गरीब महिलाओं की आजीविका के नाम पर लिखी जा रही भ्रष्टाचार की इबारत


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स्टोरी हाइलाइट्स

उपलब्धि के बड़े-बड़े दावों के बीच पन्ना जिले 90 फीसदी समूह पूर्णतः निष्क्रिय, रोजगार में बिचौलिया बन अपने आर्थिक सशक्तिकरण में जुटे एसआरएलएम अफसर..!!

पन्ना: गांव में रहने वाले गरीब परिवारों की महिलाओं को आजीविका एवं कौशल (हुनर) आधारित रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) का संचालन किया जा रहा है। राज्य के कई जिलों में महिलाओं के आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने वाले आजीविका मिशन को पन्ना जिले में कुछ अफसरों ने अपने आर्थिक लक्ष्यपूर्ति का साधन बना लिया है। 

जिले में स्व-सहायता समूहों से जुड़ीं ग्रामीण महिलाओं की आजीविका तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देने से जुड़ीं कागजी सफलताओं के नाम पर धड़ल्ले से भ्रष्टाचार की इबारत लिखी जा रही है। स्व-सहायता समूह परिवारों को दो या दो से अधिक आजीविका गतिविधियों से जोड़कर महिलाओं (दीदियों) को लखपति श्रेणी में ले जाने के बजाए भ्रष्ट अफसर आपस में ही कौन बनेगा 'डबल डिजिट करोड़पति' खेल रहे हैं। करोड़पति क्लब में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ के चलते आजीविका मिशन पन्ना के कुछ अधिकारी जमकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। जिसका अंदाजा सिर्फ इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि अपने काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा खुलने से रोकने के लिए ये सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 को ठेंगा दिखा रहे हैं। 

विभाग से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी आरटीआई के तहत मांगने पर आम नागरिक से लेकर ग्रामीण पत्रकार और सत्तारूढ़ दल भाजपा के विधायक तक को नहीं दी गई। सूचना का अधिकार कानून के उल्लंघन से जुड़े मामले की गुनौर के भाजपा विधायक डॉ. राजेश वर्मा द्वारा शिकायत करने के बाद भी दोषी अधिकारियों का बाल भी बांका नहीं हुआ। ऐसे में सहज ही सवाल उठता है, सुशासन-पारदर्शिता का दम भरने वाली मोहन सरकार में भ्रष्ट अफसरों को इतनी हिम्मत या संरक्षण आखिर मिल कहां से रहा है।

सीआरपी मानदेय भुगतान में गड़बड़ी..  

सामुदायिक स्त्रोत व्यक्ति (सीआरपी) आजीविका मिशन के लिए ग्राम स्तर पर कार्य करने वाले सहयोगी हैं। जिन्हें काम के आधार पर मानदेय का भुगतान संकुल स्तरीय संगठन के बजट से किया जाता है। सीआरपीयों से गांवों में समूह की अवधारणा का प्रचार-प्रसार करने से लेकर समूहों के दस्तावेज संधारण, समूह की बैठकों के आयोजन, संचालन एवं क्षमता निर्माण, बैंक संयोजन, समूह की आय से जुड़ी गतिविधियों के साथ सर्वे संबधी कार्यों आदि में सहयोग लिया जाता है। 

पन्ना जिले बड़ी संख्या में कागजों पर फर्जी सीआरपियों से काम लेने के एवज में प्रतिवर्ष लाखों का मानदेय डकरा जा रहा है। फर्जी सीआरपियों के खातों में मानदेय भुगतान अंतरित कर राशि का बंदरबांट किया जाता है। सीआरपियों के मानदेय घोटाले का पर्दाफाश उनके कार्यक्षेत्र के ग्राम संगठन एवं समूह सदस्यों से तस्दीक कर किया जा सकता है। 

वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 व्हीपीआरपी सर्वे सहित इन्हीं वर्षों में कराए गए लखपति दीदी सर्वे में सीआरपी मानदेय मद की बड़ी राशि का खेल हुआ है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि पन्ना जिले में आजीविका मिशन के 90 प्रतिशत समूह पूर्णतः निष्क्रिय हैं। इन समूहों को जारी की जाने वाली चक्रीय निधि (रिवाल्विंग फंड), सामुदायिक निवेश निधि (सीआईएफ) राशि कहां खर्च हो रही यह जांच का विषय है।

अधिकांश सूक्ष्म उद्यम ठप्प पड़े..

