Nepal News: तंबू में हुई SC की सुनवाई, GEN-Z के विरोध के बाद ऐसा है नेपाल का सूरते हाल


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स्टोरी हाइलाइट्स

नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ 8 सितंबर को शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया, प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट, संसद भवन और राष्ट्रपति कार्यालय समेत कई सरकारी दफ्तरों में आग लगा दी..!!

Nepal GEN-Z Protest: नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के बाद वहां की सरकार गिरा दी गई। सड़कों पर उतरे GEN-Z प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों को जला दिया और मंत्रियों व पूर्व प्रधानमंत्रियों के घरों पर भी हमला किया। 

हालाँकि, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, बलेन शाह और सेना प्रमुख की अपील पर प्रदर्शनकारी शांत हुए और फिर आखिरकार सुशीला कार्की को नेपाल का अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। इस बीच, एक तस्वीर सामने आई है, जिसकी सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है।

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नेपाल में कर्फ्यू हटने के बाद रविवार 14 सितम्बर को जब सरकारी दफ्तर और अदालतें खुलीं, तो हर दफ्तर में लोगों की लंबी कतारें देखी गईं। काठमांडू में भी सुप्रीम कोर्ट खुला और एक अस्थायी टेंट में सुनवाई हुई। इस टेंट पर लिखा था -सुप्रीम कोर्ट नेपाल। नेपाली वेबसाइट खबरहब ने भी इसकी कुछ तस्वीरें शेयर कीं, जिन्हें देखकर सभी हैरान रह गए। अदालत के कर्मचारी तंबू में सामान्य रूप से काम कर रहे थे और लंबी कतारें देखी गईं।

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खबरहब ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को ज़्यादा तारीखें दीं। दरअसल, मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है, इसलिए सुनवाई टाली जा रही है। एक और समस्या यह है कि अदालत के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ आगजनी की घटनाओं में जल गए हैं या दंगों में खो गए हैं। नेपाल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय प्रसाद मिश्रा ने कहा कि इन परिस्थितियों में अदालत पूरी तरह से काम शुरू नहीं कर सकती, लेकिन इसे धीरे-धीरे पटरी पर लाया जा रहा है।

नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ 8 सितंबर से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन कब हिंसक हो गया, किसी को पता ही नहीं चला। प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट, संसद भवन और राष्ट्रपति कार्यालय समेत कई सरकारी दफ्तरों में आग लगा दी। 

इतना ही नहीं, उन्होंने उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को सड़क पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घर पर हमला किया गया। पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनल की पत्नी को घर में बंद करके आग लगा दी गई, जिसमें उनकी मौत हो गई। हिंसा इतनी बढ़ गई कि कई मंत्रियों ने काठमांडू छोड़कर शांतिपूर्ण इलाकों में शरण ली।प्रदर्शनकारियों का गुस्सा देखते हुए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद अब अंतरिम सरकार का गठन हो गया है।