जीवन जैसा मिले उसे वैसा ही जी लेना


स्टोरी हाइलाइट्स

तुम देखते, जिसको तुम तथाकथित सुखी आदमी कहते हो, वह कैसा पोचा हो जाता है! उसके जीवन में कोई गहराई नहीं होती। संघर्ष ही न हो तो गहराई कहां! और जीवन में दुख न झेला हो तो निखार कहां!

  जीवन जैसा मिले उसे वैसा ही जी लेना अन्यथा की मांग न करना। जीवन जैसा मिले उसे परम स्वीकार से जी लेना। प्रभु ने जो दिया है उसमें राज होगा। प्रभु ने जो दिया है उसमें प्रयोजन होगा, उसमें कुछ कीमिया होगी; तुम्हें बदलने का कोई उपाय छिपा होगा। दुख दिया है तो तुम्हें निखारने को दिया होगा। दुख में आदमी निखरता है; सुख में तो जंग खा जाता है। सुख ही सुख में तो आदमी मुर्दा—मुर्दा, थोथा हो जाता है। तुम देखते, जिसको तुम तथाकथित सुखी आदमी कहते हो, वह कैसा पोचा हो जाता है! उसके जीवन में कोई गहराई नहीं होती। संघर्ष ही न हो तो गहराई कहां! और जीवन में दुख न झेला हो तो निखार कहां! सोना तो आग से गुजर कर ही स्वच्छ होता है, सुंदर होता है, शुद्ध होता है। जीवन की आग से ही गुजर कर आत्मा भी शुद्ध होती है, निखरती है, स्वर्ण बनती है। तो जो हो, जैसा हो, उससे भागना मत, वहीं जागना। असली प्रक्रिया जागने की है। जो करो होशपूर्वक करना। दुख आ जाये, दुख को भी होशपूर्वक झेलना, अंगीकार कर लेना। इंकार जरा भी न करना। स्वीकार— भाव से मान कर कि जरूर कोई प्रयोजन होगा—और निश्चित तुम पाओगे प्रयोजन है। दुख तुम्हें बदलेगा, माजेगा, निखारेगा, ताजा करेगा, और किसी बड़े सुख के लिए तैयार करेगा। जीवन तपश्चर्या है। ओशो अष्‍टावक्र महागीता