भोपाल: राज्य सरकार चार जिलों शिवपुरी, झाबुआ, बालाघाट एवं रीवा में स्थित फारेस्ट स्कूल में केंद्र की योजना अनुसार चार वन विज्ञान केंद्र खोलने जा रही है जिन पर अगले पांच साल में कुल 48 करोड़ रुपये व्यय किये जायेंगे। इस साल वर्ष 2025-26 में 5 करोड़, वर्ष 2026-27 में 7 करोड़ रुपये, वर्ष 2027-28 में 10 करोड़ रुपये, वर्ष 2028-29 में 12 करोड़ रुपये एवं वर्ष 2029-30 में 14 करोड़ रुपये व्यय होंगे। ये केंद्र कृषि वानिकी को बढ़ावा देने का कार्य करेंगे।
उल्लेखनीय है कि कृषि वानिकी के अंतर्गत विशेष वृक्ष प्रजातियों को उगाया जाता है। वर्तमान में यूकेलिप्टस, बबूल, बेर, आम, साल, बॉस एवं सागौन आदि वृक्षों की कृषि वानिकी को जोर दिया जा रहा है। स्थानीय स्तर पर मृदा एवं जलवायु एवं बाजार मांग के आधार पर प्रजाति का चयन कृषक द्वारा किया जा सकता है। ये केंद्र बनाने का उद्देश्य वन-निर्भर उद्यमों, कृषकों और अनुसंधान संगठनों द्वारा विकसित विभिन्न तकनीकों के प्रसार को सुविधाजनक बनाना है।
कृषि वानिकी, भूमि उपयोग की ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत वृक्ष प्रजाति के पौधे, कृषि भूमि की मेढ़ एवं अन्य रिक्त भूमि पर रोपित किये जाते हैं जिससे वार्षिक कृषि फसलों के साथ-साथ वृक्ष के उत्पाद/काष्ठ से कृषक को अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके। इन चार वन विज्ञान केंद्रों के अंतर्गत शिवपुरी केंद्र में ग्वालियर, शिवपुरी एवं भोपाल वन वृत्त शामिल होंगे जबकि झाबुआ केंद्र में इंदौर, खण्डवा, नर्मदापुरम एवं उज्जैन वन वृत्त सम्मिलित होंगे। बालाघाट केंद्र में सिवनी, बालाघाट, बैतूल एवं छिन्दवाड़ा वन वृत्त जुड़ेंगे। रीवा केंद्र में शहडोल, रीवा, सागर, जबलपुर एवं छतरपुर वन वृत्त रहेंगे।
डॉ. नवीन आनंद जोशी