नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम: बच्चों में तेज़ी से फैल रही हैं किडनी की ये बीमारी


स्टोरी हाइलाइट्स

हमारे बॉडी की गंदगी को हम रोज़ाना नहाकर निकाल देते हैं,ठीक यही काम शरीर के भीतर हमारी किडनी (Kidney) करती है,Nephrotic Syndrome.....नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम: बच्चों में तेज़ी से फैल रही हैं किडनी की ये बीमारी हमारे बॉडी की गंदगी को हम रोज़ाना नहाकर निकाल देते हैं,ठीक यही काम शरीर के भीतर हमारी किडनी (Kidney) करती है.किडनी शरीर के टॉक्सिन्स और अनावश्यक चीज़ों को बाहर निकाल हमें स्वस्थ रखती है. मानव शरीर में दो किडनी होती हैं, लेकिन केवल एक ही पूरी जिंदगी सभी महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने में सक्षम होती है. लेकिन बच्चों में बढ़ते अन्हेल्दी जीवन के चलते उनकी किडनियों पर खतरा मंडरा रहा है. (Nephrotic Syndrome) नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम को टाइप-2 नेफ्राइटिस भी कहा जाता है। यह बीमारी छोटे बच्चों में अधिक देखी जाती है। “नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम" शब्द का उपयोग बहुत से विशिष्ट शारीरिक लक्ष्णों जैसे एडीमा (Oedema) प्रोटीन यूरिया (Proteinuria), हाइपो एलव्यूमिनेमिया (Hypoalbyminemla), ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (GFR) का कम होना तथा हाइपरकोलेस्ट्रेमिया (Hypercholesterolermia) के लिए संयुक्त रूप से किया जा सकता है। उच्च रक्त चाप (Hypertension) तथा मूत्र में लाल रक्त कणिकाएं (RBC) भी देखी जाती है। इस लक्षण को हीमेचूरिया (Haermaturia) कहा जाता है। उपरोक्त सारे लक्षण गुर्दे की बीमारी की अवस्था पर निर्भर करते हैं। नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम में गुर्दों से यूरिया तथा चयापचय के अन्य व्यर्थ पदार्थों का उत्सर्जन सामान्य तरीकों से होता है, परन्तु मूत्र के द्वारा प्रोटीन की लगातार हानि होती रहती है, इस कारण शरीर में सूजन देखी जाती है। कभी-कभी प्रोटीन की अत्यधिक हानि के कारण ऊतकों की टूट-फूट तथा कुपोषण देखा जाता है। नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम में शरीर से उत्सर्जित मूत्र की मात्रा सामान्य रहती है। लक्षण (Symptoms) - इसमें मूत्र से एलब्यूमिन तथा ग्लोब्यूमिन प्रोटीन की लगातार हानि के कारण शरीर में सूजन देखी जाती है। मूत्र से प्रतिदिन प्रोटीन की हानि 3.5g. (ग्राम) से अधिक होती है, इसलिए सीरम एलब्यूमिन की सांद्रता प्रति लीटर 30 ग्राम से कम तथा सीरम प्रोटीन की सांद्रता प्रति लीटर 60 ग्राम से कम हो जाती है, जबकि सीरम कोलेस्ट्राल, सामान्य से बढ़ा रहता है। आहारीय उपचार (Dietetic Treatment)- नेफ्रोटिक सिंड्रोम में रोगी के आहारीय उपचार का मुख्य उद्देश्य शरीर से एलब्यूमिन तथा अन्य प्रोटीन की होने वाली हानि को पूरा करना होता है। इसमें रोगी के शरीर में धनात्मक नाइट्रोजन संतुलन स्थापित कर एडीमा को दूर करने का प्रयास किया जाता है। नेफ्रोटिक सिंड्रोम में निम्न प्रकार से आहार का रूपान्तरण किया जा सकता है ऊर्जा (Energy)- रोगी को 2000 कैलोरी वाला आहार प्रतिदिन दिया जा सकता है। आहार में पर्याप्त ऊर्जा होने से प्रोटीन का उपयोग ऊतकों के संश्लेषण के लिए होता है। भोजन भूख को बढ़ाने वाला तथा सुपाच्य होना चाहिए। प्रोटीन (Protein)- प्रोटीन हीनता को कम करने के लिए कम से कम 1.5 2 ग्राम प्रोटीन प्रति किलोग्राम शरीर भार के अनुसार दिया जाना चाहिए। दिये जाने वाले प्रोटीन का 80% भाग उच्च जैविकीय मूल्य वाला हो। स्किम्ड मिल्क पावडर, प्रोटीन का सस्ता साधन होता है, जिसे फलों के रस के साथ या आटे में मिलाकर रोटी के रूप में उपयोग में ला सकते हैं। आजकल बाजार में उच्च प्रोटीन तथा कम सोडियम वाले खाद्य पदार्थ उपलब्ध है, जो कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम के रोगियों को दिये जा सकते हैं। मूंगफली तथा दालें प्रोटीन के सस्ते साधन है। वसा (Fat)- वसा 1 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर भार के अनुरूप दी जाये। कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate)- प्रोटीन तथा वसा की प्रतिदिन की आवश्यकता पूरी होने पर बची हुई ऊर्जा की मात्रा कार्बोहाइड्रेट से पूरी की जानी चाहिए। विटामिन (Vitamins)- 100 मि.