Washington: अमेरिका के टेक्सास में हाल ही में बनी हनुमानजी की मूर्ति का कुछ स्थानीय संगठन विरोध कर रहे हैं। रविवार को स्थानीय चर्च समूह के कुछ लोगों ने मंदिर में प्रवेश किया और मूर्ति निर्माण को लेकर हंगामा किया। करीब 25 लोगों ने मंदिर परिसर में न सिर्फ नारेबाजी की बल्कि यहां मौजूद लोगों को परेशान भी किया।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, ये लोग उसी स्थानीय चर्च के थे, जिसके नेता ने भी मूर्ति स्थापना का विरोध किया था। ये लोग मूर्ति के पास एकत्र हुए और विरोध करने लगे। जब मंदिर प्रशासन ने पुलिस बुलाने की धमकी दी तो ये लोग वहां से चले गये।
शुगर लैंड, टेक्सास का हिंदू समुदाय अष्टलक्ष्मी मंदिर में ज्ञान, शक्ति, साहस और भक्ति के देवता हनुमान की 90 फुट की नई विशाल प्रतिमा के निर्माण का जश्न मना रहा है। एक तरफ स्थानीय हिंदू समुदाय यहां दर्शन के लिए उमड़ पड़ा है तो दूसरी तरफ कुछ स्थानीय रूढ़िवादी समूहों को यह पसंद नहीं है। इसके चलते मंदिर परिसर में हंगामा हो गया।
अष्टलक्ष्मी मंदिर में हनुमानजी की यह मूर्ति 80 लाख डॉलर की लागत से तैयार की गई है। हंगामे की जानकारी देते हुए मंदिर के संयुक्त सचिव डॉ. रंगनाथ कंडाला ने कहा, 'शुरुआत में हमने सोचा कि ये लोग मूर्ति 2 देखने आए हैं क्योंकि उन्होंने इंटरनेट पर इसके बारे में पढ़ा होगा। ऐसे में उन्हें किसी ने नहीं रोका। समूह ने यहां मूर्ति के चक्कर लगाने शुरू कर दिए।
इसके बाद कुछ प्रदर्शनकारी चले गए और कुछ ने मंदिर में लोगों से पूछना शुरू कर दिया कि क्या वे ईसा मसीह के बारे में जानते हैं। उन्होंने लोगों को रोका और इस बात पर ज़ोर देने लगे कि यीशु ही परमेश्वर हैं। समूह में से कुछ ने बच्चों और मंदिर के अन्य लोगों से कहा कि वे उनकी पूजा न करें, ये झूठे देवता जलकर राख हो जायेंगे। जिससे तनावपूर्ण माहौल बन गया।
कंडाला ने इन लोगों को ऐसा करने से रोका और कहा कि मैं आपके भगवान और आपका सम्मान करता हूं और आशा करता हूं कि आप हमारा सम्मान करेंगे। कुछ लोग कंडाला से बहस करने लगे। कंडाला द्वारा पुलिस बुलाने की धमकी देने पर वे लोग वहां से चले गए।
आपको बता दें इसी महीने 18 अगस्त को अमेरिका के टेक्सास में भगवान हनुमान की 90 फीट ऊंची प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। यह प्रतिमा अब अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है और इसे स्टैच्यू ऑफ यूनियन नाम दिया गया है। यह मूर्ति टेक्सास के शुगर लैंड स्थित अष्टलक्ष्मी मंदिर में बनाई गई है। इस मूर्ति का निर्माण चिन्नाजीर स्वामीजी के आशीर्वाद से किया गया।