बुढापे को जन्म देने वाली मां है कब्ज: Constipation के लिए प्राकृतिक और आयुर्वेदिक घरेलू उपचार, Indian home remedies for constipation


स्टोरी हाइलाइट्स

कब्ज के कारण, आयुर्वेदिक उपचार, घरेलू उपचार,दूसरों को जन्म देने वाली मां होती है, इसी प्रकार बुढ़ापे को भी जन्म ने वाली एक मां है और वो है constipation।

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दूसरों को जन्म देने वाली मां होती है, इसी प्रकार बुढ़ापे को भी जन्म ने वाली एक मां है और वो है constipation। अस्थायी constipation के बारे में नहीं कह सकते, लेकिन स्थायी constipation वास्तविक रूप से बुढ़ापे को पलाती है। जो मनुष्य स्थायी constipation का रोगी है और उसका उपचार करता, वो निर्णायक रूप से शीघ्र वृद्ध हो जाएगा और अपना दीर्घायु पाने का अधिकार खो बैठेगा।

constipation (कब्ज) को मां कहा गया है यानि वो दूसरी अन्य बीमारियों को पैदा करती है। इस तरह यह बुढ़ापे की ही मां है। constipation नई सभ्यता की उपज है। जंगली जानवर, जंगली पक्षी और जंगलों में रहने वाले असभ्य मनुष्य constipation से कभी दुःख नहीं पाते क्योंकि वे अपना प्राकृतिक भोजन खाते हैं।

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आजकल का सभ्य जन भूख हो या न हो शय्या पर चाय लेगा, फिर जलपान करेगा, फिर दिन का खाना खाएगा, शाम को फिर चाय के साथ कई वस्तुएं लेगा, रात को सम्पन्न भोजन का आनन्द लेगा । अब भला आमाशय तथा आंत इतना भार कैसे उठा सकती हैं? परिणाम यह होता है कि अन्दर विजातीय द्रव तथा मल बढ़ना शुरु हो जाता है जो आंतों में जम जाता है, आंतें दुर्बल हो जाती हैं, मल को ठीक प्रकार से निकाल नहीं पाती। इसी का नाम constipation है। 

constipation आरंभ होने से पहले कभी-कभी अपच होता है। यदि समझदार मनुष्य सावधान होकर व्रत से इस अपच का उचित उपचार कर ले और भविष्य के लिए सावधान हो जाए तो वो इस रोगों से स्त्रोत से सुरक्षित रह सकता है। अन्यथा वो इसके चंगुल में फंसकर बुढ़ापे तथा मृत्यु को न्यौता देता है। आज का सभ्य मनुष्य अपनी आधी आयु तो इस रोग का पक्का रोगी बनने में व्यतीत कर देता है और बाकी आधी आयु इसी रोग का रोना रोने में।

डॉक्टर जार्ज रैलिस कार्ट ने अपनी पुस्तक 'स्वस्थ रहो और लम्बी आयु पाओ' में constipation से बचने के लिए लिखा है कि इस रोग के रोगी के रुके हुए मल में कीड़े पैदा हो जाते हैं और वो कीड़े चलते-चलते खून में जा मिलते हैं और इस तरह सारे शरीर को विषाक्त बना देते हैं तथा बहुत से अन्य रोगों को जन्म देते हैं।

कब्ज से कैसे बचें?

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जहां तक संभव हो, रसे वाली चीजें कम खाओ, बल्कि चबा कर खाने वाली वस्तुएं खाओ। अग्नि पर पकी हुई सब्जियों की जगह भाप पर पकी हुई खाओ। बहुत गर्म वस्तुएं न खाओ। भोजन के साथ पानी न पियो। दो खाने के बीच में पानी पियें। घूंट-घूंट करके यथेष्ट जल पियो।

भोजन चबा कर खाओ, चबा कर खाने वाले भोजन के साथ पीने वाले भोजन न मिलाओ। कच्ची हरी सब्जियां (विशेषतया पत्तों वाली) और ताजे फल खाने में अधिक प्रयोग करो। रेचक औषधि कभी न लो।

घरेलु चिकित्सा?

. प्रतिदिन हरड़ का चूर्ण 3 से 5 ग्राम मात्रा हल्के गर्म जल के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से constipation सरलता से नष्ट हो जाती है।

. प्रतिदिन हरड़ का मुरब्बा खाने से व दूध पीने से constipation नष्ट होती है। सनाय की पत्तियां 50 ग्राम, सौंफ 100 ग्राम और मिश्री 20 ग्राम मात्रा में लेकर कूट कर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन 7-8 ग्राम चूर्ण हल्के गर्मजल के साथ सेवन करने से कठिन से कठिन constipation भी नष्ट हो जाती है।

. 6 ग्राम त्रिफला चूर्ण मधु मिलाकर रात्रि को बिस्तर पर जाने से पहले सेवन करें। फिर 200 गर्म दूध अवश्य पिएं। constipation शीघ्र नष्ट होती है

. तुलसी के ताजे 25 ग्राम पत्ते पीसकर 100 ग्राम दही में मिलाकर सेवन करने से constipation नष्ट हो जाती है।

. आडू के फलों को उबालकर क्वाथ बनाकर पीने से constipation नष्ट हो जाती है।

. प्रतिदिन गाजर का 200 ग्राम रस पीने से constipation की विकृति उत्पन्न नहीं होती।

. 50 ग्राम गुलकंद रात्रि के समय दूध के साथ सेवन करने से constipation नहीं होती।

. पपीता constipation को शीघ्र नष्ट करता है। प्रतिदिन पपीता खाने वाले को constipation नहीं होती।