ग्रा. विटामिन C दिन में तीन बार दिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त विटामिन B काम्पलेक्स भी पर्याप्त दिया जाना चाहिए। खनिज लवण (Minerals)- एडीमा को दूर करने के लिए आहार में सोडियम ऊपरी नमक का बिस्किट, का परहेज अनिवार्य हो जाता है। करीब 500 मि.ग्रा. सोडियम वाला आहार ही प्रति लिया जाये। रोगी के भोजन में कम नमक का इस्तेमाल करें, साथ प्रयोग न करें। नमक की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ जैसे साल्टेड मक्खन, संरक्षित माँस तथा मछलियाँ आदि का परहेज करें। लंबे समय तक सोडियम के परहेज से इलेक्ट्रोलाइट, असंतुलन (Electrolyte imbalance) के कारण किडनी के कार्य प्रभावित होते हैं। एडीमा कम होने की स्थिति में सोडियम का मध्यम परहेज लाभदायक होता है। आहार के सिद्धान्त (Principle of Diet) उच्च प्रोटीन, उच्च कार्बोहाइड्रेट तथा कम सोडियम युक्त आहार नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम में दिया जाना चाहिए। खाद्य पदार्थों का चुनाव (Selection of foods) दिये जा सकने योग्य खाद्य पदार्थ- (Food Permitted) (1) गेहूँ, ज्वार, बाजरा, चावल या रोगी की रोटी या ब्रेड (2) पके चावल (3) दालें या बीन्स (4) सब्जियों का सलाद (5) पकी सब्जियाँ (6) आलू, चुकंदर (7) सूप (8) मांस, मछली या चिकन- उचित मात्रा में (9) अण्डा (10) दूध तथा दूध से बने पदार्थ (11) वसा या मक्खन (12) शक्कर, गुड़ या शहद (13) जैम या मुरब्बा (14) बिना नमक की पेस्ट्री (15) डेजर्ट तथा मिठाइयाँ (16) ताजे फल (17) नट्स (18) पेय पदार्थ वर्जित खाद्य पदार्थ (Foods excluded ) (1) मिर्च मसाले (2) पापड़, चटनी या अचार नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम में किडनी पर क्या कुप्रभाव पडता है? नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम किस कारण से होता है? नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के मुख्य लक्षण नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम में कौन से गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं? किडनी की बायोप्सी इतने अधिक विपरीत असरवाली प्रेडनीसोलोन दवा लेना क्या बच्चों के लिए फायदेमंद है? अधिकांश बच्चों में उपचार के तीसरे या चौथे सप्ताह में पेशाब में प्रोटीन नहीं जाने के बावजूद, सूजन जैसी तकलीफ बनी रहती है। क्यों? रोग की सूजन और चर्बी जमा होने से सूजन जैसा लगना, दोनों के बीच का अंतर कैसे मालूम किया जा सकता है? नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के कारण होनेवाली सूजन और दवा के असर के कारण चर्बी होने से सूजन लगने के बीच अंतर जानना क्यों जरुरी है? बच्चों में नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम की पुनरावृत्ति की संभावना कितनी है? नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के बच्चों में किडनी बायोप्सी कब कराई जाती है? नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के उपचार का नियमन नेफ्रोलॉजिस्ट किस प्रकार करते हैं? नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम कब ठीक हो जाता है? नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के मरीज को डॉक्टर से कब संपर्क स्थापित करना चाहिए?