इंदौर के एमटीएच अस्पताल में एक अनोखे जुड़वाँ बच्चे का जन्म हुआ। जुड़वाँ बच्चों का जन्म सिजेरियन सेक्शन के ज़रिए हुआ। गर्भवती महिला को स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डॉ. प्रो. नीलेश दलाल के आपातकालीन कक्ष में भर्ती कराया गया, जहाँ उसने एक शरीर और दो सिर वाले अनोखे जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया। डॉक्टर भी इस घटना को देखकर हैरान हैं।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि लगभग हर महीने गर्भावस्था की जाँच करने वाले डॉक्टर या अन्य स्टाफ को इन जुड़े हुए जुड़वाँ बच्चों के बारे में कैसे पता नहीं चला। प्राप्त जानकारी के अनुसार, गर्भवती महिला ने प्रसव से पहले चार बार जाँच करवाई, फिर भी गर्भावस्था के दौरान कोई असामान्यता नहीं पाई जा सकी। फिलहाल, नवजात को एमटीएच के सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के बाल रोग विभाग में रखा गया है। नवजात का वजन लगभग 2.8 किलोग्राम है।
डॉक्टरों के अनुसार, यह कोई आनुवंशिक स्थिति नहीं है और न ही इसका माँ के स्वास्थ्य से कोई संबंध है। इस स्थिति को पैरापैगस डाइसेफालस जुड़वाँ कहा जाता है। मीडिया से बात करते हुए, अस्पताल की अधीक्षक और वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुपमा दवे ने कहा, "जुड़वाँ बच्चे तब विकसित होते हैं जब एक निषेचित अंडा पूरी तरह से दो भ्रूणों में विभाजित नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप, आनुवंशिक रूप से समान दो भ्रूण शरीर के किसी अंग से जुड़े रह जाते हैं। यह एक दुर्लभ विकासात्मक विसंगति है, जो संभवतः गर्भावस्था के दूसरे या तीसरे सप्ताह में होती है।"
जानकारी के अनुसार, डॉक्टरों की एक टीम तय करेगी कि एक शरीर और दो सिर वाली इस बच्ची के साथ आगे क्या करना है। इस टीम में सर्जन, बाल रोग विशेषज्ञ और इमेजिंग विशेषज्ञ मिलकर आगे की रणनीति तय करेंगे। एक सिर अलग होने के बाद बाकी अंग काम कर पाएँगे या नहीं, इस पर भी चर्चा की जाएगी।
पुराण डेस्क