. रात्रि के समय दो छुहारे दूध में उबालकर, छुहारे खाने और दूध पीने से constipation नष्ट हो जाती है।

. मुनक्का के 8-10 दाने दूध में उबालकर सेवन करने व दूध पीने से constipation का निवारण होता है।

अगर बुढ़ापे को दूर रखकर आयु बढ़ाना चाहते हो तो constipation के बारे में विशेष सावधानी रखो।

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इससे पहले आपको बुढ़ापे की मां का नाम और लाभ बताया जा चुका है। इसलिए यदि आप सचमुच बुढ़ापे को अपने से दूर रखना चाहते हैं, यानि कि उसको पैदा ही नहीं होने देना चाहते, तो उसको जन्म देने वाली मां को ही समूल नष्ट कीजिए, अन्यथा यदि वो जीवित रही तो अवश्य अपने इस प्यारे से बच्चे यानि बुढ़ापे के जन्म का कारण बनेगी।

जिस तरह बुढ़ापे की मां है, उसी प्रकार जवानी की भी मां है और प्राकृतिक रूप से आपको इसके बारे में जानने की भी जिज्ञासा होगी। आइये में आपको बता दूं यो है बेफ़िक्री यानि निश्चिन्तता।

आप कितना भी अच्छा या सावधानीपूर्वक प्रतिबन्धित भोजन करें किन्तु यदि मन में चिंता उपस्थित है, तो सब कुछ खाया हुआ बेकार जाएगा। यह शरीर का अंश नहीं बन सकता बल्कि पत्थर बनकर शरीर के किसी न किसी भाग में विशेष अवयव बनकर पड़ा रहेगा इसलिये निश्चिन्तता का होना आवश्यक है। 

हृदय और शरीर का संबंध इतना गहरा है और इतना निकटतम है कि हमने उस पर कभी पूरा ध्यान नहीं दिया। प्रायः कहा जाता है कि प्रसन्न रहने से और हंसने से, खुशी से जीवन बिताने से स्वास्थ्य ठीक रहकर आयु लम्बी होती है। यह बात है भी शत-प्रतिशत ठीक, किन्तु निश्चिन्तता के बिना प्रसन्नता और हंसी खुशी कहा? निश्चिन्त मनुष्य ही आराम तथा ताजगी अनुभव कर सकता है, इसलिए खुशी का आधार निश्चिन्तता पर है।

चिंता ग्रस्त मनुष्य यद्यपि चलता-फिरता है, किन्तु वो तो एक चलती-फिरती लाश होती है, उसके जीवन को जीवन नहीं कहा जा सकता, वो मृत्यु से भी बुरा है। उस पर तो मनो बोझ होता है और उसके हृदय में सुइयां और काटे चुभते रहते हैं। चिंता ऐसी बला है कि यह अपने सगे-सम्बन्धियों को भी अपने पास बुला लेती है। 

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जहां स्वयं हो वहां अपने नातियों को भी न्योता देती है। इसके नाती हैं उदासी, निराशा, क्लेश, भय, घृणा, द्वेष, नीचतापूर्ण विचार, जीवन से विरक्तता आदि। जहां यह सारा परिवार इकट्ठा हो जाए वहां स्थिरता और चैन कहां? वहां तो दुःखों के बवंडर उठते हैं, क्लेश की अग्नि जलती है।

मृतक मनुष्य तो आराम से लेट जाता है, किन्तु चिंताग्रस्त मनुष्य को आराम और चैन कहां मिल सकता है?

सफल जीवन केवल ठीक प्रकार के भोजन के चुनाव पर ही आधारित नहीं है, बल्कि इसका आधार इस पर है कि जीवन के बारे में हमारा दृष्टिकोण स्वस्थ, आशापूर्ण तथा निश्चिन्तता का है। भोजन का प्रत्येक रूप से अच्छा होना जितना उसके जीवन शक्ति पर निर्भर है उतना ही विचारों और हृदय की स्थिति पर भी निर्भर है। यदि हम स्वस्थ रहकर दीर्घायु पाना चाहते हैं तो हमारे दोनों चुनाव ठीक होने चाहिए। रुकावटों और कठिनाइयों के होते हुए भी हमें प्रसन्नता के साथ जीवित रहने का ढंग आना चाहिए।

समझ लीजिए कि बेफिक्री या निश्चिन्तता यौवन की मां है। अच्छा भोजन उसकी मौसी है, यानि मां की छोटी बहन है। मौसी अपनी बहन के बच्चे को प्यार तो कर सकती है, किन्तु बच्चे को जन्म देना तो मां का ही काम है। इसलिए अच्छे भोजन की अपेक्षा युवावस्था बनाए रखने के लिए निश्चिन्तता अधिक आवश्यक है।

एक आवश्यक बात नहीं भूलनी चाहिए कि बुढ़ापे की मां जिसका वर्णन इससे पहले किया गया है, यौवन की मां से अधिक शक्तिशाली है। बुढ़ापे की मां की उपस्थिति में यौवन की मां की दाल नहीं गल पाती और इसे पनपने नहीं देती। इसलिए यह आवश्यक है कि जहां योवन की मां का पालन तथा रक्षा की जाए, वहा बुढ़ापे की मां को समूल नष्ट किया जाए। यानि जहां निश्चिन्तता को शरीर का अंग बनाने की चेष्टा की जाए यहा constipation को अपने से दूर रखा जाए, अन्यथा मल-विकार के रहते हुए हृदय की कली खिल ही नहीं सकती और निश्चिन्तता तथा ताजगी की प्राप्ति असंभव होकर रह जाती है।