मध्य प्रदेश की जबलपुर हाई कोर्ट ने WP 10154/2022 EWS आरक्षण मामले में मौजूदा व्यवस्था को बदलते हुए फैसला दिया है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 15(6) और 16(6) का हवाला देते हुए, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने माना कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों के लिए 10% आरक्षण प्रदान किया जाता है।
ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 19 दिसंबर 2019 को रोस्टर जारी कर 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्रदान किया गया था। इस रोस्टर के अनुसार, कुल रिक्तियों में से 10% ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित हैं।
इस मामले में हाई कोर्ट ने माना कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ अभी तक आरक्षित जातियों को नहीं दिया गया है. इसलिए, ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए कुल पदों का 10 प्रतिशत आरक्षित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 16(6) के प्रावधानों के साथ असंगत है। अनारक्षित पदों में से केवल 10% पद ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित किए जाएं। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने दलीलें पेश कीं।
जैसे कि अगर सरकार ने कुल 100 रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की है तो जातियों के लिए आरक्षित पदों (एससी के लिए 16 पद, एसटी के लिए 20 पद और ओबीसी वर्ग के लिए 14 पद = 50) को घटाने के बाद अनारक्षित पदों की संख्या 50 हो जाएगी। EWS के लिए 10% (5 पद) आरक्षित किए जाएं। जबकि वर्तमान में 100 रिक्तियों में से 10% यानी 10 पद EWS के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा 27% ओबीसी आरक्षण विवाद के कारण रुके हुए 13% पदों को भी सुलझाना होगा।