंद सभा' के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मंच पर बैठने से इनकार कर दिया था। पूर्व मंत्री और जबलपुर विधायक लखन घनघोरिया ने उनके पैर छूकर मंच पर बैठने का अनुरोध किया, लेकिन दिग्विजय सिंह नहीं माने।
दिग्विजय सिंह ने मंच पर न बैठने के सात कारण बताए हैं।
दिग्विजय सिंह ने इस संबंध में फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर की है..
इस दौरान उन्होंने लिखा- मंच पर न बैठने का मेरा फैसला व्यक्तिगत विनम्रता नहीं, बल्कि कांग्रेस की मूल भावना "समानता, अनुशासन और सेवा" को मजबूत करने की प्रतिबद्धता है। संगठन को मजबूत करने के लिए सादगी जरूरी है। मैंने 2018 में "पंगत में संगत" और 2023 में "समन्वय यात्रा" के दौरान भी मंच से परहेज किया, ताकि कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच कोई दूरी न रहे। यह परंपरा कांग्रेस के डीएनए में है।
महात्मा गांधी सार्वजनिक सभाओं में फर्श पर बैठते थे, ताकि कोई भेदभाव न हो। 17 मार्च 2018 को दिल्ली में कांग्रेस के अधिवेशन में राहुल गांधी, सोनिया गांधी और सभी नेता मंच के नीचे गैलरी में बैठे थे। यह पार्टी की एकता का प्रतीक था। 28 अप्रैल 2025 को ग्वालियर में मंच पर न बैठने का फैसला इसी विचार को आगे बढ़ाता है। दिग्विजय सिंह ने इसके पीछे की वजहें बताईं।