पीएमएफएमई (PMFME) योजना, जिसे 'प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना' के रूप में भी जाना जाता है। उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित है। इस योजना अंतर्गत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण की इकाई स्थापित करने पर लागत का 35 प्रतिशत या अधिकतम 10 लाख रुपये तक अनुदान दिया जाता है। योजना के तहत आजीविका मिशन के माध्यम से स्व सहायता समूहों को लाभान्वित किया जाता है। इसमें व्यक्तिगत और समूह उद्यमियों को क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी प्रदान की जाती है। 

पन्ना जिले आजीविका मिशन के माध्यम से स्थापित अधिकांश सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम सिर्फ कागजों पर संचालित है। वहीं ग्रामीण अंचल में रहने वाले जो परिवार कई वर्ष पूर्व से सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम संचालित कर बरी, पापड़, आचार, गुड़, मुरब्बा इत्यादि उत्पाद बना रहे थे उन्हीं को पीएमएफएमई स्कीम का लाभार्थी बनाकर सफलता रेडीमेड की कहानियां दर्ज की जा रहीं है। उद्यमों की टर्न ओवर रिपोर्ट, भुगतान किए जीएसटी सहित अन्य टैक्स संबंधी प्रमाणित दस्तावेज खंगाले जाएं फर्जी उपलब्धियों की पोल खुल सकती है।

इसी तरह समूह सदस्यों की गैर कृषि आधारित आजीविका गतिविधियों  के लिए जिले भर में बड़ी संख्या खरीदी गई अगरबत्ती बनाने की मशीनें, बर्तन साफ़ करने का गूंजा बनाने की मशीनों की खरीदी में आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक लघु उद्यमिता विकास ओम प्रकाश सोनी और पन्ना विकासखंड के प्रभारी ब्लॉक प्रबंधक विवेक मिश्रा ने बिचौलिए की भूमिका अदा कर सप्लायरों से मोटा कमीशन प्राप्त किया। जबकि खरीदी के बाद से ही आज भी शत-प्रतिशत मशीनें बंद पड़ी धूल खा रहीं है।

जिपं सीईओ ने पकड़े डबल बैंक खाते..

आजीविका मिशन के पन्ना विकासखंड प्रबंधक विवेक मिश्रा द्वारा माह मार्च 2025 में 34 स्व-सहायता समूहों के प्रकरण एनआरएलएम पोर्टल अंतर्गत एफडीएम मॉड्यूल के माध्यम से चक्रीय निधि की राशि हेतु डिमांड लगाई गई थी। जिला पंचायत सीईओ के समक्ष जब डिमांड के दस्तावेज पहुंचे तो 7 समूहों के एफडीएम मॉड्यूल नाम एवं वास्तविक बैंक खाता नाम (पीएफएमएस अनुसार) में भिन्नता पाई गई। जिसमें सिलधरा, दमचुआ, कोनी, उमरी गांवों के समूह शामिल थे। 

प्रथम दृष्टया वरिष्ठ कार्यालय को गुमराह कर वित्तीय अनियमितता के प्रयास का मामला प्रतीत होने पर जिला पंचायत सीईओ द्वारा दिनांक 20 मार्च 2025 पन्ना विकासखंड के प्रभारी बीएम विवेक मिश्रा को कारण बताओ नोटिस जारी कर सप्रमाण स्पष्टीकरण मांगा गया। इस मामले में आजीविका मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक प्रमोद शुक्ला के द्वारा अपने चहेते बीएम को बचाने के लिए सीआरपियों पर दोषारोपण कर समूहों की प्रोफ़ाइल लोकोश पोर्टल पर के माध्यम से अपडेट किए जाने के चलते त्रुटिवश गलत जानकारी प्रविष्ट करना बताया गया। 

जबकि सच्चाई यही है कि चुनिंदा  स्व-सहायता समूहों से लेकर ग्राम संगठनों एवं संकुल स्तरीय संगठनों के डबल खाते संचालित कर राशि ठिकाने लगाई जा रही है। पन्ना विकासखंड में वर्षों से जमे स्थानीय प्रभारी बीएम विवेक मिश्रा के कारनामों का यदि गांव-गांव दस्तावेजीकरण किया जाए तो अत्यंत ही हैरान करने वाले मामले उजागर हो सकते हैं।