मुद्रा विज्ञान एवं चिकित्सा


स्टोरी हाइलाइट्स

मुद्रा विज्ञान हमारे वैदिक ऋषियों की अद्भुत देन है।आदि काल मे मुद्रा विज्ञान घर घर मे एक सामान्य ज्ञान था जो जन जन को अनजाने ही स्वस्थ्य रखता था।

मुद्रा विज्ञान एवं चिकित्सा मुद्रा विज्ञान हमारे वैदिक ऋषियों की अद्भुत देन है।आदि काल मे मुद्रा विज्ञान घर घर मे एक सामान्य ज्ञान था जो जन जन को अनजाने ही स्वस्थ्य रखता था। यह ज्ञान लुप्त हो गया था और पिछले 12 वर्षों से इसमें बहुत खोज व प्रयोग हुए हैं। दोनों हाथों की दस उंगलियों के द्वारा,मनुष्य अपने शरीर को पूरी तरह से आरोग्य एवं स्वस्थ रख सकता है।दोनों हाथ में अस्तित्व द्वारा दिए हुए दिव्य औषधालय बसते हैं जो साधारण सर्दी जुकाम से लेकर केंसर तक हर रोज के उपचार करने में पूरे समर्थ हैं।हर तरह के नए व पुराने रोग जैसे, डिप्रेशन,अनिद्रा तनाव, हाई ब्लड प्रेशर,हृदय रोग स्कंधवाद ,जोड़ो के दर्द,मधुमेह,चर्म रोग,सोरायसिस,हृदय रोग,दमा, एडिक्शन और सभी अंगों की बीमारी,इस प्राकृतिक चिकित्सा और नैसर्गिक पद्धति द्वारा पूरी तरह से ठीक की जा सकती है।कोई दवा नही, कोई डॉक्टर नही।अद्भुत ,एकदम मुफ्त। क्षिति जल पावक गगन समीरा,  पंचभूत मय रचित शरीरा। सारा अस्तित्व और हमारा शरीर,पंच महाभूत,पृथ्वी,जल,अग्नि वायु और आकाश से रचित हैऔर ये पांच तत्व जब, एक सही अनुपात में होते हैं तो शरीर निरोग होता है। अनुपात का संतुलन बिगड़ जाता है तभी शरीर भी रोगी हो जाता है। हमारे हाथों में इस संतुलन को ठीक करने के स्विच,दस उंगलियों में प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए हैं जिनसे मुद्राओं द्वारा हम तत्व संतुलित कर सकते हैं।इनके द्वारा सभी रोगों का पूरी तरह से निदान कर सकते हैं व सभी रोग जड़ से समाप्त हो सकते हैं। हमारे शरीर में तत्व निचले 5 चक्रों में पाए जाते हैं पृथ्वी तत्व मूलाधार चक्र में,जल स्वाधिष्ठान चक्र में, अग्नि तत्व मणिपुर चक्र में,अनाहत चक्र में वायु तत्व और विशुद्ध चक्र मेंआकाश तत्व हैं। मन आज्ञा चक्र में स्थित है व सहस्त्रार में चेतन है। इसी तरह से हमारा शरीर पंच प्राणों से चलता है कर्म करता है और इनमें भी यह पंच महाभूत विराजमान हैं। पृथ्वी तत्व अपान वायु में, व्यान वायु में जल, समान वायु में अग्नि, प्राण वायु में वायु तत्व एवं उदान वायु में आकाश तत्व है। हमारी दोनों हाथों की उंगलियों में इन महभूतों को सक्रिय व संतुलन करने के साधन है।संतुलन से पूरा शरीर पूरी तरह से निरोग किया जा सकता है। इस विज्ञान को ऋषियों ने मुद्रा विज्ञान कहा है। मुद्रा का मतलब होता है जो मुद,आनन्द को लेकर आता है।पूर्ण स्वास्थ्य ही परम् आनंद है। पहला सुख निरोगी काया। सारे विश्व में शायद मुद्रा चिकित्सा ही एक सबसे सरलतम, ऐसी पद्धति है जिसके द्वारा, पुराने से पुराने रोग जड़ से ठीक किये जा सकते हैं। हमारा प्रयास है कि यह चिकित्सा हर जन जन, घर घर मे जाए,ताकि सभी बहुत सरलता से मुफ्त में, अपने ज्यादातर रोगों का निदान कर सके।देश का करोड़ो रूपये जो दवाओं में जाता है उसे बचाया जा सके।आपका कीमती समय भी अस्पताल के चक्कर से बचाया जा सके।