वन मंडल के टेंडर घोटाले पर शीर्ष अधिकारी की चुप्पी, प्रभावित सप्लायर अदालत की शरण में


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स्टोरी हाइलाइट्स

वन भवन में शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारियों की चुप्पी के बाद अब प्रभावित सप्लायर न्यायालय में दस्तक दी है। हालांकि अभी न्यायालय ने सुनवाई की तारीख मुकर्रर नहीं की है..!!

भोपाल: धार वन मंडल में टेंडर के कथित घोटाले पर वन भवन में शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारियों की चुप्पी के बाद अब प्रभावित सप्लायर न्यायालय में दस्तक दी है। हालांकि अभी न्यायालय ने सुनवाई की तारीख मुकर्रर नहीं की है।

याचिकाकर्ता हितेंद्र भावसार और तुलसी ट्रेडर्स ने न्यायालय में दस्तक दी है। हितेंद्र भावसार और तुलसी ट्रेडर्स याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि नियम विरुद्ध 3 जुलाई को 1 दिन की 5 निविदा लगाई गई जो की क्रय भंडार नियम 10.1.2 के खिलाफ है। निविदाओं की समाचार विज्ञप्ति नहीं दी गई, जोकि क्रय भंडार नियम 10.1.3 के खिलाफ है। बार्बेड वायर एवं चेनलिंक की निविदा 3 जुलाई शाम को 5.45 बजे एवं शाम 7.27 बजे पब्लिश की गई। उसी दिन यानि 3 जुलाई को रात्रि 8.11 एवं 9.28 पर एक फर्म के द्वारा निविदा में भाग लिया गया। 

पहलु यह है कि डीएफओ द्वारा भी उस फर्म को क़्वालीफ़ाई भी किया गया। जबकि निविदा में डाले गए नियम अनुसार निविदा के लिए सत्यंकार निधि का डीडी, निविदा दस्तावेज़ में ऑनलाइन जमा करना था, जोकि बैंक समय एवं न्यायालय के खुलने के समय में ही बनाया जा सकता है। इससे यह ज्ञात होता है कि उस फर्म को इस निविदा की जानकारी पहले ही दे दी गई थी।

याचिका में यह भी उल्लेख है कि निविदा के अन्य नियमों के अनुसार अनुलग्न-1 को 3 दिवस पहले जमा करने तथा निविदा के अन्य सभी दस्तावेज़ को निविदा खत्म होने के पूर्व कार्यालय में जमा करने की शर्त डाली गई थी। जमा पावति को निविदा दस्तावेज़ के साथ संलग्न कर पोर्टल पर अपलोड करना था। जिस फ़र्म में निविदा में 3 जुलाई को भाग लिया था उसे पावति पहले ही दे दी गई थी। 

डीएफओ पांचों निविदाओ को 14 जुलाई को अलग-अलग समय के लिए बढ़ाया गया और इसी बढ़े हुए समय के दौरान ही अन्य सभी फर्मों ने निविदा में भाग लिया। निविदा जिस कम्प्युटर से बनाई गई तथा जिस कम्प्युटर से उसे आगे बढ़ाया एवं निविदा को खोला गया गया। याचिका में आशंका व्यक्त की गई है कि उनके (चाहेती फर्म) आईपी एवं डीएफओ कार्यालय के कम्प्युटर के आई पी एक समान है।